युद्ध में चूर रूस कर रहा ऐसा ‘विनाश’, यूक्रेन ही नहीं भारत समेत पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा अंजाम
पर्यावरण का मुद्दा पूरी दुनिया के लिए गंभीर होता जा रहा है. बढ़ते तापमान से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है, नदियां सूख रही हैं और हवा प्रदूषित हो रही है. यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंट असेंबली बढ़ती ग्रीन हाउस के उत्सर्जन को लेकर चिंता जता चुकी है. दुनिया भर के देशों द्वारा उठाए जा रहे महत्वपूर्ण कदमों के बाद भी पर्यावरण संकट को रोका नहीं जा रहा है. हाल ही में पर्यावरण एक्टिविस्ट्स ने यूरोप की टॉप कोर्ट से मांग की है कि वे रूस को जलवायु तबाही के लिए जिम्मेदार ठहराए. पर्यावरण एक्टिविस्ट्स का कहना है कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को बढ़ावा दिया है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया की हवा जहरीली हो गई है.
पर्यावरण एक्टिविस्ट्स का कहना है कि रूस के यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बढ़ोतरी हुई है. रूस के एनवायरमेंट ग्रुप ‘इकोडिफेंस’ और 18 अन्य लोगों ने पिछले साल यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (ECHR) में एक मामला दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि मॉस्को के एक्शन वैश्विक जलवायु संकट को बढ़ा रहे हैं, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
पेरिस जलवायु समझौते का रूस ने किया उल्लंघन
इकोडिफेंस के सह-अध्यक्ष व्लादिमीर स्लिव्याक ने जिनेवा में AFP को बताया कि “रूस जलवायु के लिए खतरा पैदा कर रहा है, उन्होंने जोर देकर बताया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते पर साइन किए थे, जिसमें प्री-इंडस्ट्रियल स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान को सीमित करने का लक्ष्य रखा गया था. स्लिव्याक ने आरोप लगाया कि रूस ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या फोसिल फ्यूल को कम करने में नाकाम हो रहे हैं. स्लिव्याक ने ये भी कहा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन अगले दशक तक तेल और गैस का उत्पादन 50 फीसद तक बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं.
यानी रूस जिस तरह से युद्ध में खुद को मजबूत रखने के लिए तेल और गैस का उत्पादन कर रहा है वो दुनिया के हर मुल्क को प्रभावित करेगा.
यूक्रेन युद्ध से बिगड़ रहा पर्यावरण
इस समय दुनिया के कई छोर पर जंग चल रही है. सुडान का गृह युद्ध हो, गाजा में इजराइल के हमले या फिर रूस और यूक्रेन की जंग. इन सभी जगह भारी बमबारी का इस्तेमाल हो रहा है और हर दिन सैकड़ों टन गोला बारूद फट रहा है. जिसकी वजह से दुनिया भर की हवा जहरीली हो रही है. पश्चिम के पर्यावरण एक्टिविस्ट्स का कहना है कि रूस के द्वारा जंग में हो रहे बड़ी मात्रा में गोला बारूद के इस्तेमाल से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है और लोगों की सेहत और जलवायु पर इसका बुरा असर पड़ रहा है.
जलवायु संकट से निपटने के लिए मोदी प्लान
जलवायु संकट से भारत भी अछूता नहीं रहा है. भारत में लगातार हवा का स्तर गिर रहा है. दिल्ली जैसे शहरों में तो सांस लेना भी दूभर हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत करते ही इससे निपटने का अपना प्लान देश के सामने रखा है. पीएम मोदी चाहते हैं कि भारत जलवायु कूटनीति और स्वच्छ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हरित युग की ओर आगे बढ़े. पीएम मोदी 2070 तक भारत में फोसिल फ्यूल के इस्तेमाल को 0 करना चाहते हैं और देश में 500 गिगावाट नॉन फोसिल फ्यूल एनर्जी की बड़ी क्षमता स्थापित करना चाहते हैं. साथ ही भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार कई स्कीम चला रही है. लेकिन दूसरी तरफ भारत का दोस्त रूस जिस तरह इस संकट में योगदान दे रहा है वो निश्चित ही दुनिया के हर हिस्से की चुनौती में इजाफा करेगा.