सबका साथ, सबका विकास पर क्या PM मोदी के विरोध में खड़े हो गए हैं शुभेंदु अधिकारी?

मुसलमानों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी के एक बयान ने कोलकाता से लेकर दिल्ली तक की सियासी सरगर्मी बढ़ दी है. शुभेंदु ने कहा है कि अब हमें अपनी रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत है. हमें सबका साथ और सबका विकास की जगह पर जो वोट देगा, उसी की काम करेंगे की बात करनी चाहिए.
शुभेंदु के बयान पर बवाल मचने के बाद बीजेपी की शीर्ष इकाई ने पल्ला झाड़ लिया है. इसकी वजह सबका साथ और सबका विकास नारा है. 2014 में नरेंद्र मोदी ने यह नारा दिया था, तब से केंद्र की सरकार इसी नारे के सहारे आगे बढ़ रही है.
शुभेंदु अधिकारी ने क्या कहा है?
कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हमें बीजेपी के भीतर अल्पसंख्यक मोर्चा बंद करने की जरूरत है, जो लोग बीजेपी को वोट नहीं देते हैं, उनके लिए हम काम क्यों करेंगे? बीजेपी का मतलब हिंदुओं की पार्टी है.
उन्होंने आगे कहा कि मैं सबका साथ और सबका विकास नहीं बोलूंगा. इस देश में राष्ट्रवादी मुस्लिम टाइप कुछ भी नहीं होता है, सब बकवास बातें हैं. हालांकि, मामले ने तुल पकड़ा तो शुभेंदु ने अपने बयान पर सफाई दी. शुभेंदु ने कहा कि मैं प्रधानंमत्री के सबका साथ-सबका विकास के नारे के साथ हूं.
वहीं तृणमूल ने इस बयान को प्रधानमंत्री मोदी का अपमान बताया है. तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना है कि बीजेपी अगर सबका साथ और सबका विकास नारे के साथ है, तो उसे शुभेंदु पर कार्रवाई करनी चाहिए.
शुभेंदु क्यों दे रहे हैं इस तरह का बयान?
पहले 2021 विधानसभा और अब 2024 के लोकसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी की हार हुई है. 2024 में तो बीजेपी को लोकसभा की 6 सीटें गंवानी भी पड़ गई. शुभेंदु अधिकारी के गढ़ मेदिनीपुर में सिर्फ कांथी और तमलुक में बीजेपी को जीत मिली, जबकि पार्टी आरामबाग, घाटल, मेदिनीपुर और झाड़ग्राम में बुरी तरह हार गई.
शुभेंदु को भी इसका नुकसान हुआ और उनके घर में सिर्फ एक सांसद रह गए हैं. पहले शुभेंदु के परिवार से कम से कम 2 सांसद चुने जाते थे.
सीएसडीएस के मुताबिक इस चुनाव में बीजेपी को मुसलमानों के सिर्फ 7 प्रतिशत वोट मिले. इसके मुकाबले तृणमूल को मिलने वाले मुसलमानों के वोट प्रतिशत में काफी बढ़ोतरी देखी गई. 2024 में तृणमूल को 73 प्रतिशत वोट मिले. बंगाल में करीब 28 प्रतिशत मुस्लिम हैं.
इतना ही नहीं, इस बार कई सीटों पर सीपीएम गठबंधन ने बीजेपी के ही हिंदू वोट काट लिए, जो पार्टी की हार का कारण बन गया. ऐसे में कहा जा रहा है कि असम की तर्ज पर शुभेंदु मुसलमानों को खिलाफ बयान देकर ध्रुवीकरण की रणनीति तैयार कर रहे हैं.
क्योंकि, शुभेंदु के लिए बंगाल की राजनीति में अब ज्यादा ऑप्शन भी नहीं है. शुभेंदु पहले तृणमूल कांग्रेस में थे, जहां उनके लिए रास्ता बंद हे चुका है. वहीं बीजेपी की हार के बाद उनकी अकेले की सत्ता खतरे में है. कहा जा रहा है कि बंगाल में बीजेपी फिर से किसी मजबूत चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है. ऐसा होता है तो शुभेंदु के लिए यह झटका माना जाएगा.
सबका साथ और सबका विकास का नारा
साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने सबका साथ और सबका विकास का नारा दिया था. उस वक्त पार्टी पर मुसलमानों को लेकर कई आरोप लग रहे थे. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा भी काफी एक्टिव हुआ और मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने के लिए कई अभियान चलाया गया. इनमें मोदी मित्र नाम से चलाया जाने वाला कार्यक्रम प्रमुख था.
इन समुदायों को साधने के लिए प्रधानमंत्री मोदी खुद देश के कई मुस्लिम नेताओं से मिले. इतना ही नहीं, बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपूर शर्मा ने जब पैगंबर पर विवादित टिप्पणी की तो पार्टी ने उन्हें तुरंत सस्पेंड कर दिया.
2019 में मोदी ने अपने सबका साथ-सबका विकास के नारे में सबका प्रयास और 2024 में सबका साथ-सबका विकास के नारे में सबका प्रयास और सबका विश्वास भी जोड़ा.
हालांकि, क्षेत्रीय स्तर पर इस नारे के विरोध में बोलने वाले शुभेंदु अधिकारी पहले बड़े नेता नहीं हैं. हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि उन्हें मुसमलानों के वोट नहीं चाहिए.

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