विटामिन डी है बेहद जरूरी, लेकिन इसका ज्यादा होना भी पड़ सकता है भारी

सूरज की तेज धूप के बावजूद भी भारत में लोग महत्वपूर्ण विटामिन डी की कमी से पीड़ित है. अगर शरीर में विटामिन डी की मात्रा कम हो तो उसे विटामिन डी की कमी माना जाता है. पिछले साल टाटा ग्रुप का एक सर्वे सामने आया था. इसमें बताया गया था कि भारत में हर चार में से 3 लोगों में विटामिन डी कमी है. सर्वे में कहा गया था कि युवाओं में कमी ज्यादा हो रही है.
लोगों को इसके लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं है. लेकिन विटामिन डी की कमी का कारण क्या हो सकता है और क्या आहार में विटामिन डी की कम मात्रा लेना ही इसका सबसे बड़ा कारण हैं. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से इस आर्टिकल में
विटामिन डी
हमारे शरीर को पूर्ण रूप से कार्य करने के लिए कई तरह के विटामिन्स और पोषक तत्वों की जरूरत होती है. ऐसे ही विटामिन्स भी कई तरह के होते है जिन्में से एक विटामिन डी भी है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी है.
विटामिन डी क्यों है जरूरी?
विटामिन डी हमारे स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी इसलिए हैं क्योंकि विटामिन डी शरीर मेंकैल्शियम और फॉस्फेटकी मात्रा को नियमितकरने में मदद करता है. इसी के साथ ये हमारी हड्डियों और दांतों, मसल्स हेल्थ और इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए जरूरी होता है. डिप्रेशन और खराब मूड से भी राहत दिला सकता है.
विटामिन डी की कमी से क्या होता है?
दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर कवलजीत सिंह का कहना है कि विटामिन डी की कमी होना एक बड़ी समस्या है. शहरी इलाकों में तो हर दूसरा व्यक्ति इस समस्या के कारण परेशान झेलनी पड़ती है. धूप में ज्यादा न निकलना, डाइट पर ध्यान न देने की जगह से शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है. इस विटामिन की कमी का असर पूरे शरीर पर पड़ सकता है. क्योंकि ये हड्डियों, जोड़ों, बालों की हेल्थ और मेंटल हेल्थ को सही रहने के लिए बहुत जरूरी है.
सूरज से कैसे मिलता है विटामिन डी
जब सूरज की किरणें स्किन पर पड़ती है, तो टिशू के अंदर की प्रक्रियाएं विटामिन डी बनाना शुरू कर देती हैं. लेकिन तेज धूप में लंबे समय तक रहने पर सनस्क्रीन लगाएं और हाइड्रेटेड रहें.
विटामिन डी की कमी के लक्षण
दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर अंकित कुमार का कहना है कि विटामिन डी की कमी से शरीर में थकान होना, एनर्जी लेवल गिरना, हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होना शुरु हो जाता है और ये समस्या दिन पर दिन बढ़ती रहती है. विटामिन डी की कमी का असर आपके ब्रेन पर भी दिखाई दे सकता है. इसकी वजह से व्यक्ति को मूड स्विंग्स, उदासी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
विटामिन डी न्यूरोट्रांसमीटर्स को भी प्रभावित करते हैं. न्यूरोट्रांसमीटर्स हमारे दिमाग में फिलिंग को कंट्रोल करने का कम करते हैं. लेकिन जब शरीर में विटामिन डी की कमी होती है, तो इससे न्यूरोट्रांसमीटर्स का काम प्रभावित होने लगता है. इसलिए इससे मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या होने लगती हैं. इसके कारण लंबे समय तक उदास रहना और सिर में दर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.
लोगों में बढ़ रही है जागरूकता
देश कि एक बड़ी पैथ लैब के डायरेक्टर डॉक्टर समीर भाटी का कहना है कि बीते तीन से चार सालों में विटामिन डी का टेस्ट करवाने वालों की संख्या करीब 50 फीसदी तक बढ़ी है. क्योंकि लोग अब पहले की तुलना में काफी जागरूक हो गए हैं. खासतौर पर कोविड को बाद बहुत से लोग अपनी हेल्थ पर ध्यान देने लगे हैं. अगर किसी को महसूस होता है कि उनके शरीर में विटामिन डी की कमी के लक्षण दिखाई दे रहें है तो वो लैब आकर खुद ही टेस्ट करवाते हैं. ऐसे में करीब 30 फीसदी लोग खुद से टेस्ट करवाने के लिए आते हैं.
विटामिन डी की कमी की सबसे बड़ी वजह ये है कि लोग धूप में कम निकलते हैं. शहरी इलाकों में लोग ऑफिस चले जाते हैं और शाम में वापिस आते हैं. इस दौरान उनके शरीर को धूप नहीं मिल पाती है. इसके अलावा विटामिन डी की कमी का दूसरा सबसे बड़ कारण है कि आजकल लोगों का खानपान खराब होता जा रहा है. फास्ट फूड का ट्रेंड काफी बढ़ गया है. इस तरह के फूड्स किसी भी तरह के विटामिन का सोर्स नहीं होते हैं. ऐसे में लोगों को सलाह है कि वह अपने खानपान का ध्यान रखें. इसलिए अपनी डाइट में ऐसे फूड्स को शामिल करें जिससे आपके शरीर को सही मात्रा में विटामिन डी मिल सके. इसके लिए आप दूध, अनाज दलिया जैसी चीजें अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.
शरीर में विटामिन डी की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
अगर शरीर में विटामिन डी की मात्रा 30 ng/ml के नीचे है तो वो इंसफिशिएंट यानी की जरूरत से थोड़ा कम माना जाता है. अगर अगर वो 20 ng/ml के नीचे है तो उसे विटामिन डी डेफिशियेंसी यानी की जरूरत से बहुत ज्यादा कम माना जाता है. विटामिन डी का नॉर्मल लेवल 100 ng/ml माना जाता है. 30 से 60 ng/ml को विटामिन डी का नॉर्मल लेवल माना जाता है.
अगर आपके शरीर में आपकी उम्र के हिसाब से विटामिन डी की मात्रा कम है. तो डॉक्टर आपको विटामिन डी की मात्रा सही करने के लिए विटामिन डी की दवाइयां देंगे. इसके साथ ही आपको सही डाइट की सलाह देंगे.
हेल्दी और फिट रहने के लिए विटामिन डी की मात्रा शरीर में सही होना बेहद जरूरी है. इसलिए विटामिन डी से भरपूर फूड्स का सेवन करें.
विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य है. हालांकि कुछ मात्रा में विटामिन डी भोजन से भी प्राप्त होता है. अंडा, दूध, दही, मशरूम, पनीर, मच्छी, ओट्स, संतरा, मीट, सोया और डेयरी उत्पाद में विटामिन डी पाया जाता है.
विटामिन डी सप्लीमेंट के ओवरडोज से नुकसान
विटामिन डी सेहत के लिए बेहद जरूरी है लेकिन शरीर में इसका मात्रा ज्यादा होने के कारण भी नुकसान हो सकता है. शरीर में विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होने को हाइपरविटामिनोसिस कहा जाता है. विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने से हड्डियां और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है.
राजीव गांधी हॉस्पिटल के डॉक्टर अजित कुमार बताते हैं कि हाइपरविटामिनोसिस बीमारी ज्यादा विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लेने से हो सकती है. इसके कारण खून में कैल्शियम बनता है और इससे खून जमने लगता है. डॉक्टर का कहना है कि विटामिन डी के सप्लीमेंट्स ज्यादा यानी की इसकी ओवरडोज लेने से किडनी डैमेज भी हो सकती है. क्योंकि इससे किडनी स्टोन हो सकता है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *