सपा नेता आरके चौधरी के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, पीडीए के नाम पर वोट मांगने का है आरोप

समाजवादी पार्टी को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मोहनलालगंज से सपा सांसद आर.के. चौधरी के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. चौधरी पर 18 जुलाई को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है, जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था. इसके अलावा, सपा सांसद चौधरी पर लोकसभा चुनाव के दौरान पीडीए के नाम पर वोट मांगने का भी आरोप है, जिसे लेकर हाईकोर्ट ने जवाब मांगा और नोटिस जारी किया.
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि अखिलेश यादव, आर.के. चौधरी और समाजवादी पार्टी ने धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगे, जो कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123 (3) और माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन है.
क्या है पीडीए?
अखिलेश यादव ने पहली बार जून 2023 में पीडीए शब्द का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा था कि पीडीए ही एनडीए को हराएगा. पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय, यूपी में मुस्लिम और यादव परंपरागत रूप से सपा के कोर वोटर माने जाते हैं. ये दोनों समुदाय मिलकर सपा को कई सीटें दिलाते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को केवल पांच सीटें मिली थीं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद ज्यादा सीटें नहीं मिल सकीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा को सिर्फ 47 सीटों पर संतोष करना पड़ा, और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा 111 सीटों पर ही सिमट गई.
पीडीए प्लान कैसे काम किया?
अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पीडीए के जरिए अपने परंपरागत वोट बैंक को बढ़ाने की योजना बनाई. वह यादव और मुस्लिमों के साथ-साथ दलित और अन्य ओबीसी जातियों को भी अपनी ओर आकर्षित करना चाहते थे. उन्होंने पीडीए में फॉरवर्ड जातियों के पिछड़े लोगों को भी शामिल किया, जो परंपरागत रूप से भाजपा के वोटर माने जाते हैं.

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