रेप और मर्डर में फॉरेंसिक टीम क्या-क्या साक्ष्य इकट्ठा करती है, आरजी कर हॉस्पिटल में क्या सबूत नष्ट हो गए?
कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज की एक ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और रेप मामले में हर दिन कुछ न कुछ बड़ी घटना हो रही है. हत्या और रेप के विरोध में देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच गुरुवार रात को कॉलेज में एक हिंसक भीड़ ने तोड़फोड की है. फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. इससे दो दिन पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने आरोप लगाया था की मेडिकल कॉलेज के जिस सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ घटना हुई थी. उस हॉल को खुला रखा गया था. जो एक लापरवाही है. हालांकि पुलिस इस आरोप से इंकार कर रही है. ट्रेनी डॉक्टर की हत्या मामले में फॉरेंसिक टीम ने घटना स्थल ( सेमिनाल हॉल) की जांच कि है और वहां मौजूद सबूतों को एकत्र किया है.
रेप और मर्डर की घटनाओं में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स क्या साक्ष्य इकट्ठा करते हैं और अगर समय पर सेमिनार हॉल को सील नहीं किया जाता तो क्या इससे जांच पर असर पड़ता है? यह जानने के लिए हमने फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स से बातचीत की है.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स क्या सबूत एकत्र करते हैं?
दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में फॉरेंसिक विभाग में डॉक्टर और मेडिकल ऑफिसर डॉ बीएन मिश्रा बताते हैं की अपराध को वैज्ञानिक रूप से साबित करने के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट्स घटना स्थल से कई तरह के सबूत एकत्र करते हैं. इसमें खून के धब्बे, सिगरेट या बीड़ी के चुकड़े ( अगर हो तों) शराब की बोतल ( अगर हो तो) पुरुष के सीमन, बाल, नाखून, कपड़े और कोई अलग चीज जैसे अगर घटना स्थल पर रुई , कोई कांच, महिला की चूड़ी, कंगन, बैंड, हेयर क्लीप और आसपास अगर कोई हथियार जैसे चाकू, रोड़, कटर, ब्लेड, रस्सी, सुईं है तो इसकी भी जांच की जाती है.अगर घटना स्थल पर कोई मादक पदार्थ, कपड़ा या फिर कोई भी ऐसी चीज जो संदिग्ध है उसके सैंपल को उठा लिया जाता है.
कई मामलों में मौका एक वारदात पर फोन भी मिल जाता है. इसको डिजिटल सबूत कहते हैं. डॉ मिश्रा कहते हैं की फॉरेसिक एक्सपर्ट्स के लिए फिंगरप्रिंट भी बहुत जरूरी होता है. यह किसी भी तरह के अपराध का पता लगाने में काफी मददगार साबित होता है. ऐसे मामलों में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का भी अहम रोल होता है. पोस्टमॉर्टम से यह पता चलता है की हत्या किस समय हुई,कैसे हुई? पहले रेप हुआ या पहले हत्या की गई. शरीर पर किसी हथियार के निशान तो नहीं है और क्या कार्डियक अरेस्ट तो नहीं आया था.
घटना स्थल को तुरंत सील करना कितना जरूरी
डॉ. मिश्रा बताते हैं की इस तरह की वारदात में घटना स्थल को तुरंत सील किया जाना जरूरी है. यह जरूरी है की फॉरेंसिक टीम के घटना स्थल पर पहुंचने से पहले सबूतों को साथ छेड़छाड़ न हो. अगर ऐसा हुआ है तो सबूत एकत्र करने में समस्या हो सकती है, हालांकि आजकल फॉरेंसिक टीमें विशेष उपकणों का यूज करती हैं. इसके लिए हाई तकनीक वाली टार्च का भी उपयोग करते हैं, जिनसे एक खास तरह की लाइट निकलती है, इसके उन छोटे सबूतों को देखा जा सकता है जो नंगी आंखों से नहीं दिखते हैं. फेनोलोफ्थेलिन नाम के एक केमिकल का यूज किया जाता है यह घटना स्थल पर पड़े खून के धब्बों की पहचान कर लेता है.
फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ में एक केमिकल का यूज करते हैं उंगलियों के ऐसे निशानों को देखा जा सकता है जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते है. इस सब सबूतों के अलावा मृतक के शरीर पर भी काफी सबूत मिल जाते हैं. जिससे मामले की जांच की जाती है. हालांकि फिर भी यह बहुत जरूरी है की घटना स्थल को तुरंत सील कर दें. क्योंकि अगर किसी हथियार से घटना हुई है और वह हथियार वहां से गायब किया गया है तो इसके न होने की स्थिति में कई मामलों में कोर्ट में अपराध साबित करना मुश्किल हो जाता है. सबूत के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ मामले की जांच पर असर डाल सकती है
क्या मुश्किल होगी मामले की जांच?
जीटीबी हॉस्पिटल में फॉरेंसिक विभाग में डॉ अनिल कुमार बताते हैं की सबूतों का सही सैंपल लेना भी बहुत जरूरी है. उदाहरण के तौर पर अगर सैंपल को ठीक से एकत्र और सील नहीं किया जाता है, तो सही परिणाम नहीं आते हैं. रेप के मामलों में, आम तौर पर प्रत्यक्षदर्शी मुश्किल मिलता है और अदालतें अक्सर फोरेंसिक सबूतों पर ही निर्भर रहती हैं. अगर सबूतों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ होती है तो आरोप साबित होना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में सही सबूत मिलना जरूरी है.
डॉ कुमार बताते हैं की किसी भी तरह की हत्या में कोई न कोई मोटिव जरूर होता है. इस मोटिव के आसपास की कड़ी जोड़कर मामले की जांच की जाती है, लेकिन अदालत थ्यौरी पर नहीं सबूतों पर चलती है और सभी जरूरी सबूत घटना स्थल पर मौजूद होते हैं. घटना स्थल को सील इसलिए किया जाता है क्योंकि घटनास्थल में प्रवेश करने या बाहर निकलने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपराध स्थल से किसी सबूत को जोड़ सकता है या घटा सकता है. जिससे जांच में परेशानी खड़ी हो सकती है.
ऐसे में इस मामले की जांच इस बात पर निर्भर करेगी की सबूतों के साथ छेड़छाड़ तो नहीं हुई है. हालांकि अब ये मामला सीबीआई के हाथों में है और इस पूरे मामले में क्या सबूत मिले हैं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अहम रोल होगा.