लॉस एंजिलिस ओलंपिक: जब ऐतिहासिक मेडल से बस कुछ मिलिसेकेंड दूर रह गईं थीं ‘उड़न परी’

1984 का ओलंपिक अमेरिका के लॉस एंजिलिस में खेला गया था. ये एडिशन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा था. उस वक्त का आर्थिक रूप से सबसे सफल ओलंपिक था, जिसने भविष्य के लिए नींव भी रख दी थी. ये कोल्ड वॉर का समय था और अमेरिका ने 1980 मॉस्को ओलंपिक को बॉयकॉट किया था. इसलिए 1984 में सोवियत यूनियन समेत 14 देशों ने इस एडिशन को बॉयकॉट कर दिया था. इसका नतीजा रहा कि अमेरिका ने 68 गोल्ड मेडल जीतकर मेडल टैली में टॉप किया, जबकि 1980 में रूस ने 80 गोल्ड मेडल के साथ मेडल टैली में टॉप किया था. ये तो रही विदेशों की बात, लेकिन भारत के नजरिए से भी लॉस एंजिलिस में आयोजित ओलंपिक काफी सफल रहा था. हालांकि, इस एडिशन में भारत एक भी मेडल नहीं जीत सका था, लेकिन महिला एथलीट्स ने कमाल कर दिया था.
मेडल से चूकीं पीटी ऊषा
1984 लॉस एंजिलिस ओलंपिक में भारत के 48 खिलाड़ियों ने 7 खेलों में हिस्सा लिया था. हालांकि, इस एडिशन में एक भी मेडल भारत के हाथ नहीं लगा था, लेकिन महिला एथलिट्स के प्रदर्शन के लिए इसे याद किया जाता रहा है. उस वक्त ट्रैक रेस में दुनिया के अन्य एथलीट्स के मुकाबले भारतीय एथलीट्स कहीं नहीं टिकते थे. उस जमाने में भारत में उड़न परी और ट्रैक क्वीन के नाम से मशहूर एथलीट पीटी उषा कुछ मिलिसेकेंड से मेडल चूक गई थीं.
पीटी ऊषा ओलंपिक में जाने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय स्प्रिंटर हैं.
400 मीटर हर्डल रेस में 1/100 सेकेंड से ब्रॉन्ज मेडल गंवा दिया था. वो इस रेस में चौथे नंबर पर रही थीं. उनके पहले भारत के महान एथलीट मिल्खा सिंह ने 1960 ओलंपिक में 1/10 सेकेंड से मेडल जीतने से चूक गए थे और चौथे नंबर पर फिनिश किया था. पीटी ऊषा के अलावा शाइनी अब्राहम 800 मीटर की रेस में सेमीफाइनल तक पहुंची थीं. शाइनी ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला थीं.
बनाया एशिया का रिकॉर्ड
पीटी उषा और शाइनी अब्राहम एथलीट्स ने सिंगल इवेंट में तो कमाल किया ही था, 4*400 मीटर रीले रेस में पीटी उषा, शाइनी अब्राहम, डी वलसम्मा और वंदना राव फाइनल तक पहुंची थीं. फाइनल में चारों महिला एथलीट्स ने सबसे अंत में 7वें नंबर पर फिनिश किया था. हालांकि, पीटी उषा, शाइनी अब्राहम, डी वलसम्मा और वंदना राव कोई मेडल तो नहीं सकीं, लेकिन उन्होंने 3 मिनट 32.49 सेकेंड में रेस पूरा किया और एशिया का रिकॉर्ड बनाया.
हॉकी टीम थी फेवरेट, लेकिन हो गईं फेल
भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक में सुनहरा इतिहास रहा था. आजादी के पहले से ही टीम का इस खेल में दबदबा रहा था. इतना ही भारतीय हॉकी टीम 1980 के मॉस्को ओलंपिक समेत कुल 8 गोल्ड मेडल जीता चुकी थी. इसलिए 1984 में भी उसे सबसे फेवरट माना जा रहा था. इस एडिशन टीम के कप्तान रहे जफर इकबाल के मुताबिक, भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक के बेस्ट टीम थी. सभी ऑस्ट्रेलिया और भारत को फाइनल मुकाबले में देख रहे थे.
1984 लॉस एंजिलिस ओलंपिक के सेमीफाइनल में नहीं क्वालिफाई कर सकी थी टीम इंडिया. (Photo: Michael Montfort/Michael Ochs Archives/Getty Images)
सेमीफाइनल खेलने के लिए भारतीय टीम को वेस्ट जर्मनी को हराना था और मुकाबले में दोनों टीमों का स्कोर 0-0 था और खेल खत्म होने केवल 3 मिनट रह गए थे. कप्तान जफर इकबाल को एक मौका भी मिला, लेकिन वो गोल दागने में असफल रहे. मैच ड्रॉ हो जाने के कारण टीम ने पांचवें स्थान पर फिनिश किया और आगे नहीं बढ़ पाई. बता दें कि इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम केवल 1 मैच हारी थी और एक ड्रॉ मैच के कारण बाहर होना पड़ गया था.

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