रील देखने की बीमारी! कहीं आप भी तो नहीं ब्रेन रॉट के शिकार, जानिए आखिर क्या है ये बला

ब्रेन रॉट. हो सकता है ये शब्द आपके लिए नया हो लेकिन इससे ग्रस्त लोग आपको आसपास आसानी से दिख सकते हैं. वैसे तो ये दिमाग की एक स्टेज है लेकिन काफी हद तक इसका जुड़ाव और इसकी वजह सोशल मीडिया में बढ़ रहा डिजिटल कंटेंट है. आसान भाषा में समझें तो ‘चिन तपाक डम डम’, ‘मैं हूं कल्लू कालिया’, ‘टुच्ची टुइयां’ या इस तरह के दूसरे हल्के शब्दों पर जनता बम-बम रहती है. बात-बात पर लोग ऐसे वाक्यों का इस्तेमाल करते हैं और ठहाके भरते हैं. लेकिन धीरे-धीरे ये आदत कैसे आपकी सोच को सिर्फ रील्स और शॉर्ट वीडियो तक सीमित कर देती है, ये समझना जितना मुश्किल है इसके नतीजे उतने ही खतरनाक.
ब्रेन रॉट असल में कोई टेक्निकल शब्द नहीं है, बल्कि ये उस स्थिति को दर्शाता है जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा डिजिटल कंटेंट, सोशल मीडिया या दूसरे एंटरटेनमेंट कंटेंट में समय देने के कारण अपनी मानसिक क्षमता, ध्यान और सोचने की शक्ति में कमी महसूस करता है. इसे आमतौर पर डिजिटल या मानसिक थकान के रूप में भी देखा जा सकता है.
ब्रेन रॉट का असर खतरनाक
स्मार्टफोन जैसे-जैसे हमारी जिंदगी की बड़ी जरूरत बन रहे हैं, वैसे-वैसे इसकी लत हमें नुकसान पहुंचाने लग गई है. मां-बाप छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में झुनझुने की जगह फोन पकड़ा रहे हैं. हाल ये है कि कईयों को इसकी बुरी लत लग चुकी है. ऐसे कई मामले आए हैं जब बच्चों से फोन छीना गया तो वो अजीबोगरीब हरकतें करने लग गए. फोन न मिलने पर वो खाना नहीं खाते या मारने-लड़ने को आतुर रहते हैं. इतना ही वो कुछ भी कर बैठते हैं.
खतरनाक बात ये कि हालात आने वाले समय में और बिगड़ सकते हैं. फोन और इंटरनेट पर निर्भरता जितनी बढ़ रही है, लोगों के दिमाग पर इसका उतना ही असर पड़ रहा है. बच्चे ही नहीं बड़े भी इस लत के शिकार हैं. और ये लत कब ब्रेन रॉट में बदली जा रही है, इंसान समझ नहीं पा रहा है.
क्या हैं ब्रेन रॉट के लक्षण
ब्रेन रॉट को आप डिजिटल कंटेंट की लत के तौर पर भी मान सकते हैं. हल्की बातें, सस्ता कंटेंट और क्वालिटी की कमी ये सब ब्रेन रॉट की देन हैं. आगे जानिए इसके लक्षण क्या-क्या हैं…

ध्यान की कमी: इंसान का ध्यान लंबे समय तक किसी एक काम पर नहीं टिकता और वो बार-बार अपना ध्यान भटका लेते हैं. यूं समझिए कि आप कुछ पढ़ रहे हैं, किसी के साथ बैठकर बातें कर रहे हैं या कुछ और… आप बेवजह ही बार-बार अपना फोन चेक करने लगते हैं.
थकान: जरूरत से ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ महसूस करता है.
मेमोरी प्रॉब्लम्स: इस लत का असर इंसान की याददाश्त पर भी पड़ता है, लोगों को छोटी-छोटी चीजें भूलने की आदत हो जाती है.
बेचैनी: व्यक्ति में धीरज की कमी हो जाती है और वो किसी भी काम को धीरे-धीरे करने की बजाय जल्दी निपटाने की कोशिश करते हैं. कुलमिलाकर ऐसे लोगों को बहुत हड़बड़ी रहती है.
सिर्फ एंटरटेनमेंट: ऐसे लोग खुद को मानसिक थकान से बचाने के लिए एंटरटेनमेंट कंटेंट पर डिपेंड हो जाते हैं, नतीजन वो रील्स/ शॉर्ट्स देखते हैं और इन्हीं के इर्द-गिर्द बातें करते हैं.

ब्रेन रॉट से बचने के लिए क्या करें

डिजिटल डिटॉक्स: समय-समय पर अपने आप को डिजिटल डिवाइस (स्मार्टफोन, हेडफोन्स, स्मार्टवॉच, टैबलेट) से दूर रखें.
फिजिकल एक्टिविटी: नियमित व्यायाम या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी मेंटल हेल्थ को बेहतर बना सकती है.
रेगुलर नींद: पर्याप्त और गहरी नींद लेना मेंटल हेल्थ को बढ़िया रखने में मदद करता है.
क्रिएटिव एक्टिविटीज: पेंटिंग, संगीत या पढ़ाई जैसी एक्टिविटी में शामिल हों, जो जिससे आपकी क्रिएटिविटी बढ़ेगी.
माइंडफुलनेस: ध्यान और मेडिटेशन की प्रैक्टिस पर फोकस करें इससे मानसिक शांति बनाए रखने में मदद मिलती है.

अगर आपको खुद या किसी करीबी में ऐसे कोई भी लक्षण नजर आ रहे हैं तो समय पर ध्यान देने की जरूरत है. बेहतर होगा आप स्मार्टफोन, इंटरनेट और दूसरे डिवाइस से दूरी बना लें.

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