योग से पीसीओडी जैसी बीमारियों का हो सकता है इलाज, डॉक्टरों ने बताया
योग का क्या महत्व ये मॉर्डन दुनिया में भी लोग समझने लगे हैं. ये हमारे शरीर, मन और आत्मा को साथ लाने का काम करता है. महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए पीसीओडी की बीमारी काफी परेशानी का सबब बनती है. क्या आप जानते हैं कि योग के जरिए इससे राहत पाई जा सकती है. डॉ ज्योति कपूर, डायरेक्टर और फाउंडर, मनस्थली वेलनेस बताती हैं कि नियमित रूप से योग करने से महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ मिलते हैं. योग से लचीलापन, ताकत और संतुलन में सुधार होता है जिससे शारीरिक तंदुरुस्ती बढ़ती है.
योग हृदय संबंधी स्वास्थ्य को भी बढ़ाता है और वजन कम करने में भी मदद करता है. हृदय का अच्छा स्वास्थ्य और सही वजन जीवन के विभिन्न चरणों में महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है. शारीरिक लाभों के अलावा योग मन की शांति प्रदान करता है और भावनात्मक रूप से स्थिर करता है. यह महिलाओं को तनाव, चिंता और मूड स्विंग को ज्यादा प्रभावी ढंग से मैनेज करने में मदद कर सकता है.
पीसीओडी और पीसीओएस का इलाज
योग मन और शरीर के बीच एक गहरा संबंध विकसित करता है जिससे महिलाओं को अपनी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के प्रति ज्यादा सजग होने और जागरूक रहने में मदद मिल सकती है. चाहे पीरियड्स में दर्द कम करना हो, पीसीओएस या मेनोपॉज के लक्षणों जैसी समस्याओं का समाधान करना हो, या ज्यादा जीवन शक्ति के लिए प्रयास करना हो. योग का नियमित अभ्यास महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है जो शरीर और आत्मा दोनों को मजबूत बनाता है.
न्यूरोलॉजिकल समस्याओं में फायदा
वहीं. डॉ रजनीश कुमार (यूनिट हेड और सीनियर डायरेक्टर- न्यूरोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, द्वारका) का कहना है कि कई ऐसी रिसर्च सामने आई हैं जिसके मुताबिक योग से न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझने वाली महिलाओं को लाभ मिल सकता है. तनाव कम करके, मूड को अच्छा और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर योग एंग्जाइटी और डिप्रेशन को कम कर सकता है.
डॉ. रजनीश ने आगे कहा, ‘नियमित रूप से योग करने से सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर बढ़ता है. ये दोनों हार्मोन डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते है. योग न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ा सकता है. न्यूरोप्लास्टिसिटी मस्तिष्क की खुद को पुनर्गठित करने की क्षमता को कहते हैं जो तंत्रिका संबंधी बीमारियों से उबरने में मदद कर सकती है और संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर बना सकती है. योग की शारीरिक मुद्राएं और रिलैक्सेशन फ्लेक्सिबिलिटी, स्ट्रेंथ और दर्द की अनुभूति में सुधार करके क्रोनिक दर्द को कम कर सकती हैं.