राजस्थान: 36 साल बाद आया सती कांड में फैसला, महिमामंडन करने के 8 आरोपी बरी

करीब 36 साल पुराने सती महिमामंडन केस में बुधवार को जयपुर की एक कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मामले से जुड़े 8 आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि सती निवारण अधिनियम की धारा-5 में पुलिस ने सभी को आरोपी बनाया है. मगर, इस धारा में आरोप साबित करने के लिए जरूरी है कि धारा-3 के तहत सती होने की कोई घटना हुई हो.
जयपुर महानगर द्वितीय की सती निवारण कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने सभी को सती निवारण अधिनियम की धारा-5 में आरोपी बनाया. यह धारा कहती है कि आप सती प्रथा का महिमामंडन नहीं कर सकते है लेकिन इस धारा में आरोप साबित करने के लिए जरूरी है कि धारा-3 के तहत सती होने की कोई घटना हुई हो.
4 सितंबर 1987 को सीकर में हुआ था सती कांड
आरोपियों के वकील अमन चैन सिंह शेखावत ने बताया कि कोर्ट ने आठ लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है. 4 सितंबर 1987 को सीकर में सती कांड हुआ था. ये घटना दिवराला गांव की थी. इस घटना में रूप कंवर ने खुद को पति की चिता में जिंदा जला लिया था. 22 सितंबर 1988 को सती की फोटो के साथ बड़ा जुलूस निकाला गया था.
45 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था मामला
अमन चैन सिंह शेखावत ने कहा कि ट्रक पर निकाले गए इस जुलूस के जरिए सती प्रथा का महिमामंडन करने के आरोप में 45 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. साल 2004 में विशेष अदालत ने 25 आरोपियों को बरी कर दिया था. इस मामले के कुछ आरोपियों की मौत भी हो चुकी है. बता दें कि इस मामले को दिवराला सती रूप कंवर कांड के नाम से जाना जाता है. इस मामले ने राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.

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