लोकसभा चुनाव 2024 : 7वें चरण तक आते-आते कैसे बदला सियासी दलों का एजेंडा?

30 मई यानी 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार का आखिरी दिन. 1 जून को अंतिम चरण के मतदान के साथ ही सबकी नजर अब 4 जून पर टिक जाएगी जब नतीजों के आंकड़ों की बरसात होगी. कौन जीता, कौन हारा या फिर किसके कितने नंबर आए; ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इस बार का चुनावी अभियान पिछले चुनावों के मुकाबले कुछ खास शब्दों और तेवर के लिए याद किया जाएगा. मानो अबकी बार आखिरी वार का दांव था. और इस दांव में किसी भी दल के लिए कोई एक मुद्दा स्थिर नहीं रह सका. जैसे-जैसे चुनावी चरण आगे बढ़ते गए, मुद्दे भी बदलते गए. बीजेपी शुरू से ही 400 पार के नारे लगाती रही तो कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेता संविधान और लोकतंत्र बचाओ के नारे के साथ मैदान में कूदे.
बीजेपी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को मुस्लिमपरस्त से लेकर राम विरोधी भी बनाते से नहीं चूकीं. 16 मार्च को जैसे ही चुनाव आयोग की टीम ने सात चरणों में मतदान की तारीखों का ऐलान किया, राजनीतिक दलों के नेता जुबानी तीर और तरकश लेकर मैदान-ए-जंग में कूद पड़े. सबसे पहले बीजेपी की तरफ से अबकी बार 400 पार के नारे गूंजे. इस नारे की गूंज इतनी दूर तलक गई कि यह बीजेपी के लिए एक प्रकार की ढाल बन गई. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बीजेपी को हराने की बजाय 400 पार के आंकड़े को रोकने में ही अपनी ऊर्जा लगा दी.
गारंटी बनाम गारंटी
19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैलियों से भी पहले से गारंटी शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे और केंद्र की हरेक कल्याणकारी योजना को उन्होंने मोदी की गारंटी का नाम दिया था. लेकिन चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता गया, गारंटी बनाम गारंटी का संग्राम और बढ़ गया. पीएम मोदी के जवाब में कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में 5 न्याय और 25 गारंटी का ऐलान किया तो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दस गारंटियों की घोषणा कर दी. जब इन गारंटियों पर बहस होने लगी तो कांग्रेस ने दावा किया कि सबसे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उसने अपने घोषणापत्र में गारंटी का इस्तेमाल किया था. देखना होगा नतीजे में किसकी गारंटी का कितना असर दिखाई देता है.
मंगलसूत्र पर महाभारत
पहली बार किसी चुनावी भाषण में मंगलसूत्र शब्द भी सुनने को मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलसूत्र के बहाने कांग्रेस पार्टी और उसके घोषणापत्र पर ताबड़तोड़ हमले किये. दरअसल कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि सत्ता में आने पर संपत्ति की असमानता पर विचार किया जाएगा, इसी में राष्ट्रीय स्तर पर संपत्ति के सर्वे का भी जिक्र था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने संपत्ति बंटवारे से जोड़ दिया. बात मंगलसूत्र से शुरू होकर घर-बागीचा और गाय-भैंस के छीन लेने तक पहुंच गई. प्रधानमंत्री मोदी ने इसे शहरी नक्सलवाद से भी जोड़ा तो मुस्लिम लीग से भी. दूसरी तरफ ऐन मौके पर जब अमेरिकी विरासत कर के संबंध में सैम पित्रोदा ने अपनी राय रखी तो बीजेपी ने उसे भी चुनाव प्रचार में एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया और राहुल गांधी पर आक्रामक हमले किये.
मुस्लिमों को आरक्षण का मुद्दा
संपत्ति बंटवारे पर संग्राम के बीच ही मुस्लिमों को आरक्षण का मुद्दा भी जोर-शोर से उछला जो सातवें चरण तक जारी है. इसी बीच देश के संसाधन पर पहला अधिकार के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान निकाला गया और उसके बाद ओबीसी कोटे में मुस्लिमों के आरक्षण को लेकर न केवल कांग्रेस बल्कि इंडिया गठबंधन के सारे दल निशाने पर आ गए. प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के सारे नेताओं ने कर्नाटक में मुस्लिमों को ओबीसी कोटे के तहत दिये जाने वाले आरक्षण को धार्मिक आधार पर दिया गया आरक्षण बताया और हमला बोला कि कांग्रेस पार्टी इसे पूरे देश में लागू करना चाहती है.
घुसपैठिया, वोट जिहाद और लव जिहाद
चुनाव प्रचार में मुस्लिम आरक्षण पर विपक्ष के खिलाफ बीजेपी को सबसे बड़ा हथियार तब हाथ लगा जब कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 77 मुस्लिम जातियों को ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिया. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने भी बात कही लेकिन संदेशखाली मामले से निशाने पर आई टीएमसी सरकार ऐन चुनाव के बीच पूरे मामले में भी बैकफुट पर नजर आई. बीजेपी ने सवाल ये भी उठाया कि मुस्लिमों को आरक्षण देने के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन के नेता खामोश क्यों हैं?
खुद प्रधानमंत्री मोदी ने जब-जब पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में जाकर रैलियां की, उन्होंने जिन दो शब्दों का इस्तेमाल करके कांग्रेस, जेएमएम, आरजेडी और टीएमसी पर हमला किया, वो शब्द थे- घुसपैठिया और वोट जिहाद. पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल और झारखंड की सरकारों को राज्य में घुसपैठियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि घुसपैठियों की बढ़ती संख्या से झारखंड की आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. पिछले दिनों उन्होंने झारखंड को लव जिहाद शुरुआत करने वाला पहला स्टेट भी बताया था.
विपक्ष का संविधान बचाओ अभियान
इस चुनाव में संविधान और लोकतंत्र बचाओ का नारा प्रथम चरण के चुनाव से भी पहले से चल रहा है. विपक्षी दल सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता को खत्म करने का आरोप काफी पहले से लगाते आ रहे हैं. लेकिन जैसे ही बीजेपी नेताओं ने 400 पार का नारा लगाना शुरू किया, इंडिया गठबंधन एकजुट हो गया. और इसे संविधान बदलने की साजिश बताना शुरू कर दिया. चुनावी रैलियों में राहुल गांधी मंच पर संविधान लेकर नजर आने लगे. राहुल गांधी का अब तक का कोई भी ऐसा भाषण नहीं, जिसमें उन्होंने ये न कहा हो कि बीजेपी संविधान को खत्म करना चाहती है. राहुल गांधी के साथ अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल और तेजस्वी यादव भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर नजर आए.
संविधान पर विपक्षी दलों को जवाब
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने सारे इंटरव्यूज में इस मुद्दे पर बेबाकी से अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि संविधान बदले जाने का आरोप बेबुनियाद है. उन्होंने इस आरोप का पुरजोर खंडन किया और कहा कि अगर संविधान बदलने की मंशा होती तो पहले के दोनों कार्यकाल में भी बदल दिया गया होता. लेकिन इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लिया और कहा जिस पार्टी की सरकार में सौ से ज्यादा बार संविधान संशोधन हुए, जिसने देश को आपातकाल जैसा जख्म दिया, वह संविधान और लोकतंत्र की हत्या की बात न ही करे, तो अच्छा.

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