वाराणसी में हार की हैट्रिक लगा चुके अजय राय के काशी में इस बार ऐसे आएंगे ‘अच्छे नंबर’
लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में सबकी निगाहें पीएम मोदी की वाराणसी सीट पर लगी है. पीएम मोदी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी रणभूमि में उतरे हैं तो वाराणसी सीट पर हार की हैट्रिक लगा चुके कांग्रेस के अजय राय चौथी बार किस्मत आजमा रहे हैं. पीएम मोदी के खिलाफ दो बार और वाराणसी लोकसभा सीट पर तीन बार चुनाव लड़ चुके अजय राय हर बार तीसरे नंबर पर रहे थे, लेकिन इस बार उनके ‘नंबर अच्छे’ आ सकते हैं. इसकी वजह है कि सपा-कांग्रेस का गठबंधन और इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं. ऐसे में इस बार अजय राय का सीधा मुकाबला पीएम मोदी से है.
अजय राय ने अपना सियासी सफर बीजेपी से शुरू किया था. एबीवीपी से लेकर संघ तक से जुड़े रहे और 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे. बीजेपी में रहते हुए अजय राय तीन बार विधायक रहे. इसके बाद 2009 में बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थाम लिया और 2012 में कांग्रेस में शामिल हो गए. सपा से लेकर कांग्रेस में रहते हुए वाराणसी लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. अजय राय इन दिनों उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं और पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. 2009 से लगातार वाराणसी सीट से अजय राय किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन जीत तो दूर की बात है, तीसरे से नंबर दो पर भी नहीं आ सके.
2009 में अजय राय पहली बार उतरे
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में अजय राय बीजेपी से टिकट मांग रहे थे, लेकिन डॉ मुरली मनोहर जोशी के उम्मीदवार बनाए जाने के चलते उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया. बीजेपी से अलग होकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और वारसाणी से चुनावी मैदान में उतर गए. 2009 में वाराणसी सीट पर बीजेपी से मुरली मनोहर जोशी, सपा से अजय राय और बसपा से मुख्तार अंसारी के बीच मुकाबला हुआ था. मुरली मनोहर जोशी को 203122 वोट मिले थे तो मुख्तार अंसारी को 18,591 वोट हासिल हुआ था. अजय राय 123874 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे. यह चुनाव मुरली मनोहर जोशी ने करीब 18 हजार से मुख्तार अंसारी को हराया था.
2014 में अजय राय की जमानत जब्त
अजय राय दूसरी वाराणसी के 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरे. इस बार अजय राय कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में थे और उनका मुकाबला बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से था. यह चुनाव मोदी बनाम केजरीवाल बन गया था. नरेंद्र मोदी को 581,022 वोट मिले थे तो अरविंद केजरीवाल को 209,238 वोट मिले जबकि अजय राय 75,614 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे. नरेंद्र मोदी ने 371784 वोट से जीत हासिल की थी और
अजय राय अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे.
अजय राय ने लगाई हार की हैट्रिक
2019 में अजय राय एक बार फिर से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे. इस बार भी उनका मुकाबला पीएम मोदी और सपा-बसपा की संयुक्त प्रत्याशी शालिनी यादव से हुआ. पीएम मोदी को 674,664 वोट मिले थे तो सपा की शालिनी यादव को 195,159 वोट मिले और कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को 152,548 वोट हासिल हुए थे. पीएम मोदी ने 479,505 वोट से जीत दर्ज किया था जबकि अजय राय डेढ़ लाख वोट पाने के बाद भी तीसरे नंबर पर रहे थे. तीसरी बार भी अजय राय तीसरे नंबर से आगे नहीं बढ़ सके. इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उन्हें 5,22,116 वोट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी.
2024 में अजय राय चौथी बार चुनावी मैदान में
वाराणसी लोकसभा सीट पर हार की हैट्रिक लगा चुके अजय राय चौथी बार चुनावी मैदान में है. अजय राय पिछले तीन लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे, लेकिन इस बार की स्थिति 2009, 2014 और 2019 के चुनाव से अलग है. पिछले तीन चुनाव में वाराणसी सीट पर अजय राय मुख्य मुकाबले में नहीं थे, लेकिन इस बार मामला अलग है. 2024 के चुनाव में वाराणसी सीट पर बीजेपी से नरेंद्र मोदी, कांग्रेस से अजय राय और बसपा से अतहर लारी मैदान में है, लेकिन चुनाव पीएम मोदी बनाम अजय राय के बीच होता दिख रहा है. अजय राय इंडिया गठबंधन से हैं, जिसके चलते सपा से लेकर आम आदमी पार्टी का तक समर्थन है.
अजय राय का वाराणसी सीट पर अपना एक वोटबैंक है, जो पिछले तीन चुनाव से साफ दिख रहा है. इस बार इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी होने के चलते अजय राय को सपा भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा रही है. प्रिंयका गांधी के साथ सपा सांसद डिंपल यादव ने अजय राय के समर्थन में रोड शो किया तो राहुल गांधी के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव मंगलवार को जनसभा करने पहुंच रहे हैं. इस तरह कांग्रेस, सपा सहित इंडिया गठबंधन के सभी दल वाराणसी सीट पर अजय राय के समर्थन में वोट मांग रहे हैं.
इंडिया गठबंधन प्रत्याशी अजय राय का मानना है कि वाराणसी की जनता उनके साथ मजबूती से खड़ी है और इस लोकसभा चुनाव में भी अजय राय का समर्थन करेगी. वह स्थानीय चेहरे के तौर पर जनता के बीच रहते हैं. इस बार लोकसभा चुनाव का समीकरण बदला हुआ है. बसपा प्रत्याशी अपना असर नहीं छोड़ पा रहे हैं. अजय राय का वाराणसी में अपना सियासी आधार है. ऐसे में विपक्ष का वोट अगर अजय राय के पक्ष में एकजुट हो जाता हैं तो फिर उनकी स्थिति बेहतर हो जाएगी. 20 साल में पहली बार अजय राय वाराणसी में मुख्य मुकाबले में खड़े नजर आ रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अजय राय को अच्छे वोट मिल सकते हैं.