रेबीज का इंजेक्शन कुत्ते या बंदर के काटने से पहले लगवाएं या बाद में? एक्सपर्ट्स ने बताया
कुत्ता, बंदर या किसी दूसरे जंगली जानवर ने कभी आपको काटा होगा तो आपने रेबीज का इंजेक्शन लगवाया होगा. ये टीका इसलिए लगवाते हैं ताकि शरीर में रेबीज का इंफेक्शन न हो. लेकिन क्या कुत्ते या बंदर के काटने के बाद ही इंजेक्शन लगवाना चाहिए. या फिर इसको पहले से ही लगवाना बेहतर होता है. अब आपके मन में यह सवाल भी उठ रहा होगा की जब जानवर ने काटा ही नहीं है तो इंजेक्शन क्यों लगवाएं. बिना वजह टीका लगवाने का क्या ही मतलब है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है. लेकिन पहले जान लेते हैं कि रेबीज होता क्या है.
रेबीज़ एक घातक वायरस है जो संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है. रेबीज वायरस आमतौर पर जानवरों काटने से फैलता है. जिन जानवरों से रेबीज़ फैलने की सबसे अधिक संभावना है उनमें कुत्तों, बंदरों, बिल्ली और चमगादड़ से लोगों में रेबीज़ फैलने की सबसे अधिक आशंका होती है. एक बार जब किसी व्यक्ति में रेबीज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तो यह बीमारी काबू में नहीं आ सकती है और मरीज की मौत हो जाती है. रेबीज शरीर में जब फैल जाता है तो शुरुआत में हल्के लक्षण होते हैं. इनमें बुखार, सिरदर्द से शुरुआत होती है, लेकिन बाद में घबराहट, चिंता, मुंह से लार आना, भोजन निगलने में कठिनाई और दिमाग पर काबू न रहना जैसी परेशानी होने लगती है.
कब लगवाना चाहिए रेबीज का टीका
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि रेबीज के टीके को आप सामान्य तौर पर भी लगवा सकते हैं. मेडिकल साइंस में यह कहावत भी है की प्रीवेंशन इज़ बेटर दैन क्योर’ यानी रोकथाम इलाज से बेहतर है. डॉ किशोर कहते हैं कि रेबीज का इंजेक्शन इस बीमारी का इलाज नहीं है. यह बचाव है. यानी ऐसा नहीं है की आपको कुत्ते या किसी जानवर ने काट लिया और 10 दिन बाद रेबीज का टीका लगवाया तो आप ठीक हो जाएंगे. ऐसा नहीं होता है. एक बार शरीर में रेबीज का वायरस घुस गया और इसके लक्षण दिखने लग गए तो रेबीज का टीका आपको बचा नहीं सकता है. ऐसे में बचाव के तौर पर इस टीके को लगवा सकते हैं.
खासतौर पर जो लोग हाई रिस्क वाले हैं जैसे जो पालतू जानवरों के संपर्क में रहते हैं और जिनके घर में पालतू जानवर रहते हैं उनको रेबीज का इंजेक्शन जरूर लगवा लेना चाहिए. इससे यह फायदा होगा की अगर कभी जानवर काटता भी है तो रेबीज की बीमारी होने का रिस्क नहीं रहेगा. पहले से ही टीका लगा रहेगा तो कुत्ते या किसी दूसरे जानवर के काटने के बाद भी रेबीज का रिस्क नहीं होगा.
इतने समय में टीका लगवाना जरूरी
डॉ किशोर कहते हैं कि इस बात का ध्यान रखें कि हाई रिस्क वाले लोग रेबीज का टीका लगवा लें. अगर टीका नहीं लगवाया है और कभी किसी जानवर ने काट लिया तो 24 से 72 घंटे के भीतर टीका हर हाल में लगवा लें. इसके बाद वैक्सीन लगवाने का कोई खास फायदा नहीं होता है. इतने समय के बाद रेबीज का वायरस शरीर में चला जाता है और इस बीमारी के लक्षण शुरू हो जाते हैं. एक बार लक्षण आ जाते हैं तो वैक्सीन का कोई फायदा नहीं होता है. इस स्थिति में मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है. यही कारण है की देखा जाता है की कुछ लोग रेबीज का टीका लगवाने के बाद भी बीमार हुए और उनकी मौत हो गई. यह टीका देरी से लगवाने के कारण होता है.
कितनी डोज जरूरी
रेबीज का टीका इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है. आमतौर पर आपको 28 दिनों में 3 खुराकें दी जाती हैं. लगभग 95% लोगों को रेबीज की तीन डोज से इस बीमार से सुरक्षा मिल जाती है. सुरक्षा कितने समय तक चलती है यह अलग-अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह कम 2 साल तक चलती है, रेबीज केजोखिम वाले लोगों को सुरक्षित रहने के लिए रेबीज वैक्सीन की 1 या अधिक बूस्टर डोज हर 2 से तीन साल में ले लेनी चाहिए. इससे लंबे समय तक बीमारी से बचाव रहेगा.