लड़ेंगे और खुद को निर्दोष साबित करेंगे…5 महीने बाद जेल से रिहा होने पर बोलीं के. कविता
दिल्ली आबकारी नीति के कथित घोटाले के मामले में एक तरफ जहां अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं, वहीं इस मामले में फंसे नेता एक-एक कर बाहर आ रहे हैं. फिर चाहे वो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हों या मंगलवार को 5 महीने बाद जेल से बाहर आईं बीआरएस नेता के. कविता. बीआरएस नेता को ये जमात सुप्रीम कोर्ट ने दी है. ये करीब 5 महीने से जेल की सलाखों के पीछे थीं. इन्हें मार्च में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था.
जेल परिसर से बाहर निकलते ही उनके स्वागत के लिए जेल के बाहर कई बीआरएस कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने ढोल बजाए. इस दौरान कविता के भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी. रामा राव भी मौजूद थे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीआरएस नेता की हिरासत की अब जरूरत नहीं है, क्योंकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों ने उनके खिलाफ अपनी जांच पूरी कर ली है.
लड़ेंगे और खुद को निर्दोष साबित करेंगे- के.कविता
तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद कविता ने कहा, ‘हम लड़ेंगे और खुद को निर्दोष साबित करेंगे. पूरा देश जानता है कि मुझे राजनीतिक कारणों से जेल में डाला गया था. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है.’ कविता तिहाड़ की जेल नंबर छह से बाहर निकलीं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें 15 मार्च को हैदराबाद में बंजारा हिल्स से उनके आवास से गिरफ्तार किया था. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें 11 अप्रैल को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था.
परिवार से मिलकर भावुक हो गईं बीआरएस नेता
मीडिया से बात करते हुए कविता ने कहा कि राजनीति के चलते मुझे साढ़े 5 महीने तक जेल में रखा गया लेकिन मैं और मेरी पार्टी BRS और मजबूत हुए है. हालांकि जब वो अपने परिवार से मिली तो खुद को मजबूत नहीं रख पाई और भावुक होकर अपने परिवार से गले लगकर रोने लगीं.
वहीं मीडिया से बात करते हुए बीआरएस नेता के. कविता ने कहा, ‘हम कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ेंगे. उन्होंने गैरकानूनी रूप से हमें जेल भेजकर बीआरएस और केसीआर की टीम को अटूट बना दिया है’ उन्होंने आगे कहा,’ लगभग साढ़े पांच महीने बाद अपने बेटे, भाई और पति से मिलकर मैं भावुक हो गई। इस स्थिति के लिए केवल राजनीति जिम्मेदार है। पूरा देश जानता है कि हमें सिर्फ राजनीति के कारण जेल में डाला गया। हम लडे़ंगे और खुदको बेगुनाह साबित करेंगे.’
सीबीआई की निष्पक्षता पर उठे सवाल
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को जमानत देते हुए कहा कि कविता करीब पांच महीने से हिरासत में थीं और इन मामलों में सीबीआई और ईडी द्वारा उनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसियों से उनकी जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या वे किसी आरोपी को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं. पीठ ने पूछा कि ईडी और सीबीआई के पास ये साबित करने के लिए क्या ‘सबूत’ है कि कविता इस मामले में शामिल थी. पीठ ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए. आप किसी को चुनकर नहीं रख सकते. यह कैसी निष्पक्षता है? एक व्यक्ति जो खुद को दोषी ठहराता है, उसे गवाह बना दिया गया है. पीठ ने आगे कहा, ‘कल आप अपनी पसंद से किसी को भी आरोपी बना सकते हैं और अपनी पसंद से किसी को भी छोड़ सकते हैं? यह बहुत निष्पक्ष और उचित विवेक है!’