रतन टाटा की इस कंपनी का दिखा जलवा, एक झटके में आएंगे 5,480 करोड़
एक बार फिर से टाटा ग्रुप का जलवा देखने को मिला है. टाटा स्टील ने बताया है कि यूनाइटेड किंग्डम के वेल्स के पोर्ट टालबोट में बनने वाले ग्रीन स्टील प्रोजेक्ट में ब्रिटेन की सरकार निवेश करने जा रही है. टाटा स्टील ने खुद अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में इस डील की पूरी जानकारी दी है. बताया जा रहा है कि यूके की सरकार इसके लिए 5,480 करोड़ का फंड देने जा रही है.
यूके स्टील इंडस्ट्री का टूटा रिकॉर्ड
टाटा स्टील ने यूनाइटेड किंगडम के वेल्स में पोर्ट टालबोट में 1.25 बिलियन पाउंड की लागत से ग्रीन स्टील प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है. इस परियोजना के लिए ब्रिटेन सरकार से 500 मिलियन पाउंड यानी 5,480 करोड़ की ग्रांट प्राप्त हुई है. यह यूके स्टील इंडस्ट्री में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है, जिसका उद्देश्य स्टील उत्पादन को पर्यावरण के अनुकूल बनाना और औद्योगिक कार्बन उत्सर्जन में 8% की कटौती करना है.
5000 लोगों की नहीं जाएगी नौकरी
इस प्रोजेक्ट से पोर्ट टालबोट में 5000 नौकरियां बचाई जा सकेंगी, और साइट पर इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस की स्थापना की जाएगी. टाटा स्टील का लक्ष्य 2025 तक इस प्लांट को ऑपरेशनल करना है, जिससे न केवल ब्रिटेन की स्टील उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक पुनर्जीवन और रोजगार सृजन में भी सहायता मिलेगी.
इस परियोजना पर टाटा स्टील के सीईओ टी वी नरेंद्रन ने कहा कि यह प्लांट यूरोप के सबसे प्रमुख स्टील मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों में से एक बन सकता है. लंबे समय से इस साझेदारी की उम्मीद की जा रही थी, और ब्रिटिश सरकार की मदद न मिलने पर टाटा स्टील अपने यूके कारोबार से बाहर हो सकती थी.
ये है टार्गेट
टाटा स्टील ने घोषणा की है कि उसने पब्लिक कंसल्टेशन शुरू कर दी है और दिसंबर 2024 तक सभी मंजूरियां हासिल करने के लिए अथॉरिटीज के साथ मिलकर काम कर रही है. कंपनी ने बताया कि जुलाई 2025 तक साइट पर बड़े पैमाने पर काम शुरू हो जाएगा और अगले तीन वर्षों में स्टील प्लांट को ऑपरेशनल किया जाएगा. टाटा स्टील के सीईओ टी वी नरेंद्रन ने कहा कि ब्रिटिश सरकार के समर्थन से पोर्ट टालबोट का यह प्लांट यूरोप के प्रमुख स्टील मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों में से एक बनने की क्षमता रखता है. उन्होंने इस प्रोजेक्ट को साउथ वेल्स के आर्थिक पुनर्जनन और रोजगार पैदा के लिए महत्वपूर्ण बताया. टाटा स्टील को ब्रिटिश सरकार के इस सहयोग का लंबे समय से इंतजार था, और सरकार की मदद न मिलने पर टाटा स्टील यूके में अपने स्टील कारोबार से बाहर निकलने पर विचार कर रही थी.