विवादित IAS पूजा खेडकर के बचाव में आए पिता दिलीप, बोले- कुछ भी गैरकानूनी काम नहीं किया
महाराष्ट्र में अपनी हरकतों से चर्चा में आई विवादित आईएएस अफसर पूजा खेडकर की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है और उनकी बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है. उन पर आईएएस बनने के लिए फर्जी दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सर्टिफिकेट लगाने का आरोप है. केंद्र सरकार मामले की जांच करवा रही है. इस बीच पूजा के पिता ने बेटी के बचाव में कहा कि उसने कुछ भी गैरकानूनी काम नहीं किया है.
फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए आईएएस अधिकारी बनने वाली पूजा के पिता ने कल रविवार को कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत या गैरकानूनी नहीं किया है. दिलीप खेड़कर ने एक टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में कहा कि यदि सीमित साधनों वाला कोई शख्स 4 से 5 एकड़ जमीन का मालिक हो जाता है, और मूल्यांकन के आधार पर उसकी संपत्ति कई करोड़ रुपये आंकी जाती है तो यह गलत कैसे है. क्रीमी लेयर का निर्धारण संपत्ति मूल्यांकन की जगह आय पर निर्भर करता है.”
रिश्तेदार की थी लग्जरी कारः पिता दिलीप
उन्होंने अपनी बेटी की सफाई में कहा, “पूजा ने सरकारी काम के लिए ‘लग्जरी’ कार का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि उसके पास कोई सरकारी गाड़ी उपलब्ध नहीं थी. ऐसा करने के लिए उसने अपने सीनियर्स से इजाजत भी मांगी थी. चर्चा में आई कार उसकी नहीं है बल्कि उसके एक रिश्तेदार की है. उसने गाड़ी में लालबत्ती लगाकर किसी को धोखा नहीं दिया.” पूजा 2022 बैच की महाराष्ट्र कैडर की आईएएस अफसर हैं. उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया स्तर पर 841वीं रैंक हासिल की थी. पिछले साल जून में उन्हें बतौर प्रोबेशनरी ऑफिसर पुणे भेजा गया था.
पूजा के पिता दिलीप खेडकर महाराष्ट्र सरकार के पूर्व कर्मचारी रहे हैं, ने दावा किया कि वह वास्तव में नॉन-क्रीमी लेयर कैटेगरी से संबंध रखते हैं. हालांकि खेडकर ने पिछले महीने खत्म हुए लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी और अपने चुनावी हलफनामे में उन्होंने 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी.
… तो मैं बेटी से इस्तीफा दिलवा दूंगा
युवा आईएएस अफसर के खिलाफ लगे कई आरोपों में से एक आरोप यह भी है कि जब एक सीनियर अफसर ने पूजा को अपने ऑफिस के रूप में एक रूम का इस्तेमाल करने की अनुमति दी, तो उन्होंने पुणे ऑफिस में उस सीनियर अफसर की ‘नेमप्लेट’ तक हटा दी थी. इस पर दिलीप कहते हैं, “पूजा ने अपने सीनियर अफसर से अनुमति लेकर ही उनके केबिन का इस्तेमाल किया था. क्या कहीं पर ऐसा लिखा हुआ है कि एक युवा ‘इंटर्न’ आईएएस अधिकारी को अलग से केबिन नहीं दिया जाना चाहिए? अगर ऐसा लिखा हुआ है, तो मैं नौकरी से इस्तीफा दिलवा दूंगा.”
दिव्यांगता से जुड़े सर्टिफिकेट के दुरुपयोग के आरोपों पर सफाई देते हुए दिलीप खेडकर ने कहा कि सरकार एक स्टैंडर्ड तय करती है ताकि किसी की दिव्यांगता का निर्धारण किया जा सके. उनकी बेटी दिव्यांगता से जुड़े सभी मानदंडों को पूरा करती है.
पूजा पिछले दिनों तब अचानक चर्चा में आईं जब उन्होंने पुणे में अपनी पोस्टिंग के दौरान कथित तौर पर अलग ‘केबिन’ और ‘स्टाफ’ की मांग की थी, ऐसे में उनका ट्रांसफर पुणे से वाशिम जिले में दिया गया. यही नहीं उन पर क्रीमी लेयर (आठ लाख रुपये से कम सालाना आय) और दृष्टिबाधित कैटेगरी के तहत सिविल सेवा परीक्षा देकर तथा मानसिक बीमारी का सर्टिफिकेट लगाकर आईएएस में जगह हासिल करने के आरोप लगे.