वक्फ बिल पर गुजरात में JPC की बैठक में हंगामा, राज्य के गृहमंत्री हर्ष संघवी और असदुद्दीन ओवैसी के बीच बहस

वक्फ बोर्ड बिल को लेकर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की गुजरात के अहमदाबाद में बैठक हुई. इस बैठक बिल को लेकर बैठक चल रही है थी कि राज्य के गृहमंत्री हर्ष संघवी और आईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच में बहस हो गई. दोनों नेताओं के बीच में वक्फ बोर्ड के नियमों और कानूनों पर विवाद छिड़ गया. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच में बिल के किसी हिस्से को लेकर पहले कहासुनी हुई फिर बात बहत तक पहुंच गई.
सूत्रों के मुताबिक, ओवैसी ने आरोप लगाया है कि यह प्रावधान मुसलमानों के मौलिक अधिकारों को छीनने का एक प्रयास है. हर्ष संघवी ने कहा कि हम सभी धर्मों के मौलिक अधिकारों को संरक्षित करने का प्रयास करते हैं. कोई भी व्यक्ति वक्फ बोर्ड में आवेदन करता है और आम नागरिकों के टैक्स का पैसा बिना सुनवाई के जब्त कर लिया जाता है. आम नागरिक का क्या कसूर? सरकारी संपत्ति पर सभी का अधिकार है. सूरत निगम में वक्फ बोर्ड को आवेदन देने की घटना का भी हवाला दिया गया. द्वारका, सोमनाथ धर्म और आस्था का केंद्र है. यदि अचानक कब्जा हो जाए तो उसका समाधान आवश्यक है.
मुंबई की बैठक में भी हुआ था हंगामा
एक दिन पहले गुरुवार को जब जेपीसी मुंबई पहुंची हुई थी तब भी विपक्षी सांसदों की ओर से हंगामा किया गया था. यह हंगामा उस समय हुआ जब गुलशन फाउंडेशन जो वक्फ बिल संशोधन के पक्ष में अपनी बात रख रहा था, इसी दौरान टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने उन्हें बोलने से रोक दिया. जिस पर शिवसेना शिंदे गुट के सांसद नरेश महस्के ने आपत्ति जताई और फिर जमकर कहासुनी शुरू हो गई थी.
कांग्रेस नेता बोले- बिल से पूरा मुस्लिम समाज चिंतित
जेपीसी के अहमदाबाद पहुंचने के बाद कांग्रेस नेता इमरान खेड़ावाला ने कहा कि गुजरात आई है और मैं उनका स्वागत करता हूं. इस संशोधन बिल से पूरा मुस्लिम समाज चिंतित है. उन्होंने चिंता जताई है कि अगर सरकार को मुस्लिमों की चिंता थी तो उन्हें ऐसा बिल लाना चाहिए था जो मुस्लिमों के लिए फायदेमंद होता. हम बिल का समर्थन नहीं करते हैं, हमारे नेता राहुल गांधी भी इस बिल के खिलाफ थे.
चर्चा के लिए 3 महीने की समयसीमा
इससे पहले सोमवार को जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 जिसे संसद में जेपीसी को भेजा गया था, 3 महीने की समय सीमा दी गई थी. उस समय ही मैंने कहा था कि यदि कोई विधेयक जेपीसी को भेजा जाता है तो सरकार को उम्मीद है कि हितधारकों और जेपीसी के सदस्यों के बीच चर्चा होगी और संशोधन पर उनकी राय मांगी जा सकती है.
1 करोड़ से ज्यादा ईमेल सुझाव मिले
जेपीसी अध्यक्ष ने आगे कहा था कि हमें 1 करोड़ से ज्यादा ईमेल सुझाव मिले हैं. 7 बैठकें हुई हैं जो 7-8 घंटे तक चलीं. हम सबकी सहमति से एक व्यापक रिपोर्ट बनाना चाहते हैं ताकि ऐसा बिल बनाया जा सके जिससे समय बच सके संपत्तियों का लाभ शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों द्वारा उठाया जा सकता है.

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