वो चार अफसर जो मौके पर न होते तो ढाका में ही हो जाता शेख हसीना का कत्ल
सियासी उथल-पुथल की वजह से बांग्लादेश छोड़ने वाली पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. इन खुलासों में उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा से लेकर आखिर वक्त तक गद्दी न छोड़ना भी शामिल है, लेकिन सबसे बड़ी जानकारी जो निकल आई है, वो 4 अधिकारियों के बारे में हैं. कहा जा रहा है कि अगर ये 4 अधिकारी सही वक्त पर एक्शन में नहीं आते तो पिता शेख मुजीबउर रहमान की तरह शेख हसीना का भी कत्ल हो जाता.
इस स्पेशल स्टोरी में आइए जानते हैं उन्हीं 4 अधिकारियों के बारे में, जिनकी वजह से शेख हसीना सुरक्षित बांग्लादेश से निकल पाईं.
हसीना के देश छोड़ने से पहले क्या हुआ था?
बांग्लादेश की प्रमुख अखबार प्रथम आलो के मुताबिक 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तीनों सेनाओं के प्रमुख, इंटेलिजेंस हेड, सुरक्षा सलाहकार और पुलिस आईजी के साथ गणभवन (पीएम आवास) में बैठक की. बैठक शुरू होते ही शेख हसीना ने पुलिस प्रमुख पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया.
अखबार के मुताबिक बैठक में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि गोली चलाकर इस मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता है. अभी प्रदर्शनकारी आपके यहां आ जाएंगे और फिर मुश्किलें बढ़ सकती है. अधिकारियों ने शेख हसीना से कहा कि आप आराम से अभी सुरक्षित जगहों पर चले जाइए.
कुछ देर विचार करने के बाद शेख हसीना ने अपना इस्तीफा लिख दिया. हालांकि, हसीना चाहती थीं कि प्रदर्शनकारियों पर पुलिस सख्त एक्शन लें और हालात कंट्रोल होते ही फिर से कुर्सी संभाल ली जाए, लेकिन सेना प्रमुख ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. हसीना इसके बाद सुरक्षित भारत आ गईं.
4 अधिकारियों की कहानी, जिनकी वजह से बची जान
1. इंस्पेक्टर जनरल अबदुल्ला अल-मामुन
अब पूर्व हो चुके इंस्पेक्टर जनरल अब्दुल्ला अल मामुन ने शेख हसीना की जान बचाने में बड़ी भूमिका निभाई. अब्दुल्ला ने हसीना को साफ-साफ कह दिया कि अब यहां भीड़ आ जाएंगे और पुलिस उन पर कंट्रोल नहीं कर पाएगी. 1989 में सहायक पुलिस अधीक्षक पद से नौकरी की शुरुआत करने वाले मामुन को हसीना का खास माना जाता था.
मामुन सितंबर 2022 में इस पद पर आए थे. उन पर अमेरिका में एक केस भी चल रहा है. शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश सरकार ने मामुन को पद से हटा दिया है. मामुन बांग्लादेश रैपिड फोर्स के प्रमुख भी रह चुके हैं.
2. इंटेलिजेंस हेड जियाऊल हसन
शेख हसीना जब बांग्लादेश में प्रधानमंत्री पद पर काबिज थीं, तब देश के इंटेलिंजे हेड थे- मेजर जनरल जियाऊल हसन. सुबह जब 11 बजे शेख हसीना ने बड़े अधिकारियों के साथ मीटिंग की तो उनके पास कई खुफिया रिपोर्ट्स थे. कहा जाता है कि ये रिपोर्ट्स जियाऊल हसन ने ही उपलब्ध कराए थे.
जियाऊल 2009 से ही बांग्लादेश खुफिया विभाग में कार्यरत हैं. 2022 में उन्हें इस विभाग की कमान दे दी गई. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद जियाऊल को पद से हटा दिया गया. वर्तमान में वे पुलिस की हिरासत में हैं.
3. आर्मी चीफ वकार-उज जमान
शेख हसीना को सुरक्षित बांग्लादेश से भारत भेजने में आर्मी चीफ वकार-उज जमान की बड़ी भूमिका है. कहा जाता है कि जिस दिन हसीना बांग्लादेश से भारत के लिए निकलीं, उस दिन सुबह 11 बजे ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन आर्मी चीफ ने दोपहर 3 बजे तक इसे गुप्त रखा.
सुबह 11 बजे ही इस्तीफा देने के बारे में शेख हसीना के बेटे ने भी एक इंटरव्यू में बताया है. जमान ने उनके इस्तीफे की खबर के बारे में तब लोगों को बताया, जब वे सुरक्षित अगरतल्ला पहुंच गई थी.
4. सुरक्षा सलाहकार तारिक अहमद
शेख हसीना के सुरक्षा सलाहकार रहे तारिक अहमद सिद्धीकी ने भी उन्हें सुरक्षित बांग्लादेश से भारत भेजने में बड़ी भूमिका निभाई. जिस प्लेन में हसीना भारत आईं, उसमें तारिक भी साथ थे. हसीना के बांग्लादेश आने के सारे इंतजाम तारिक ने ही किए थे.
तारिक शेख हसीना की छोटी बहन शेख रेहाना के पति के भाई भी हैं. तारिक ने साल 2009 में प्रधानमंत्री कार्यालय ज्वॉइन किया था. तारिक सेना में मेजर भी रह चुके हैं.
बहन ने मनाया तब राजी हुईं हसीना
शेख रेहाना कोई सरकारी पद पर तो नहीं है, लेकिन हमेशा शेख हसीना के साथ ही रहती हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब शेख हसीना बांग्लादेश से जाने को तैयार नहीं हुईं तो अधिकारियों ने रेहाना का सहारा लिया. अधिकारियों ने यह समझाइश दी कि अब ज्यादा गोलीबारी नहीं की जा सकती है. ऐसे में प्रदर्शनकारी पीएम हाउस में आसानी से घुस सकते हैं और फिर शेख हसीना की बंगबंधु की तरह हत्या हो सकती है. इसके बाद दोनों बहन आसानी से चौपर से त्रिपुरा के लिए निकल गईं. त्रिपुरा से दोनों बहनों को भारत सरकार ने दिल्ली बुलवाया.