रूस-यूक्रेन शांति वार्ता की पहल से ठीक हुई अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध फोरम की बैठक, 13 देशों ने लिया हिस्सा

रूस-यूक्रेन शांति वार्ता कीपहल से ठीक पहले रूस में आयोजित अंतराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में विश्व के विभिन्न बौद्ध धाराओं में एकता का प्रस्ताव पारित हुआ.हाल ही में रूस में जहां एक तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध तेज गति से चल रहा है, वहीं, दूसरी तरफ शांति के प्रतीक बुद्धिज्म पर 13 देशों से आए प्रतिनिधियों द्वारा विश्व बंधुत्व, सामंजस्य और भाईचारा को बढ़ावा देने पर चिंतन मनन किया. रूस में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध फोरम में13 देशों के प्रतिनिधियोंने हिस्सा लिया.
दरअसल, रूस की राजधानी मॉस्को से करीब 5000 हजार किलोमीटर दूर रूसी संघ के राज्य बुर्याटिया की राजधानी उलान उदे में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध फोरम (IBF)की तीन दिनों की बैठक आयोजित कीगई. ये अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध फोरम 12 से 14 अगस्त तक उलान उदे आयोजित किया गया.
इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत, चीन, जापान, बेलारूस, ब्राजील, भूटान, कंबोडिया, लाओस, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम और बांग्लादेश जैसे महत्वपूर्ण या बहुसंख्यक बौद्ध आबादी वाले 13 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा एक प्रस्ताव भी पारित किया गया.
भाईचारे की भावना को बढ़ाने पर जोर
रूस के बुर्याटिया में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध फोरम में पारित किए गए प्रस्ताव में लोगों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने यानि विश्व बंधुत्व के महत्व पर जोर दिया गया.

The 2nd International Buddhist Forum organised by Republic of Buryatia, Traditional Buddhist Sangha of Russia and the Foundation for the #Promotion of Buddhist #Education and Research, (12-14 August 2024) Ulan Ude, Republic of Buryatia, Russia.
Secretary General, International pic.twitter.com/UuAH9Syont
— International Buddhist Confederation (IBC) (@IbcWorldOrg) August 14, 2024

प्रस्ताव में महत्वपूर्ण रूप से उल्लेख किया गया कि “बौद्ध धर्म मानव जाति की सबसे बड़ी आध्यात्मिक उपलब्धियों में से एक है,जिसने एक विशाल सांस्कृतिक परंपरा का निर्माण किया हैऔर हजारों वर्षों से दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों और लोगों के बीच संबंधों की स्थापना को बढ़ावा दिया है.”
प्रस्ताव में कहा गया कि “बौद्ध धर्म के भीतर सभी स्कूल और आंदोलन व्यापक बौद्ध आंदोलन में समान भूमिका निभाने पर बल दिया जायेगा.” प्रस्ताव में “आधुनिकता से उत्पन्न चुनौतियों के आलोक में,सम्मेलन ने पारंपरिक आध्यात्मिक मूल्यों,ज्ञान,करुणा और आध्यात्मिक अनुशासन के संरक्षण” की वकालत की गई.
प्रस्ताव में बौद्ध समुदाय व्यक्तियों को शिक्षित करने, राष्ट्रीय रीति-रिवाजों को बढ़ावा देने, पारंपरिक मूल्यों की रक्षा करने और धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए राज्य और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ सक्रिय सहयोग में संलग्न हैं.
उग्रवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने का विरोध
प्रस्ताव में कहा गया कि “हम अंतर्धार्मिक शत्रुता बोने, बौद्ध धर्म और अन्य आध्यात्मिक शिक्षाओं को विनाशकारी पंथों और विचारधाराओं में बदलने, विभिन्न बौद्ध स्कूलों और धाराओं के बीच संघर्ष पैदा करने, मानवहितों और अधिकारों का उल्लंघन करने और अन्य आंदोलनों को बदनाम करने के किसी भी प्रयास का विरोध करते हैं.बौद्ध धर्म एक समावेशी शिक्षा है जिस पर किसी विशेष समूह का एकाधिकार नहीं हो सकता लिहाजा शत्रुता भड़काना, उग्रवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने का विरोध किया जाता है.”
इसमें यह भी कहा गया है, “बौद्ध जगत के देशों के साथ मानवीय सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय संवाद को बढ़ावा दिया जायेगाऔर बौद्ध समुदाय, बौद्ध दर्शन, शिक्षा और आध्यात्मिक अभ्यास के विकास, सामंजस्यपूर्ण इंटरस्टेट संबंधों के निर्माण, ट्रेडिशनल आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के संरक्षण के विकास में पंडितो खंबो लामा के महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करते हैं.
प्रस्ताव के आखिर में ये भी कहा गया कि तीसरे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध मंच की मेजबानी अगले वर्ष रूसी संघ में कलमीकिया गणराज्य में की जाएगी. यहां सबसे खास बात जो जानना जरूरी है कि रूस के बौद्ध परंपरा में पिछले 260 वर्षों से पंडितोंखंबो लामा की विरासत में गहराई से निहित है.पंडितो खंबो लामा रूस में बौद्धों के आध्यात्मिक गुरु के रूप में शीर्ष पर हैं.पंडितो खंबो लामा को समय-समय पर परमपावन दलाई लामा का भी आशीर्वाद प्राप्त होता रहा है.संयोग से ‘पंडितो’ शब्द भारतीय शब्दावली से आया है जहां हजारों वर्षों से प्रकांड विद्वत व्यक्ति के लिए ‘पंडित’ शब्द का प्रयोग होता रहा है.रूस में मुख्य तौर पर तिब्बती परंपरा के आधार पर ही बुद्धिज़्म को मानने वाले लोग रहते हैं.
रूस में 15 लाख से ज्यादा बौद्ध धर्म मानने वाले लोग
यहां ये जानना दिलचस्प होगा कि रूस के तीन राज्यों में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं.रूसी संघ के बुर्याटिया, तुवा और कलमीकिया राज्य में बुद्धिज़्म को पारंपरिक धर्म का दर्जा प्राप्त है.रूस में लगभग 15 लाख से ज्यादा बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं.
ऐतिहासिक रूप से रूस ने 1741 में ही बौद्ध धर्म को अपने आधिकारिक धर्म के रूप में मान्यता दे दी थी, लेकिन कम्युनिस्ट विचारधारा के शासन के दौरान सोवियत संघ में 1917 से 1999 के बीच रूस में किसी भी धर्म के लिए कोई जगह नहीं थी. सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने चार धर्मों को (ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम और यहूदी धर्म) आधिकारिक तौर पर मान्यता दी.
खास बात ये है कि इस फोरम की बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी संदेश भेजा, जिसे राष्ट्रपति प्रशासन के डिप्टी हेड ने पढ़ा था.इसमें पुतिन ने कहा था कि बुद्धिज़्म आज विश्व की जरूरत है और इसके नीतियों के प्रचार प्रसार से विश्व को बड़ा फायदा होगा.राष्ट्रपति पुतिन का ये कदम बुद्धिज्म की अहमियत और मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में इसकी भूमिका को दिखाता है.
राष्ट्रपति पुतिन ने मंगोलिया का किया था दौरा
यहां ये बताना आवश्यक है कि अभी हाल में राष्ट्रपति पुतिन ने मंगोलिया का दौरा किया.मंगोलिया में अपने तमाम कार्यक्रमों के अलावा वो बौद्ध मठ भी गए.मंगोलिया दौरे से पहले राष्ट्रपति पुतिन ने रूस के तुवा में भी बौद्ध मठ का भ्रमण किया था.रूसी राज्य तुवा में बौद्ध धर्म मानने वालों की बड़ी आबादी है.
रूस में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध फोरम (IBF)की तीन दिनों की बैठक जिस जगह पर आयोजित किया गया वो राज्य बुर्याटिया भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से मंगोलिया के करीब है.रूस की राजधानी मॉस्को से लगभग 5000 किलोमीटर दूर स्थित बुर्याटिया गणराज्य दुनिया के सबसे बड़े ताजे पानी के भंडार बैकाल झील के लिए विश्व स्तर पर जाना जाता है.लगभग 23000 वर्ग किलोमीटर में फैला यह झील अकेले विश्व के कुल ताजे पानी के भंडार का लगभग 20 प्रतिशत पानी रखता है.
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ निभा रहा है अग्रणी भूमिका
यहां ये जिक्र करना आवश्यक है कि भारत सबसे बड़ी बौद्ध आबादी का देश है, जहां लगभग 8.5 मिलियन बौद्ध रहते हैं. बौद्ध धर्म के दो शीर्षस्थ आध्यात्मिक बौद्ध गुरु दलाई लामा और पंचेन लामा के विराजमान होने से स्पष्ट है कि भारत ‘बौद्ध सर्किट’ में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भारत विश्वस्तर पर मान्यता प्राप्त बौद्ध धर्म का उद्गमस्थल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पिछले 15 वर्षों से बौद्ध मत के द्वारा भारत को विश्व के साथ जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य हो रहा है. और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट फोरम में भारत का सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल इस बात को दर्शाता है. बुर्याटिया गणराज्य ने हाल ही में बौद्ध धर्म पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय फोरम आयोजित किया तो 13 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश कर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
दरअसल, भारत नवंबर 2024 में विश्व बौद्ध मीडिया कॉन्क्लेव आयोजित करने जा रहा है, जिसमें दुनिया भर के कई देशों से प्रतिनिधिमंडलों के शामिल होने की संभावना है.अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन यानी IBC भारत और विश्व स्तर पर बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने पर काम करने वाले शीर्ष के संस्थाओं में शुमार है.IBC ने हाल में बुर्याटिया में आयोजित इस बैठक में भारतीय परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करने में भी बड़ी भूमिका निभाईहै.

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