लोकसभा में राहुल गांधी के FAB 4, ऐसे साधा जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का दांव

बजट सत्र से पहले कांग्रेस ने लोकसभा में राहुल गांधी की संसदीय कोर टीम का गठन कर दिया है. पार्टी ने तीसरी बार असम से चुनाव जीते तेज-तर्रार युवा सांसद गौरव गोगोई को लोकसभा में पार्टी का उपनेता बनाया तो केरल से आठ बार के सांसद के सुरेश को लोकसभा में मुख्य सचेतक बनाकर अहम जिम्मेदारी सौंपी है. वहीं, तमिलनाडु से आने वाले सांसद मणिक्कम टैगोर और बिहार के किशनगंज से सांसद मो. जावेद को लोकसभा में सचेतक नियुक्त किया गया है. इस तरह कांग्रेस ने राहुल की इस टीम के जरिए सियासी समीकरण को साधने और क्षेत्रीय बैलेंस को बनाने का खास दांव चला है.
लोकसभा में कांग्रेस को 10 साल के बाद आधिकारिक तौर पर नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है. कांग्रेस इस बार 99 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही है, जिसके चलते कांग्रेस और विपक्ष के हौसले बुलंद हैं. लोकसभा में इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रहे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सदन में सहयोग देने के लिए जुझारू और मुखर चेहरों को महत्वपूर्ण संसदीय जिम्मेदारी सौंपी गई है. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में उपनेता नियुक्त करने के साथ मुख्य सचेतक और दो सचेतकों की नियुक्ति का पत्र लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को भेज दिया है.
संसदीय टीम से साधा जातीय समीकरण
कांग्रेस की युवा ब्रिगेड सांसदों में मुखर चेहरा गौरव गोगोई को लोकसभा में एक बार फिर से उपनेता और मणिक्कम टैगोर को सचेतक के तौर पर राहुल गांधी की संसदीय टीम में जगह दी गई है. गोगोई और टौगोर दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं तो लोकसभा में मुख्य सचेतक बनने वाले के सुरेश दलित समुदाय से हैं. इसी तरह लोकसभा में मो. जावेद को सचेतक बनाकर मुस्लिमों को सियासी संदेश देने की कोशिश की है. इस तरह कांग्रेस ने ओबीसी, दलित और मुस्लिम समीकरण बनाने का दांव चला है.
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी संसदीय टीम में जिस तरह से वंचित समाज के नेताओं को शामिल किया है, उसके पीछे विभिन्न जातियों को प्रतिनिधित्व देकर एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने की रणनीति है. चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय की बात को जोर-शोर से उठाया था, दलित और पिछड़ों के प्रतिनिधित्व को लेकर बीजेपी और मोदी सरकार पर निशाना साध रहे थे. इसीलिए राहुल गांधी ने अपनी टीम गठन में दलित, पिछड़ों और मुस्लिम समुदाय का खास ख्याल रखा है.
कांग्रेस ने बनाया क्षेत्रीय बैलेंस
कांग्रेस ने संसदीय टीम के जरिए जातीय समीकरण के साथ-साथ क्षेत्रीय बैलेंस बनाने का भी दांव चला है. राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद है, जिन्हें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. लोकसभा में गौरव गोगोई को उपनेता बनाया है, जो असम से तीसरी बार सांसद चुनकर आए हैं. लोकसभा में मुख्य सचेतक बने के सुरेश केरल से सांसद हैं जबकि सचेतक के मणिक्कम टैगोर तमिलनाडु की विरुधनगर सीट से तीसरी बार सांसद हैं. इसी तरह सचेतक मो. जावेद दूसरी बार बिहार के किशनगंज से सांसद चुने गए हैं.
कांग्रेस ने उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर तक को सियासी संदेश देने का दांव चला है. राहुल की संसदीय टीम में दक्षिण भारत से दो लोगों को जगह दी गई है, जिसमें केरल और तमिलनाडु शामिल हैं. केरल और तमिलनाडु दोनों ही जगह 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा के चुनाव में नतीजे दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के पक्ष में रहे हैं. इसी तरह बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस ने 3 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही, जिसमें दो सीटें सीमांचल के इलाके की हैं और दोनों ही मुस्लिम हैं.
असम में 2021 में विधानसभा चुनाव है और कांग्रेस की नजर सत्ता में वापसी पर है. कांग्रेस ने गौरव गोगोई को जगह देकर पूर्वोत्तर को सियासी संदेश देने की रणनीति है. गौरव की नियुक्ति से पार्टी को मणिपुर मुद्दे को लोकसभा में उठाने में मदद मिलेगी. उनसे निचले सदन में पूर्वोत्तर की कांग्रेस की आवाज बनने की भी उम्मीद है.
18वीं लोकसभा के गठन के बाद से ही सुरेश चर्चा में
18वीं लोकसभा के गठन के बाद से ही सुरेश चर्चा में हैं. सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के बावजूद प्रोटेम स्पीकर के पद के लिए ‘अनदेखा’ किए जाने के बाद से चर्चा के केंद्र में है. मोदी सरकार और विपक्षी दलों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के चलते लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में के सुरेश ने किस्मत आजमाया था. आठ बार के सांसद के सुरेश दलित समुदाय से आते हैं, जिन्हें कांग्रेस ने मुख्य सचेतक बनाकर एक बड़ा संदेश देने की स्ट्रैटेजी है.
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विशेषकर यह देखते हुए कि नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभालने के बाद नई लोकसभा के पहले सत्र के दौरान ही राहुल गांधी ने मोदी सरकार को आगाह कर दिया था कि अब सदन की कार्यवाही एकतरफा चलाने की कोई कोशिश इंडिया गठबंधन बर्दास्त नहीं करेगा. राहुल ने मजबूत विपक्ष की एकजुटता का हवाला देते हुए कहा था कि नई लोकसभा में संख्या बल का स्वरूप बदल चुका है और विपक्ष जनता के मुद्दों को सदन में उठाने से पीछे नहीं हटेगा.
गोगोई और मणिक्कम जैसे चेहरे कांग्रेस की जरूरत
राहुल गांधी ने लोकसभा में ऐलान किया था कि सदन में वे इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियों का नेतृत्व कर रहे हैं और सबको साथ लेकर चलना उनकी जिम्मेदारी है. इस कसौटी पर गौरव गोगोई और मणिक्कम टैगोर जैसे चेहरे कांग्रेस की जरूरत हैं, जिनके कई सहयोगी दलों के सांसदों से भी बेहतर रिश्ते हैं. पिछली लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता के तौर पर गोगोई ने मोदी सरकार की मोर्चाबंदी करने से लेकर मणिपुर हिंसा पर सदन में अपने संबोधन के जरिए सबका ध्यान खींचा था. ऐसे में देखना है कि राहुल गांधी अपनी संसदीय टीम के जरिए किस तरह से लोकसभा सदन में आक्रमक नजर आते हैं.

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