लोगों में खत्म हो गई ‘ड्रीम होम’ की भूख? इस रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

व्यक्ति जब नौकरी शुरू करता है तो वह शहर में या गांव में अपना ड्रीम होम बनाता है. कहने का मतलब है कि ऐसा करने वालों की संख्या आमतौर पर काफी अधिक है. भारत में एक बड़ी आबादी मिडिल क्लास और लोअर क्लास की है. जो घर या गाड़ी खरीदने के लिए लोन का सहारा लेते हैं. अभी हाल ही में एक ऐसी रिपोर्ट आई है, जिसमें यह दावा किया गया है कि लोग अब घर खरीदने के लिए पहले की तुलना में कम लोन ले रहे हैं. ऐसा नहीं है कि लोग बिना लोन के घर खरीद रहे हैं. बल्कि वह घर पहले की तुलना में कम खरीद रहे हैं. इसका खुलासा दो अलग-अलग रिपोर्ट के हवाले से हुआ है. पहली रिपोर्ट होम लोन से जुड़ी है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट की मानें तो होम लोन जारी करने की मात्रा में चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में नौ प्रतिशत की गिरावट आई. लोन संबंधी जानकारी देने वाली कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के मुताबिक, मूल्य के लिहाज से होम लोन जारी करने की मात्रा एक साल पहले की समान अवधि के बराबर थी. रिपोर्ट में कहा गया कि समीक्षाधीन तिमाही के दौरान होम लोन पर बकाया शेष राशि केवल 14 प्रतिशत बढ़ी. इस तरह इसमें खुदरा लोन देने वाली सभी श्रेणियों के मुकाबले सबसे धीमी वृद्धि हुई.
दिलचस्प बात यह है कि लोन जारी करने की मात्रा में गिरावट और बकाया शेष राशि में सुस्त वृद्धि ऐसे समय में हुई, जब इस तिमाही के दौरान लोन चूक के मामले कम हुए. रिपोर्ट में कहा गया कि 90 दिन से अधिक के लिए बकाया कर्ज जून, 2024 में 0.9 प्रतिशत था, जो 0.32 प्रतिशत का सुधार दर्शाता है. इसके मुताबिक, जून, 2024 तिमाही में भारत की खुदरा लोन वृद्धि में कमी आई है, क्योंकि वित्तीय संस्थानों ने लोन देने में सख्ती कर दी है.
मकानों की बिक्री में आई गिरावट
देश में नौ प्रमुख शहरों में जुलाई-सितंबर तिमाही में मकानों की बिक्री 18 प्रतिशत घटकर 1,04,393 यूनिट रहने का अनुमान है. पिछले वर्ष इसी अवधि में 1,26,848 यूनिट की बिक्री हुई थी. रियल एस्टेट डेटा विश्लेषक कंपनी प्रॉपइक्विटी ने शुक्रवार को नौ प्रमुख शहरों में आवास बिक्री के आंकड़े जारी किए. आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जुलाई-सितंबर में केवल दिल्ली-दिल्ली क्षेत्र में 22 प्रतिशत और नवी मुंबई में चार प्रतिशत की दर से आवास बिक्री बढ़ने का अनुमान है. अन्य सात शहरों में बिक्री में गिरावट आने की आशंका है. इसमें हैदराबाद में सबसे अधिक 42 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. इसके बाद बेंगलुरु में 26 प्रतिशत, कोलकाता में 23 प्रतिशत, पुणे में 19 प्रतिशत, चेन्नई में 18 प्रतिशत, मुंबई में 17 प्रतिशत और ठाणे में 10 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है.

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