शेख हसीना का प्रत्यर्पण नहीं किया तो… खालिदा जिया की पार्टी BNP के नेता ने भारत को दी धमकी

बांग्लादेश में आवामी लीग की सरकार के तख्तापलट के बाद से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण ले रखी है. बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता शेख यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार चल रही है. इस अंतरिम सरकार में खालिदा जिला की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की बड़ी हिस्सेदारी है. बीएनपी लगातार भारत पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए दवाब बना रही है.
अब बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने शेख हसीना के बांग्लादेश प्रत्यर्पण को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने शेख हसीना के प्रत्यर्पण को भारत-बांग्लादेश संबंधों के संबंधों के साथ जोड़ा है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच एक नये अध्याय की शुरुआत शेख हसीना के प्रत्यर्पण से हो. शेख हसीना की भारत में उपस्थिति से भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी रिश्ते को नुकसान पहुंचा रही है.
उन्होंने साफ कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनके अपराध के लिए कानून का सामना करना होगा. इस कारण बांग्लादेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए, भारत को उनकी बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए.
बता दें कि शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में पिछले 20 दिनों में हत्या के 63 मामले दर्ज किये गये हैं. पांच अगस्त को हिंसा के बाद शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पिछले तीन हफ्ते से भारत में रह रही हैं.
हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बनाया दवाब
बीएनपी के दूसरे नंबर के नेता मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने पीटीआई के दिए गये साक्षात्कार में भारत के साथ बांग्लादेश के संबंधों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पुराने सारे मतभेद भूल जाएगी और अब नये रिश्ते बनाने के लिए तैयार है और इसके लिए उनकी पार्टी सहयोग करेगी.
मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि उनकी पार्टी बांग्लादेश की धरती पर ऐसी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देगी जिससे भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो.
अदानी बिजली समझौते की होगी समीक्षा
आलमगीर ने कहा कि बांग्लादेश में चुनाव के बाद यदि बीएनपी की सरकार बनती है, तो उनकी सरकार अवामी लीग शासन के दौरान हस्ताक्षरित अदानी बिजली समझौते की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन करेगी. इस समझौते को लेकर बांग्लादेश के लोगों पर दवाब डाला गया था.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार बांग्लादेश के लोगों की मानसिकता को समझने में पूरी तरह से विफल रही है. यह उनकी कूटनीतिक विफलता है. उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के आरोप को खारिज करते हुए इसे उनका आंतरिक मामला करार दिया. हिंदुओं पर हमले की रिपोर्ट को उन्होंने खारिज करते हुए कहा कि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक होने की बजाय राजनीति से प्ररित हैं.

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