रक्षाबंधन पर देशभर में बिका 12 हजार करोड़ का सोना, 10 ग्राम नहीं इसकी रही सबसे ज्यादा डिमांड
रक्षाबंधन के त्यौहार को देश भर में व्यापारियों ने राखी का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया. इस साल राखी के मौके पर हुई बिक्री पिछले सालों के मुक़ाबले रिकॉर्ड स्तर पर रही जिससे त्यौहार मनाने की ऊर्जा दुगनी हो गई. पिछले कई वर्षों की तरह इस वर्ष भी चीन से न तो राखियां ख़रीदी गई न ही राखियों का सामान आयात हुआ. देश भर में लोगों ने जमकर मेड इन इंडिया राखियां खरीदी हैं. वहीं, बात करें अगर रक्षाबंधन के मौके पर सोने की बिक्री की तो इस मौके पर देश भर में करोड़ों का सोना बिका है.
कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के अनुसार देश भर के बाज़ारों में उपभोक्ता राखियों की खरीदी के लिए उमड़े जिसके चलते पिछले वर्षों के राखी बिक्री के सभी रिकॉर्ड टूटे और लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का राखियों के व्यापार का आंकलन किया गया है. इसके साथ ही उपहार देने के लिए मिठाई, गिफ्ट आइटम्स, कपडे. एफएमसीजी के सामान आदि का कारोबार भी लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का आंका गया है.
करोड़ों का बिका सोना
रक्षाबंधन के मौके पर सर्राफा कारोबारियों की बात करें तो इस मौके पर करोड़ों एक सोना बिका है. सोना-चांदी में आयात शुल्क घटने से रक्षाबंधन पर्व पर बाजार में धन की बारिश की उम्मीद पहले से थी. जिसको लेकर उन्होंने पहले से ही तैयारियां कर रखीं थी. इधर आयात शुल्क घटने से सोने-चांदी कीमत कम हुईं थी. हालांकि धीरे-धीरे उनकी कीमत में तेजी आई.
बावजूद इसके रक्षाबंधन पर सबसे ज्यादा 10 ग्राम नहीं बल्कि 7 ग्राम का सोना सबसे ज्यादा बिका है. पिछले साल सबसे ज्यादा 3-4 ग्राम का गोल्ड का आइटम सबसे ज्यादा बिका है. सोमवार को सोना 72500 प्रति 10 ग्राम और चांदी 84 हजार रुपये प्रति किलो जा पहुंची. सर्राफा कारोबारियों की मानें तो कीमत कम होने के दौरान से ही महिला खरीदारों की भीड़ देखने को मिली थी. जिसको देखते हुए कई सराफा कारोबारियों ने खरीद के हिसाब से ग्राहकों को उपहार भी दिए. सबसे अधिक चांदी की राखियों की बिक्री देखने को मिली.
केरल स्थित जोयालुक्कास ग्रुप के सीईओ बेबी जॉर्ज के मुताबिक, पिछले रक्षाबंधन की तुलना में इस साल बिक्री 20-25% बढ़ी है. सोने के आभूषणों के लिए औसत टिकट का आकार 1.10 लाख है, जबकि हीरे के आभूषणों के लिए यह 1.25 लाख है.
बिक्री का टूट गया रिकार्ड
कैट के महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल का कहना है पिछले कुछ दिनों में राखियों की मांग में भारी वृद्धि हुई है. उसी को देखते हुए अनुमान है कि इस वर्ष 12 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है. पिछले साल रक्षा बंधन के अवसर पर लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था. वहीं साल 2022 में लगभग 7 हज़ार करोड़ रुपये, 2021 यह 6 हज़ार करोड़ रुपये का जबकि वर्ष 2020 में 5 हज़ार करोड़ रुपये, वर्ष 2019 में 3500 करोड़ तथा वर्ष 2018 में 3 हज़ार करोड़ रुपये का था.
अलग अलग इलाकों में अलग राखियां बिकींं
खंडेलवाल ने बताया कि इस वर्ष विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियां बनाई गईं है. इनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, कोलकाता की जूट राखी, मुंबई में रेशम राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं. वहीं देश का गर्व प्रदर्शित करने वाली तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम की राखी, भारत माता की राखी आदि शामिल हैं जिनकी मांग बहुत अधिक है. इसके अलावा डिज़ाइनर राखियां तथा चांदी की राखियां भी बाजार में खूब बिक रही हैं.
ऑनलाइन बिक्री का रिकॉर्ड!
क्विक कॉमर्स कंपनी ब्लिंकिट के फाउंडर अलबिंदर का कहना है कि इस साल उनके प्लेटफार्म के जरिये रिकॉर्ड बिक्री हुई है. रविवार रात उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करके जानकारी दी. जिसमें उन्होंने लिखा कि इस साल राखी पर बिक्री नया रिकॉर्ड बना. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा की प्रति मिनट राखियों की सेल में इजाफा हुआ है जिससे एक ही दिन में राखियों की रिकॉर्ड बिक्री हुई. राखियों के अलावा चॉकलेट और बाकी गिफ्ट्स की भी खूब बिक्री हुई.