शिंदे के डर वाले बयान को मोदी ने बनाया हथियार, नेताओं के ‘किताब’ के चक्कर में कब-कब फंसी कांग्रेस?
लाल चौक को लेकर सुशील कुमार शिंदे के बयान पर कांग्रेस बुरी तरह घिर गई है. जम्मू-कश्मीर के डोडा में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के समय गृह मंत्री भी कश्मीर आने से डरते थे, लेकिन अब माहौल बदल गया है. चार दिन पहले अपने किताब के विमोचन कार्यक्रम में पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि जब मैं होम मिनिस्टर था, तब मुझे लाल चौक पर जाने से डर लगता था.
हालांकि, शिंदे कांग्रेस के पहले नेता नहीं हैं, जिनके किताब के चक्कर में कांग्रेस पार्टी मुश्किलों में आई है. पहले भी 5 बड़े नेता किताब लिखकर या उस पर विवादित टिप्पणी कर कांग्रेस की टेंशन बढ़ा चुके हैं. इस स्टोरी में उन्हीं नेताओं के बारे में जानते हैं..
पहले सुशील शिंदे का मामला जान लीजिए
मनमोहन सिंह की सरकार में गृह मंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे ने ‘द फाइव डिकेड्स इन पॉलिटिक्स’ नाम से अपनी जीवनी लिखवाई है. हाल ही में इसका विमोचन कार्यक्रम दिल्ली में किया गया. कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मुख्य अतिथि थे. मंच पर दिग्विजय सिंह भी मौजदू थे. इसी मौके पर सुशील शिंदे ने एक विवादित किस्सा सुना दिया.
किस्सा कुछ यूं था- मैं जब गृह मंत्री बना, तब लोग मुझे कश्मीर जाने की सलाह देते थे, लेकिन मैं लाल चौक पर जाने से डरता था.
शिंदे ने यह किस्सा ऐसे वक्त में सुनाया जब घाटी में 90 सीटों के लिए विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. मनमोहन सरकार में 2012 से 2014 तक गृह मंत्री रहे शिंदे की यह जीवनी वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार राशीद किदवई ने लिखी है.
शिंदे के इस किस्से के वायरल होते ही बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इस विवाद में कूद पड़े हैं. मोदी के बयान के बाद कहा जा रहा है कि बीजेपी इसे कश्मीर चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सकती है.
प्रमोशन के चक्कर में ये नेता बढ़ा चुके हैं टेंशन
मणिशंकर अय्यर- अक्टूबर 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने थे. कांग्रेस इन राज्यों में जीत के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व के पॉलिसी पर आगे बढ़ रही थी. इसी बीच अगस्त के आखिरी हफ्ते में पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर अपनी एक किताब लेकर आ गए. किताब का नाम था- मेमोयर्स ऑफ ए मावेरिक- द फर्स्ट फिफ्टी इयर्स (1941-1991).
किताब के विमोचन पर अय्यर ने राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी को ही निशाने पर ले लिया. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास करना राजीव गांधी का गलत फैसला था.
अय्यर ने अपने भाषण में पीवी नरसिम्हा राव को बीजेपी का पहला प्रधानमंत्री बता दिया. राव का मूल निवास तेलंगाना में ही है. बीजेपी ने अय्यर के इस दोनों ही बयान को बड़ा मुद्दा बनाया. राम मंदिर का मसला होने की वजह से कांग्रेस इस पर कुछ बोल नहीं पाई.
सलमान खुर्शीद- यूपी में विधानसभा के चुनाव से पहले साल 2021 में पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी अपनी किताब लेकर आ गए. किताब का नाम था- सनराइज ओवर अयोध्या. खुर्शीद ने इसे अपना ऑटोबायोग्राफी बताया. कांग्रेस के कद्दावर नेता खुर्शीद मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री थे.
खुर्शीद की किताब के बाजार में आते ही बवाल मच गया. दरअसल, खुर्शीद अपनी किताब के एक पन्ने में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन आईएसआईएस और बोको हरम जैसे कट्टरपंथी समूहों से कर दी. खुर्शीद की किताब में संघ पर भी निशाना साधा गया था.
हिंदू संगठनों ने इस पूरे विवाद को लेकर कांग्रेस को घेर लिया. डैमेज कंट्रोल के लिए प्रियंका गांधाी और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष (राज्यसभा) गुलाम नबी आजाद को मैदान में उतरना पड़ा. दोनों नेताओं ने कहा कि किताब में लिखी बातें खुर्शीद की निजी सोच है.
सैफुद्दीन सोज- जम्मू-कश्मीर के कद्दावर कांग्रेसी सैफुद्दीन सोज भी किताब बेचने के चक्कर में साल 2018 में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं. दरअसल, 2018 में सोज ने कश्मीर: इतिहास और संघर्ष की कहानी नामक पुस्तक लिखी. इसके विमोचन से पहले सोज ने कश्मीर को लेकर विवादित बयान दे दिया.
सोज ने कह दिया कि कश्मीर का विकास तभी होगा, जब वह अलग देश बन जाएगा. बीजेपी ने सोज के बयान पर कांग्रेस की घेराबंदी कर दी. सफाई में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को उतरना पड़ा. सुरजेवाला ने कहा कि कुछ लोग किताब बेचने के लिए इस तरह का बयान देते हैं, जिससे पार्टी सहमत नहीं है.
विवाद बढ़ता देख मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम सोज के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम से दूरी बना ली.
नटवर सिंह- मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह भी किताब के चक्कर में कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ा चुके हैं. दरअसल, 2014 में सिंह ने एक वन लाइफ इज नॉट इनफ नाम से एक ऑटोबायोग्राफी लिखी. कहा जाता है कि इस ऑटोबायोग्राफी में गांधी परिवार को लेकर कई दावे थे.
किताब के विमोचन से पहले जब इसकी चर्चा शुरू हुई तो गांधी परिवार की भौंहें तन गई. नटवर ने किताब में सोनिया को तुनकमिजाजी और अहंकारी बताया था. इतना ही नहीं, उन्होंने दावा किया था कि सोनिया इसलिए प्रधानमंत्री नहीं बन पाई, क्योंकि राहुल नहीं चाहते थे.
हालांकि, किताब की कई अंश ऐसी भी थी, जो छपकर बाहर नहीं आ पाई. कहा जाता है कि किताब के बाजार में आने से पहले सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी नटवर सिंह के घर गई थीं.
प्रणब मुखर्जी- 2021 में बंगाल चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक किताब लेकर सामने आ गए. किताब का नाम था- द प्रेसिडेंशियल ईयर. किताब के जरिए किए गए प्रणब के कुछ दावों ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी थी. प्रणब ने अपनी किताब में 3 बड़े दावे किए-
1. 2014 में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह सरकार बचाने में व्यस्त थे, जिससे कांग्रेस का राजनीतिक फोकस खराब हुआ.
2. कांग्रेस 2014 में इसलिए चुनाव हारी, क्योंकि प्रधानमंत्री होते हुए भी मनमोहन सिंह अपने सांसदों से नहीं मिलते थे.
3. प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक में लिखा कि अगर 2004 में मुझे पीएम बनाया गया होता तो कांग्रेस की दुर्दशा नहीं होती.
प्रणब के इन तीन दावों से कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई. बंगाल में यह संदेश गया कि कांग्रेस यहां के लोगों को सत्ता आने पर इग्नोर करती है. प्रणब के इन दावों पर कांग्रेसी कुछ बोल नहीं पाए. वजह उनका सियासी कद था.