शांत, विनम्र, पशु प्रेमी…रतन टाटा के निधन पर विदेशी मीडिया ने क्या लिखा?
86 बरस की उम्र में रतन टाटा का शरीर पूरा हो गया. वे भारत के ऐसे उद्योगपति थे जिनको देश के बाहर भी ख्याति और शोहरत मिली. 100 से ज्यादा कंपनियों वाला टाटा ग्रुप आज नमक से लेकर सॉफ्टवेयर के कारोबार में है. 155 बरस की विरासत को आज करीब 7 लाख कर्मचारी, 8 लाख करोड़ से ज्यादा के सालाना राजस्व तक लाने में रतन टाटा की भूमिका काफी अहम रही है.
उनके निधन पर भारतीय मीडिया ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी और संस्थानों ने भी बहुत कुछ लिखा है. बीबीसी ने उन्हें एक विनम्र भारतीय उद्योगपति, न्यूयॉर्क टाइम्स ने चकचौंध से दूर रहने वाला शख्स, द गार्डियन ने उनके पशु प्रेम की तरफ ध्यान दिलाया है. वहीं, अल जजीरा ने रतन टाटा को भारतीय कारोबार का टाइटन और रॉयटर्स ने टाटा को विश्व मानचित्र पर स्थापित करने वाला शख्स कहा है.
उनके निधन पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया जो लिखा, वो एक नजर –
बीबीसी – एक विनम्र भारतीय उद्योगपति
टाटा ग्रुप पर लिखी गई पीटर केसी की किताब ‘द स्टोरी ऑफ टाटा’ के हवाले से बीबीसी ने रतन टाटा की कुछ खासियत और विरासत को याद किया है – रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप एक महान लेकि निरस भारतीय मैनुफैक्चरिंग कंपनी के तौर पर उभरी. खासकर, लोगों की बुनियादी जरुरत की चीज बनाने पर जोर देते हुए टाटा ग्रुप एक वैश्विक ब्रांड के तौर पर जाना गया. रतन टाटा ने ब्रिटिश चाय कंपनी टेटरी से लेकर कार ब्रांड जगुआर, लैंड रोवर का टाटा के साथ अधिग्रहण किया लेकिन वह बहुत चतुर और शर्मीले थे, इसलिए उन्होंने कभी भी किसी क्षेत्र को हड़पने वाले ईस्ट इंडिया कंपनी के नवाब की तरह अपनी सफलताओं की शेखी नहीं बघारी. पीटर केसी ने टाटा को एक विनम्र, संयमित, चिंतनशील और यहां तक कि शर्मीले शख्स ते तौर पर कहा है. वे न सिर्फ बेहद शांत शख्स थे बल्कि उनमें एक कठोर अनुशासन भी था. जिसमें सबसे अहम हर दिन अपनी हाथों से लिखा हुआ एक टू-डू लिस्ट बनाना था. जिसमें यह लिखा होता कि आज उनको क्या-क्या काम निपटाने हैं. वह खुद को ‘थोड़ा आशावादी’ कहते थे.
NYT – चकचौंध से दूर रहने वाले रतन टाटा
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि – 1991 से 2012 यानी करीब दो दशक तक भारत के सबसे शक्तिशाली बिजनेस ग्रुप टाटा समूह का नेतृत्व करे के दौरान उन्होंने कंपनी के मुनाफे में करीब 50 गुना की बढ़ोतरी दर्ज कराई. साथ ही, अपने परिवार के कारोबार को वैश्विक रूप से पहचाने जाने वाले ब्रांडों में शुमार कर दिया. 2010 के दशक की शुरुआत के बाद टाटा परिवार के दूसरे कारोबार ने कई मायनों में टाटा समूह को टक्कर दी या उससे आगे निकल गए लेकिन नए दिग्गजों में से किसी को भी वह सार्वजनिक सम्मान नहीं मिला जो रतन टाटा को जीवन पर्यंत मिलता रहा. रतन टाटा ने खुद को लाइमलाइट (चकाचौंध) से दूर रहना पसंद किया. हालांकि, अपने करियर के आखिरी दौर में वे एक बड़े विवाद में भी तब फंस गए जब उन्होंने टाटा के बोर्ड को अपने चुने हुए उत्तराधिकारी को हटाने के लिए मना लिया.
द गार्डियन – शांत, विनम्र, पशु प्रेमी रतन टाटा
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने लिखा कि – रतन टाटा एक लाइसेंसधारी पायलट थे. जो शांत, विनम्र और पशु प्रेमी होने के लिए जाने जाते थे. रतन टाटा बड़े अधिग्रहण करने के लिए मशहूर थे. जिसमें 2000 में ब्रिटिश चाय फर्म टेटली को 432 मिलियन डॉलर में और 2007 में एंग्लो-डच स्टील कंपनी कोरस को 13 बिलियन डॉलर में खरीदना शामिल है. साथ ही, टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से ब्रिटेन के दो सबसे मशहूर कार ब्रांड – ब्रिटिश जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण करना. रतन टाटा ने कंपनी में रिटायरमेंट की निर्धारित उम्र लागू करके टाटा ग्रुप के ओहदे का पूरा क्रम (हेरार्की) ही झंकझोर कर रख दिया. जहां नौजवान लोगों की वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति की. रतन टाटा के 2021 के एक इंटरव्यू के हवाले से द गार्डियन ने छापा है कि “पालतू जानवरों के रूप में कुत्तों के लिए मेरा प्यार हमेशा मजबूत रहा है और जब तक मैं जीवित रहूंगा, तब तक जारी रहेगा”
अल जजीरा – भारतीय कारोबार का टाइटन
कतर के न्यूज चैनल अल जजीरा ने रतन टाटा को भारतीय कारोबार का टाइटन कहा है. अल जजीरा ने लिखा है कि – रतन टाटा ने समूह की कमान ऐसे समय में संभाली, जब भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था में बड़े सुधारों (उदारीकरण) की शुरुआत की. जिससे दुनिया के लिए भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को खोला और यहां से विकास की एक नई शुरुआत हुई. टाटा को 2000 में भारत के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. अल जजीरा ने टाटा समूह के भारत में कॉमर्सियल विमान शुरू करने को भी याद किया है. टाटा ने 1932 में एक एयरलाइन शुरू की थी जो बाद में एयर इंडिया बन गई और भारत सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया. हालांकि, फिर बाद में इस एयरलाइन की टाटा समूह में वापसी हुई. 2021 में सरकारी स्वामित्व वाली एयर इंडिया को दोबारा से भारत सरकार ने खरीद लिया.
रॉयटर्स – टाटा को विश्व मानचित्र पर स्थापित करने वाले
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने रतन टाटा के शांत व्यवहार, अपेक्षाकृत मामूली जीवनशैली और परोपकारी व्यकतित्त्व की तरफ ध्यान दिलाया है. रॉयटर्स ने लिखा है कि – टाटा समूह से हटने के बाद रतन टाटाभारतीय स्टार्टअप में एक प्रमुख निवेशक के रूप में जाने गए. उन्होंने डिजिटल पेमेंट कनने वाली कंपनी पेटीएम, कैब कंपनी ओला की इकाई ओला इलेक्ट्रिक समेत और कई कंपनियों को समर्थन दिया. हालांकि, इसी के साथ रॉयटर्स ने उन विवादों की तरफ भी ध्यान दिलाया है जिससे उनका नाता रहा. रॉटर्स ने लिखा है कि – 2016 में शापूरजी पल्लोनजी परिवार से आने वाले साइरस मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटाने के बाद सार्वजनिक रूप से मिस्त्री और रतन टाटा के बीच तीखी नोकझोंक हुई. टाटा समूह ने कहा कि मिस्त्री खराब प्रदर्शन कर रहे कारोबार को सुधारने में सफल नहीं रहे हैं, जबकि मिस्त्री ने रतन टाटा पर कंपनी में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया. रतन टाटा तब समूह के मानद चेयरमैन थे.