संबलपुर सीट पर BJP का कब्जा, धर्मेंद्र प्रधान ने 5 लाख से ज्यादा वोटों से दर्ज की जीत, जानें उनका सियासी सफर

ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में संबलपुर बेहद अहम सीटों में शुमार है. सभी की निगाहें इस सीट के चुनाव परिणाम पर टिकी थी. इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है. बीजेपी उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रतदान ने यहां शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की. धर्मेंद्र प्रधान को कुल 5 लाख 92 हजार 162 वोट मिले हैं. उनका मुकाबला बीजेडी उम्मीदवार प्रणब प्रकाश दास से था. जो 4 लाख 72 हजार 326 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे. वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार नागेंद्र प्रधान रहे जिन्हें 89 हजार 113 वोट मिले हैं.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शुरू से ही संबलपुर सीट पर बढ़त बनाए हुए थे. जो बाद में जीत में तब्दील हो गई. बीजेपी उम्मीदावर 1 लाख 19 हजार 836 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. संबलपुर सीट पर बीजेपी और बीजेडी के बीच सीधा मुकाबला था. जिसमें बीजेडी उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा. जो पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है. संबलपुर जिले की लोकसभा सीट पर पांचवें चरण में वोटिंग कराई गई जिसमें करीब 71 फीसदी लोगों ने वोट डाले. पिछली बार की तुलना में इस बार यहां पर ज्यादा वोटिंग हुई थी.
राजनीतिक परिवार में हुआ जन्म
बात करें जीत का परचम लहराने वाले धर्मेंद्र प्रधान तो ओडिशा में वो बीजेपी का प्रमुख चेहरा है. उनका जन्म 26 जून 1969 को ओडिशा के तालचर शहर में एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. उनके पिता देवेंद्र प्रधान भी राजनीति में थे. वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1999 से 2004 तक केंद्रीय मंत्री थे. यही वजह है कि राजनीति धर्मेंद्र प्रधान को विरासत में मिली.
पढ़ाई के दौरान ABVP से जुड़े
धर्मेंद्र प्रधान ने तालचर कॉलेज से हायर सेकेंडरी की पढ़ाई की है. उसके बाद उत्कल यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर से एंथ्रोपोलॉजी में एमए की डिग्री हासिल की. तालचर कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ. धर्मेंद्र प्रधान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और बाद में छात्र संघ के अध्यक्ष भी बने. साल 1998 में वो बीजेपी में शामिल हो गए और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया. धर्मेंद्र प्रधान की पत्नी का नाम मृदुला प्रधान है. उनके दो बच्चे बेटी नैमिषा और बेटा निशांत है.
2000 में बने विधायक
साल 2000 में पल्ललहारा विधानसभा क्षेत्र से धर्मेंद्र प्रधान विधायक चुने गए. इसके बाद साल 2001 में वो ओडिशा के बीजेपी यूथ विंग के अध्यक्ष बने. इसके बाद 2002 में उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया. साल 2004 में देवगढ़ लोकसभा सीट से धर्मेंद्र प्रधान सांसद चुने गए. 2012 में बिहार और 2018 में वो मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए. 2014 में जब देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी तो धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम और नैचुरल गैस के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए. इसके बाद 2019 में भी उन्हें पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. इसके अलावा वो स्टील मंत्री भी रहे. 2021 तक उन्होंने ये मंत्रालय संभाले. 2021 से वह शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय संभाल रहे हैं.
धर्मेंद्र प्रधान के पास इतनी है संपत्ति
धर्मेंद्र प्रधान ने 31 मार्च, 2022 को 45 लाख रुपए से अधिक की देनदारियों के साथ 2.28 करोड़ रुपए से अधिक की चल और अचल संपत्तियों सहित कुल संपत्ति घोषित की थी. इस अवधि के दौरान उनकी संपत्ति में 4 लाख रुपए से ज्यादा का इजाफा हुआ. मंत्री द्वारा घोषित चल संपत्ति में बैंक खातों में जमा राशि, पत्नी मृदुला ठाकुर प्रधान के साथ 60.94 लाख रुपए से अधिक के संयुक्त खाते और 35,000 रुपए नकद शामिल है. उनके पास 200 ग्राम सोना और 2.5 किलो चांदी सहित 13.5 लाख रुपए के आभूषण भी हैं. इसके साथ ही उनके पास 2 लाख रुपए के कंप्यूटर और अन्य सामान हैं.
प्रधान द्वारा घोषित अचल संपत्ति में अंगुल जिले के खमार पुलिस सीमा के अंदर सत्य बांध में कृषि भूमि शामिल है. प्रधान के पास 20.50 लाख रुपए से अधिक की गैर कृषि भूमि है. इसके अलावा उनके पास उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक आवासीय मकान है.
पत्नी के पास इतनी संपत्ति
वहीं धर्मेंद्र प्रधान की पत्नी के पास 2.95 करोड़ रुपए और 1.37 करोड़ रुपए से अधिक की चल और अचल संपत्ति है. उन पर 20.57 लाख रुपये की देनदारी है. इसके अलावा, उनकी बेटी नैमिषा और बेटे निशांत के पास क्रमशः 25.29 लाख रुपए और 1.62 लाख रुपए से अधिक की अचल संपत्ति है.

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