लोकसभा स्पीकर के लिए विपक्ष ने उतारा उम्मीदवार, फिर क्यों नहीं मांगा डिवीजन?

ओम बिरला को एक बार फिर लोकसभा का स्पीकर चुन लिया गया है. वह लगातार दूसरी बार स्पीकर बने हैं. ओम बिरला को स्पीकर बनाए जाने का फैसला ध्वनि मत से लिया गया. विपक्षी इंडिया गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित किए जाने के बावजूद मत विभाजन की मांग नहीं की, जबकि लोकसभा में एक अगर भी सांसद मत विभाजन की मांग कर दे तो वोटिंग कराना जरूरी हो जाता.
18 लोकसभा के पहले सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पीकर पद के लिए ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा. सबसे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका समर्थन किया. इसके बाद ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित कर ओम बिरला को स्पीकर बना दिया गया. विपक्ष की ओर से इस दौरान मत विभाजन की मांग नहीं की गई, जबकि उनकी ओर से के सुरेश को स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया था. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कांग्रेस ने आखिर ऐसा क्यों किया?ल
विपक्ष ने नहीं मांगा स्पीकर के चुनाव में डिवीजन
1- कांग्रेस ने स्पीकर चुनाव में डिवीजन यानी मत विभाजन इसलिए नहीं मांगा क्योंकि कांग्रेस के भीतर खुद दो गुट थे, इनमें एक गुट तो ये चाहता था कि जब भाजपा डिप्टी स्पीकर का पद देने को राजी नहीं है तो इंडिया गठबन्धन के सुरेश को उम्मीदवार बनाकर वोटिंग कराके विपक्षी एकजुटता दिखानी चाहिए.
2- कांग्रेस का दूसरा खेमा इससे तोड़ा अलग सोच रहा था. उसका मानना था कि विपक्ष ने बतौर प्रोटेम स्पीकर 8 बार के दलित सांसद को आगे किया था. अब उन्हीं को स्पीकर के पद पर खड़ा करके विपक्ष ने अपना संदेश दे दिया है. ऐसे में जरूरत से ज्यादा स्पीकर पद पर राजनीति करते हुए नहीं दिखना चाहिए.
3.ममता, शरद पवार जैसे नेताओं ने भी कांग्रेस से कहा कि, स्पीकर जैसे पद पर निर्विरोध चयन होना चाहिए. ममता ने इस बात पर नाराजगी भी जताई कि अचानक उनको बिना बताए कांग्रेस ने सुरेश को स्पीकर का उम्मीदवार बना दिया. इसके बाद राहुल ने 20 मिनट ममता से बातचीत करके मामले को सुलझाया. हालांकि, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और डीएमके ने कहा कि, बीजेपी के अड़ियल और परम्परा तोड़ने वाले रुख के चलते उम्मीदवार देने का फैसला लिया गया वरना वो भी पवार और ममता की राय से इत्तेफाक रखते हैं.
4.ऐसे में तय हुआ कि, अगर वोटिंग से पहले भी विपक्ष को डिप्टी स्पीकर देने का आश्वासन देती है तो विपक्ष अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेगा, लेकिन अगर सरकार अड़ी रही तो ध्वनि मत पर ही मान लिया जाएगा. डिवीजन की मांग नहीं की जाएगी.
5.साथ ही ये सुझाव भी आया कि, सरकार 293 के आंकड़े पर है वो नम्बर जुटाकर 300 पार का आंकड़ा दिखाकर मनोवैज्ञानिक ताकत जताने की कोशिश करेगी. वहीं सपा और टीएमसी के कुछ सांसदों ने शपथ नहीं ली है, ऐसे में संख्या सामने लाने की जरूरत नहीं है, जो सन्देश देना है वो चला ही जायेगा.

#WATCH आज हुए लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, “…मैं आपको औपचारिक तौर से कह रहा हूं, हमने (मत) विभाजन नहीं मांगा…हमने इसकी मांग इसलिए नहीं की क्योंकि हमें यह उचित लगा कि पहले दिन एक आम सहमति बने, एक आम सहमति का माहौल बने। यह हमारी ओर से एक रचनात्मक pic.twitter.com/FSazFBQ35b
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 26, 2024

जयराम रमेश ने बताया ये कारण
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ओम बिरला के ध्वनि मत से स्पीकर बनने के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा की कांग्रेस ने डिवीजन की मांग आम सहमति और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए नहीं की. उन्होंने X पर लिखा कि इंडिया गठबंधन ने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग किया है. के सुरेश को लोकसभा स्पीकर का उम्मीदवार बनाया, हम चाहते तो मत विभाजन ले सकते हैं, लेकिन आम सहमति और सहयोग की भावना को बरकरार रखने के लिए ऐसा नहीं किया.

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