संजय मिश्रा ने पिता की मौत के बाद छोड़ दिया था मुंबई, ऋषिकेश जाकर ढाबे पर करने लगे थे काम

संजय मिश्रा करीब तीन दशकों से हिंदी सिनेमा में एक्टिव हैं. उन्होंने खुद को हर तरह की फिल्मों में साबित किया है. गंभीर किस्म के रोल हों या फिर कॉमेडी, संजय मिश्रा हर किरदार को ऐसे निभाते हैं कि लोग उनके दीवाने हो जाते हैं. पर एक वक्त ऐसा भी उनकी जिंदगी में आया था, जब उन्होंने मायानगरी मुंबई से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया था और ऋषिकेष में गंगा किनारे किसी ढाबे पर काम करने लगे थे. आज संजय मिश्रा का जन्म दिन है. वो आज 60 साल के हो गए हैं. इस मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी का सबसे दिलचस्प किस्सा सुना रहे हैं.
संजय मिश्रा ने साल 1995 में आई फिल्म ‘ओह मार्लिंग ये है इंडिया’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी. फिल्म में उनका रोल छोटा था. इसमें शाहरुख खान और दीपा साही मुख्य रोल में थे. इसके बाद उन्होंने बंदिश, सत्या और दिल से समेत कई फिल्मों में काम किया.
छोड़ दिया मुंबई
संजय मिश्रा ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया था, “वो मेरा शॉक था (शराब-सिगरेट का इशारा करते हुए). आम आदमी हूं, शौक था. बैंक बैलेंस तुड़वाकर शौक पूरा करना घरवालों ने सिखाया नहीं. शौक पालना है तो फिर अपने ही खर्चों से पालो. दरअसल वो फेज बड़ा अजीब सा था. मैं बीमार पड़ा था. डॉक्टर्स ने कह दिया था कि बस कुछ और घंटे हैं. फिर मेरे पिता जी मुझे उठाकर के जीबी पंत अस्पताल लेकर गए.”
संजय मिश्रा आगे बताते हैं, “एक महीने अस्पताल में रहने के बाद मैं ठीक होता हूं. 15 दिन बाद पिता जी चले जाते हैं (निधन हो जाता है). जिस रोल में मुझे कास्ट किया गया था वो उस रोल में पिता को कास्ट कर लिया गया था. मैं बहुत दुखी था कि इस रोल में तो मुझे कास्ट होना चाहिए था, पिता क्यों? उनके दोस्तों ने बताया कि बढ़िया है, अगर उस रोल में तुम कास्ट होते तो एक-दो मौत और होती, तुम्हारे मम्मी-पापा की. इन चीज़ों को सुनकर दुनियादारी समझ आ गई.”
हो चुके थे मशहूर
संजय मिश्रा ने बताया कि उस वक्त तो वो काफी मशहूर हो गए थे. उनका शो ऑफिस ऑफिस, कई फिल्में जैसे गोलमाल और धमाल आ चुकी थीं. वो कहते हैं, “मैं सोचता था कि मुझे कोई नहीं जानता है. मैं अभी भी यही सोचता हूं. मैं जिंदगी से उचट गया था. इसलिए ऋषिकेश चला गया था. वहां एक बूढ़े से अंकल को देखा. वो खुद ही मैगी खाते थे और बनाते भी थे. मैंने देखा कि उन्हें किसी साथ देने वाले की बहुत ज़रूरत है.”
इसके बाद संजय मिश्रा ने वहां काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि लोग मुझसे मिलने आ जाते थे. वो मुझे दूसरे से देखता रहता था. उसी पॉपुलैरिटी ने नौकरी छुड़वा दी. इसके बाद ढाबे वाले अंकल ने संजय मिश्रा को निकाल दिया. इंटरव्यू में संजय कहते हैं, “फिर कोशिश करूंगा ऐसा करने का.”

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