रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज को अमेरिका ने वीजा देने से किया इनकार

अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की मूर्ति बनाने के लिए मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज को कथित तौर पर अमेरिका का वीजा देने से मना कर दिया गया है. अरुण को 20 दिन की यात्रा पर अमेरिका जाना था. हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों की तरफ से इस मामले में अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
राम लला की मूर्ति बनाने के लिए मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज के वीजा आवेदन को अस्वीकार करने के लिए US ने कोई आधिकारिक कारण भी नहीं बताया है. योगीराज ने रिचमंड, वर्जीनिया में एसोसिएशन ऑफ कन्नड़ कूटस ऑफ अमेरिका द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लगभग दो महीने पहले वीजा के लिए आवेदन किया था. हालांकि, 10 अगस्त को बिना किसी कारण का हवाला दिए उनके आवेदन को कैंसल कर दिया गया था.
क्यों अमेरिका जा रहे थे अरुण योगीराज?
अरुण योगीराज को एसोसिएशन ऑफ कन्नड़ कूटस ऑफ अमेरिका (AKKA) द्वारा आयोजित विश्व कन्नड़ सम्मेलन (डब्ल्यूकेसी 2024) में हिस्सा लेने लेने के लिए बुलाया गया था. ये कार्यक्रम 30 अगस्त से 1 सितंबर, 2024 तक वर्जीनिया के ग्रेटर रिचमंड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होना है. सम्मेलन का उद्देश्य कन्नड़ संस्कृति और विरासत का जश्न मनाना है. क्योंकि, उन्होंने राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की प्रसिद्ध मूर्ति बनाई थी, इसलिए उन्हें सम्मान के तौर पर शामिल होने के लिए बुलाया गया था.
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पत्नी पहले से अमेरिका में मौजूद हैं
उधर, आयोजकों ने अरुण योगीराज को वीजा न मिलने पर हैरानी जताई है. योगीराज का परिवार, खौस तौर पर उनकी पत्नी सम्मेलन के लिए पहले से ही अमेरिका में हैं. उन्होंने भी वीजा न मिलने पर हैरानी जताई है. परिवार का कहना है कि योगीराज पहले भी बिना किसी समस्या के इसी तरह के कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं.
अरुण योगीराज ने बनाई मूर्ति
इस साल की शुरुआत में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे अरुण योगीराज ने बनाया है. अरुण योगीराज की कई पीढ़ियां मूर्तियां बनाने का काम करती रही हैं, लेकिन रामलला की मूर्ति बनाकर अरुण देश-दुनिया में काफी लोकप्रिय हो गए हैं.
रामलला की मूर्ति के बारे में अरुण ने कहा था कि जब मूर्ति बनाई गई थी, तब वह अलग दिखती थी, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान ने अलग रूप ले लिया. उन्होंने यह भी कहा, “मैं खुद भगवान की उस मूर्ति को नहीं पहचान सका, जिसे मैंने ही सात महीने तक बनाया। गर्भगृह में जाते ही मूर्ति बदल गई. यह ईश्वरीय चमत्कार है या कुछ और.

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