लेटरल एंट्री मामले में कांग्रेस पर बरसे केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव, बोले- ये UPA सरकार की देन
लेटरल एंट्री मामले में सियासत रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. केंद्र सरकार का इसके जरिए सीधी भर्ती करने वाला फैसला विवादों में है.
इसको लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है. विपक्ष का कहना है कि इससे आरक्षण पर असर पड़ेगा. विपक्षी हमले के बीच केंद्रीय मंत्री ने बड़ा पलटवार किया है. उन्होंने इसको लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करके कहा कि लेटरल एंट्री मामले पर कांग्रेस सिर्फ पाखंड कर रही है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा कि लेटरल एंट्री यानी सीधी भर्ती का विचार यूपीए के समय का है. ये यूपीए सरकार ही थी जिसने लेटरल एंट्री की अवधारणा विकसित की थी. इसके बाद दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) 2005 में यूपीए सरकार के तहत स्थापित किया गया था. इस आयेग की अध्यक्षता वीरप्पा मोइली ने की थी.
यूपीए सरकार ने की थी सिफारिश
अश्विनी वैष्णव यहीं नहीं रुके इसके आगे उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय ही एआरसी ने उन भूमिकाओं में अंतराल को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी.आगे उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है. यूपीएससी में पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्ती की जाएगी. इस सुधार से शासन में सुधार होगा.
विपक्ष ने क्यों किया हंगामा?
यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती प्रक्रिया पर विपक्ष ने खूब हंगामा मचाया है. इस मामले पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और रहुल गांधी समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने सरकार पर ये कहते हुए हमला बोला कि सरकार इसके जरिए अपने लोगों को इन बड़े पदों पर बैठाना चाहती है. इसके साथ ही विपक्ष ने ये भी कहा कि ऐसे भर्ती में लोगों को आरक्षण से वंचित रखा जा रहा है. इस मुद्दे पर बसपा सुप्रीमों ने भी विरोध जताया है.
ये भी पढ़ें- UPSC की लेटरल एंट्री क्या है, किन पदों पर निकली भर्तियां, विपक्ष ने क्यों काटा बवाल? एक क्लिक में समझें