लंदन ओलंपिक: कैसे मैरी कॉम के ‘पंच’ और सायना नेहवाल के ‘शटल’ से बना मेडल्स का रिकॉर्ड?

लंदन ओलंपिक 2012 भारत के दूसरा सबसे सफल और ऐतिहासिक ओलंपिक रहा है. इसमें भारत से कुल 83 एथलीट्स ने 13 खेलों में हिस्सा लिया था. इन 83 एथलीट में 60 पुरुष और 23 महिला एथलीट्स शामिल थीं. टीम आधारित खेलों में भारत के तरफ केवल हॉकी टीम ही क्वालिफाई कर सकी थी. इस एडिशन में भारतीय दल उस वक्त तक सबसे ज्यादा 6 मेडल जीते थे, जिसमें 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज शामिल थे. इतना ही नहीं बीजिंग ओलंपिक के दौरान डोपिंग में नाम आने के बाद, दो साल तक इंटरनेशनशनल सस्पेंशन झेलकर भारत ने इस साल वेटलिफ्टिंग में भी वापसी की थी. वैसे लंदन ओलंपिक में भारत को कई सलफताएं मिलीं, लेकिन इसे मैरी कॉम और सायना नेहवाल के ऐतिहासिक मेडल के लिए याद किया जाता है.
मैरी कॉम और सायना नेहवाल का ऐतिहासिक कारनामा
लंदन ओलंपिक में 6 मेडल जीतकर भारत ने उस वक्त तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया था. सायना नेहवाल और मैरी कॉम इस एडिशन की सबसे चर्चित एथलीट रही थीं. जहां सायना ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर कारनामा किया था. वहीं मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में ऐतिहासिक मेडल जीता था.
लंदन ओलंपिक में सायना नेहवाल ने जीता था ब्रॉन्ज मेडल.इससे पहले कोई भी भारतीय महिला एथलीट बैडमिंटन या बॉक्सिंग में कोई मेडल नहीं ला सकी थीं. इसलिए महिला खिलाड़ियों के नजरिए से ये भारत के लिए बहुत सुनहरा पल था. इन दोनों खिलाड़ियों से ही प्रेरित होकर बाद में पीवी सिंधू और लवलीना बोरगोहेने जैसी महिला एथलीट्स ने भारत के लिए बैडमिंटन और बॉक्सिंग में मेडल जीता.
मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में जीता ब्रॉन्ज मेडल.
शूटिंग में दोबारा हुआ कमाल
2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा शूटिंग में ऐतिहासिक गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. हालांकि, 2012 के लंदन ओलंपिक में वो फाइनल राउंड तक नहीं जा सके, लेकिन इस बार विजय कुमार और गगन नारंग ने ये जिम्मेदारी उठाई. लंदन ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने पहले भारतीय थे और उन्होंने ही 2012 में मेडल टैली का खाता भी खोला. नांरग ने 10 मीटर एयर राइफल में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था. उनके बाद शूटिंग दल के साथी खिलाड़ी विजय कुमार कमाल किया. उन्होंने 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता. इस खेल में ये भारत के ओलंपिक इतिहास का पहला सिल्वर था.
गगन नारंग (बाएं) ने लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज और विजय कुमार (दाएं) ने शूटिंग में सिल्वर मेडल जीता था. (Photo: Getty Images)
सुशील कुमार ने रचा था इतिहास
बैडमिंटन, बॉक्सिंग और शूटिंग दल के कारनामे के बाद भारतीय रेसलर्स भी कहां पीछे रहने वाले थे. सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त ने एक-एक मेडल हासिल कर भारत के मेडल टैली को 6 पर पहुंचा दिया, जो उस वक्त सर्वाधिक मेडल जीतने का रिकॉर्ड बन गया. इस रिकॉर्ड को भारतीय एथलीट्स ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में तोड़ा था. 60Kg मेन्स फ्री स्टाइल रेसलिंग में योगेश्वर दत्त ने उत्तर कोरिया के जोंग म्योंग को हराकर तीसरा स्थान हासिल किया और रेसलिंग में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता. ये लंदन ओलंपिक में भारत का पांचवां मेडल था.
अब बारी थी 2008 के ओलंपिक मेडल विनर सुशील कुमार की. सुशील बीजिंग ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतककर पहले ही कारनामा कर चुके थे. अब उनसे और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, जिस पर वो खरे उतरे. उन्होंने इस बार सिल्वर मेडल जीता और इसके साथ ही दो इंडिविजुअल ओलंपिक मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बन गए.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *