लोगों के सिर कलम-घरों में आग और खाने का संकट…राफा से कम बदतर नहीं भारत के इस पड़ोसी देश के हालात, UN ने की निंदा

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने म्यांमार में हुए आम लोगों के हत्या की कड़ी निंदा की है. उन्होंने म्यांमार की सेना की ओर से रखाइन राज्य और सागेंग के इलाके में लोगों की गई जान की भर्त्सना की है. म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद ही से स्थिति काफी चिंताजनक है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने न सिर्फ इस पर चिंता जताई है बल्कि सुनियोजित तरीके से इसका हल निकालने की भी अपील की है.
म्यांमार के रखाइन राज्य में सेना और अराकान आर्मी के बीच हिंसा हुई जिसमें हजारों लोग बेघर हो गए हैं. हालिया दिनों में इस हिंसा में काफी तेजी आई है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ज्यादातर हमले अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए हैं. रोहिंग्या मुसलमानों के कई पीढ़ियां रखाइन प्रांत में लंबे अरसे से रहती आ रही हैं. बावजूद इसके, उनको नागरिकता नहीं मिल सकी है. लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने 2017 के बाद बांग्लादेश में शरण ली है.
करीब 2 लाख 26 हजार लोग विस्थापित
पश्चिमी म्यांमार के रखाइन प्रांत में जातीय आधार पर लोगों को निशाने पर लेना और फिर रोहिंग्या मुसलमानों का उत्पीड़न काफी परेशान करने वाला है. यूएन ने सभी समुदाय के लोगों की बेहतरी के लिए कदम उठाए जाने की बात की है. हालिया हमलों के दौरान इस समुदाय के कुछ लोगों के न सिर्फ सिर कलम किए गए बल्कि उनके घरों को भी जला दिया गया.
यूएन शरणार्थी एजेंसी की मानें तो अब तक 2 लाख 26 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को विस्थापित होना पड़ा है. ये सभी लोग अभ ठौर-ठिकाना ढूंढ रहे हैं.संयुक्त राष्ट्र पहले भी इस तरह के वाकयात रिपोर्ट कर चुका है जहां न सिर्फ म्यांमार में लोगों को गायब किया गया बल्कि गांव के निहत्थे लोगों पर गोली चलाई गई. म्यांमार में खाने की चीजों का भी संकट हो गया है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में स्थिति और भी विकट हो सकती है.

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