सद्गुरु के जन्मदिन पर बनासकांठा में अनोखी पहल, किसानों ने शुरू की कंपनी

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के जन्मदिन पर गुजरात के बनासकांठा में एक अनोखी पहल की गई है. सद्गुरु द्वारा शुरू किए गए मिट्टी बचाओ वैश्विक आंदोलन से प्रेरित होकर किसान यहां एकसाथ जुटे. उन्होंने बनास सेव सॉइल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (बीएसएसएफपीसी) की स्थापना की. यह मिट्टी बचाओ आंदोलन की साझेदारी में भारत की पहली मिट्टी-केंद्रित किसान उत्पादक कंपनी है.
इस मौके पर गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष और बनास डेयरी के सम्मानित अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी ने थराद में बनास मृदा परीक्षण प्रयोगशाला (बीएसटीएल), खिमाणा में बनास जैव उर्वरक अनुसंधान, विकास प्रयोगशाला (बीबीआरडीएल) और एक किसान प्रशिक्षण हॉल के साथ एफपीसी का उद्घाटन किया.
सद्गुरु का मिट्टी बचाओ आंदोलन
सद्गुरु ने दो साल पहले वैश्विक मिट्टी बचाओ आंदोलन शुरू किया था. एक वीडियो संदेश में उन्होंने इस पहल के लिए बनासकांठा के किसानों को बधाई दी और कंपनी की सफलता की कामना की. उन्होंने कहा- इससे ना केवल लोगों को पोषण मिलेगा बल्कि यहां की मिट्टी को भी यह समृद्ध करेगा.
सद्गुरू ने कहा कि – गुजरात और देश के विकास में योगदान देने वाले सेव सॉइल बनास फार्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) को आगे बढ़ाने के लिए बनास डेयरी में आप सभी को बधाई और आशीर्वाद. यह किसानों की आय को बढ़ाएगा. एफपीओ भारत की खुशहाली का भविष्य है. वे हमारी 65% आबादी के लिए आर्थिक संभावनाओं को बढ़ाएंगे.

Congratulations and Blessings to every one of you at Banas Dairy for pioneering the Save Soil Banas Farmers Producers Organization, a significant contribution to the development of Gujarat & Bharat. The FPO will not only bring nourishment to the people but also nourish and enrich pic.twitter.com/zndZRDcR4w
— Sadhguru (@SadhguruJV) September 3, 2024

किसानों को मिलेगा अनोखा ज्ञान
मुख्य अतिथि और गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष और बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी ने कहा- आज बनास डेयरी में यह एक निर्णायक क्षण है. बनास सेव सॉइल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी और थराद और खिमाणा में हमारी नई सुविधाएं टिकाऊ भविष्य की नींव रखेंगी. हम अपने किसानों को वह ज्ञान, उपकरण और सहायता प्रदान करते हैं, जो हमें जीवित रखने वाली मिट्टी का पोषण करते हुए फलने-फूलने के लिए जरूरी है.
वहीं प्रयोगशाला के मुख्य तकनीकी अधिकारी प्रवीण श्रीधर का कहना था- उनका मिट्टी बचाओ आंदोलन काफी अहम है. उन्होंने कहा कि बनासकांठा की धरती अर्ध-शुष्क है, इसलिए यहां मिट्टी की उर्वरता और किसानों की आजीविका पर असर होता है.
एफपीसी का मिशन क्या है?
एफपीसी यानी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का लक्ष्य अपने पहले चरण में 3,000 किसानों का नामांकन करना है, जिसके लिए पंजीकरण शुरू हो गए हैं. एफपीसी के उद्देश्यों में से एक आगामी खरीफ सीजन में पहली बार मूंगफली उगाने वाले किसानों की आय में वृद्धि करना है. 40 गांवों के 911 किसानों को पहली बार मूंगफली की खेती के लिए कई महीनों में प्रशिक्षित किया गया है. इससे किसानों को लाभ मिलेगा.

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