लंदन में 2023 में भारतीय उच्चायोग पर हमले के मामले में एक्शन, NIA ने चार्जशीट दाखिल की
लंदन में भारतीय उच्चायोग पर 2023 में हुए हमले की जांच मामले में एनआईए ने बड़ा एक्शन लिया है. एनआईए ने भारतीय उच्चायोग पर हमले के मुख्य आरोपी के खिलाफ दिल्ली की एक विशेष एनआईए अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किया. एनआईए की ओर से दायर आरोपपत्र में हाउंसलो में रहने वाले और मूल रूप से नई दिल्ली के रहने वाले ब्रिटेन के नागरिक इंद्रपाल सिंह गाबा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया.
चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपी ने खालिस्तानी अलगाववादी एजेंडे के तहत 22 मार्च, 2023 को लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने भारत विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था और प्रदर्शन किया था. अब उसके खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया गया.
ब्रिटेन के नागरिक इंद्रपाल सिंह गाबा को एनआईए ने 25 अप्रैल अरेस्ट किया था. उस पर अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे.
अटारी सीमा पर से गाबा को किया गया था अरेस्ट
आरोपी दिसंबर 2023 में लंदन से पाकिस्तान आया था और पाकिस्तान से वह अटारी सीमा से पार करने की कोशिश कर रहा था. उस समय वहां मौजूद आव्रजन अधिकारियों ने उसके खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर के मामले में उसे गिरफ्तार किया था.
इंद्रपाल सिंह गाबा के खिलाफ एनआईए ने जांच शुरू की और एनआईए की ओर से निर्देश दिये गये कि जांच जारी रहने तक वह देश नहीं छोड़े.
एनआईए की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस मामले में महीनों तक चली जांच के दौरान आरोपी का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया था. इस मोबाइल फोन से लंदन में भारतीय उच्चायोग पर 2023 में हुए हमले की घटना के कई आपत्तिजनक वीडियो और फोटो पाये गये थे.
उच्चायोग पर हमले में शामिल था गाबा
मोबाइल फोन से मिले डेटा की एनआईए जांच की. जांच के दौरान गाबा की संलिप्तता की पुष्टि हुई. एनआईए की अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि 2023 में लंदन में हुए हमला के पीछे इसने साचिश रची थी. यह साजिश पंजाब पुलिस ने वारिस पंजाब डे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई के प्रतिशोध में रची गई थी और हमले को अंजाम दिया गया था.
एनआईए के बयान में कहा गया है कि इस हमले का उद्देश्य संगठन और उसके नेता पर कार्रवाई को प्रभावित करना था. जांच एजेंसी एनआईए का कहना है कि लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हिंसक हमले का उद्देश्य भारत विरोधी था और पंजाब राज्य को भारत से अलग करके खालिस्तान की मांग को बढ़ावा देना था.