रांची में हुई RSS की 3 दिवसीय बैठक में कई मुद्दों पर मंथन, आपातकाल पर भी रखी राय

झारखंड की राजधानी रांची में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रांत प्रचारकों की 3 दिवसीय बैठक हुई. रांची के सरला बिरला विश्वविद्यालय में हुई बैठक में देशभर के प्रांत प्रचारकों ने हिस्सा लिया. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुई संघ की यह बैठक काफी चर्चा में है. बैठक में संगठन विस्तार, शाखा के कार्य और विभागों के मुद्दे पर चर्चा हुई. रांची में आयोजित की गई इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और तमाम प्रांत प्रचारकों ने हिस्सा लिया.
युवाओं में बढ़ रहा संघ का ‘क्रेज’
उधर इस बैठक को लेकर संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने जानकारी दी है कि लगभग दोगुनी संख्या में नए युवा संघ में प्रशिक्षण ले रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इससे यह साफ होता है कि युवा संघ की विचारधारा, संघ के कार्य और राष्ट्र के लिए समर्पित होकर काम करने की शैली की ओर आकर्षित हो रहे हैं. सुनील आंबेकर ने बताया है कि संघ की वेबसाइट पर आरएसएस से जुड़ने का विकल्प दिया गया है. वेबसाइट के जरिए RSS से जुड़ने के लिए वर्ष 2012 में ज्वाइन आरएसएस के तहत एक ऑनलाइन वेबसाइट लॉन्च की गई थी. इसके तहत ऑनलाइन माध्यम से हर साल लगभग 1.25 लाख लोग संघ से जुड़ रहे हैं. सुनील आंबेकर ने बताया है कि इस वर्ष जून के तक 66529 लोगों ने संपर्क कर संघ से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है.
शताब्दी वर्ष को लेकर तय किये लक्ष्य
सुनील आंबेकर ने रांची में बैठक के अंतिम दिन आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी है कि बैठक में करीब 227 कार्यकर्ता देशभर से शामिल हुए हैं. सुनील आंबेकर ने बताया है कि अगले साल संघ की स्थापना का शताब्दी वर्ष पूरा होगा. संघ ने 2025 तक देश में कार्य विस्तार को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सभी मंडल और शहरी क्षेत्रों में सभी बस्तियों में दैनिक शाखा का लक्ष्य तय किया है. इसके अलावा आपसी विचार विमर्श के लिए संघ के विविध संगठनों की समन्वय बैठक आगामी 31 अगस्त से 2 सितंबर तक केरल के पलक्कड़ में आयोजित की जाएगी.
संविधान हत्या दिवस पर RSS ने क्या कहा?
1975 के आपातकाल की याद में 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाए जाने पर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर कहते हैं कि 1975 में जो आपातकाल लगाया गया था वह निश्चित रूप से गलत था. लोकतंत्र में हम स्वतंत्रता और आजादी की बात करते हैं, लिहाजा ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए. संघ ने समय-समय पर आपातकाल का विरोध किया है और संघ ने संघर्ष भी किया है और कई कार्यकर्ता जेल भी गए. सुनील आंबेकर ने कहा कि आपातकाल के दौरान संघ के कई कार्यकर्ताओं को यातनाएं झेलनी पड़ीं, काफी संघर्ष हुआ. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अब हमारे देश में एक बार फिर लोकतंत्र स्थापित हो गया है.

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