सबसे ऊपर देश प्रेम… विक्रम बत्रा से लेकर अंशुमान सिंह तक की ऐसी है लव स्टोरी

देश प्रेम यह एक ऐसा शब्द है जिसको महसूस तो हम सब करते हैं लेकिन कुछ चुनिंदा बहादुर ही होते हैं जो अपने देश प्रेम के चलते सेना, पुलिस में भर्ती हो जाते हैं और चल पड़ते है एक ही दिशा की ओर देश की रक्षा, देश का मान-सम्मान और खुद से एक ही वादा कर लेते है कि यह देश मेरा पहला प्यार है. क्या कभी आपने सोचा है वो अपनी उस प्रेमिका को क्या कहते होंगे जिनके साथ उन्होंने जीने-मरने की कसम खाई थी, जिनकी प्रेमिका दुल्हन के लिबास में सजने और ता उम्र उनकी हो जाने का इंतजार करती रह गई, जिनकी पत्नी के मेहंदी वाले हाथ अभी भी महक रहे हैं, जिनका बच्चा अपने वीर पिता से मिल नहीं पाया, वो शायद अपनी प्रेमिका से मुस्कुराते हुए यह ही कहते होंगे “सबसे ऊपर देश प्रेम”….
दुनिया में कई काम है, कई सेवा है लेकिन देश की सेवा करना सबसे सर्वोच्च है. यह वो सेवा है जिसमें घर से एक लाल ही सीमा पर तैनात नहीं होता बल्कि यह वो सेवा है जिसके लिए एक मां अपनी ममता पर काबू कर बेटे को भेज देती है, एक पिता गर्व करता है मगर अंदर ही अंदर डरता है और एक पत्नी जो क्या महसूस करती होगी वो शब्दों में नहीं बताया जा सकता.
काश, एक सवेरा और देख लेते
देश में ऐसी कई कहानियां है जहां तिरंगे में लिपट कर एक लाल चला गया और एक मोहब्बत की दास्तान अधूरी रह गई, एक कहानी जो कभी मंजिल को नहीं पहुंच पाई. सुनाई दी तो बस कुछ चीखें, लौट आओ की आवाज और एक आस की काश , काश तुम एक सवेरा और देख लेते , हम कुछ पल साथ और जी लेते, कुछ लम्हें , बस कुछ लम्हें और मिल जाते. आज हम आपको इन जवानों की वीरता की कहानी नहीं सुनाएंगे बल्कि उस प्रेमिका, पत्नी की कहानी बताएंगे जिन्होंने अपने हमसफर को खोया.
हर मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती
कहते हैं मुश्किल उसके लिए नहीं होती जो चला जाता है, जिंदगी गुजारना तो उसके लिए मुश्किल होता है जो पीछे छूट जाते हैं.
“शेरशाह” कारगिल के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा जिन्होंने दुश्मनों से लोहा लिया और आखिरी सांस तक देश की हिफाजत करते रहे लेकिन उस प्रेम की वो हिफाजत नहीं कर सके जो पीछे छूट गया था. इस शेरशाह ने देश से किया वादा तो बखूबी निभाया लेकिन अपनी प्रेमिका डिंपल चीमा से किया वादा वो पूरा नहीं कर सके. युद्ध से लौटते ही कैप्टन विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा शादी करने वाले थे, जंग के दौरान भी दोनों एक दूसरे से बात करते थे और एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते और अंत में साथ एक ही ख्वाब देखते “शादी का”.
शायद यह वहीं खूबसूरत लम्हें होंगे जो अब यादें बन कर चेहरे पर मुस्कुराहट और आंखों में नमी दे जाते होंगे. जहां कैप्टन साहब अपना वादा नहीं पूरा कर सके लेकिन डिंपल अपना वादा आज तक निभा रही है. डिंपल चीमा ने आज तक शादी नहीं की. कैप्टन बत्रा के भाई विशाल बत्रा बताते हैं कि डिंपल चीमा उन से कहती थी कि जब विक्रम बत्रा युद्ध से वापस आएंगे तुम हमारी शादी कराने का वादा याद रखना. लेकिन वो वादा महज वादा बन कर रह गया.
“लगता है वो ड्यूटी पर गए हैं”
डिंपल चीमा की आंखें आज भी कैप्टन विक्रम बत्रा के लौट आने का इंतजार कर रही है. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मुझे आज भी लगता है कि वो ड्यूटी पर गए हैं. डिंपल ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि हम एक बार साथ में गुरुद्वारा गए थे और परिक्रमा के दौरान वो मेरे पीछे चल रहे थे और परिक्रमा पूरी करने के बाद उन्होंने मुझ से कहा मुबारक हो मिसेज बतरा और मैंने पीछे मुड़ कर देखा कि उन्होंने मेरे दुपट्टे का एक कोना पकड़ रखा था. डिंपल चीमा ने बताया कि उनकी मोहब्बत का सबसे खूबसूरत किस्सा वो है जब विक्रम बत्रा ने ब्लेड से अपनी उंगली काट कर अपने खून से उनकी मांग भर दी थी. डिंपल चीमा ने कहा इन 25 सालों में उन्हें कभी नहीं लगा कि वो अकेली है. उन्होंने कहा वो एक दिन मुझे फिर मिलेंगे.
कैप्टन अंशुमन सिंह और पत्नी स्मृति सिंह
कैसा लगता होगा जब आपके किसी अपने का नाम लिया जाता होगा उन की हिम्मत बहादुरी को सलाम करते हुए पूरा भारत साथ खड़ा होता होगा, उनका नाम पुकारा जाता होगा, लेकिन दिल तब दहल जाता होगा जब बोला जाता होगा मरणोपरांत.. एक बार फिर आंखें भर आती होंगी और यादों का पिटारा आंखों से गुजरता होगा, वो आखिरी फोन कॉल वो वादें, वो साथ बिताए लम्हें सब एक झटके में ओझल हो जाते होंगे. जब उनके बलिदान की गाथा सुनाई जाती होगी तो सारी भावनाएं एक तरफ रख कर सिर्फ गर्व महसूस होता होगा. यहीं गर्व महसूस हुआ होगा कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह को.
शादी के 2 महीने बाद हुई पोस्टिंग
अपना इंटरव्यू शुरू करते हुए स्मृति सिंह ने कहा मैं स्मृति सिंह लेकिन वो इतना कहते हुए नहीं रुकी उन्होंने अपनी पहचान बताते हुए कहा मैं स्मृति सिंह कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी. यह शब्द जब वो कह रही थी तो उनकी आंखों में प्यार की चमक से ज्यादा गर्व की रोशनी नजर आ रही थी. स्मृति सिंह ने बताया कि उनके और कैप्टन अंशुमन के बीच कॉलेज के दिनों में प्यार हुआ था. जिसके बाद उनका रिश्ता 8 साल तक चला. जिसके बाद उन दोनों की शादी हो गई. शादी के दो महीने बाद उनकी सियाचिन में पोस्टिंग हो गई.
50 साल की जिंदगी का किया वादा
स्मृति सिंह ने बताया कि 18 जुलाई को उनकी पति अंशुमान से बात हुई थी. जिस दिन उन दिनों ने काफी लंबी बातें की और आगे आने वाली 50 साल की जिंदगी उन दोनों की कैसी होगी इसको लेकर बात हुई, घर बनाना है, बच्चे होंगे. वहीं बातें जो हर कपल अकसर एक दूसरे से करता है. लेकिन कौन जानता था यह इन दोनों की आखिरी बातें बन कर रह जाएंगी. 19 जुलाई स्मृति और अंशुमान के परिवार के लिए कहर बन कर सामने आई, जब उनके पास फोन आया कि वो कैप्टन अंशुमान सिंह नहीं रहे.
मुझ से ऊपर था देश प्रेम
उस फोन कॉल के बाद अपने कानों पर स्मृति सिंह को यकीन नहीं हुआ, या शायद वो यकीन करना चाहती ही नहीं थी. वो बताती है कि फोन कॉल के बाद 8 से 9 घंटे तक उनको कुछ नहीं समझ आया. जिसके बाद उन्होंने कहा कि मैं यह दुआ करती रही काश यह खबर झूठ हो और वो जिंदा हो , लेकिन आज जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है तो मुझे इस बात का यकीन आ गया है कि वो अब नहीं है. स्मृति सिंह ने कहा कि मुझे लगता था कि अंशुमन की जिंदगी में मैं सबसे ज्यादा महत्व रखती हूं लेकिन उस दिन मुझे पता चला कि मुझ से ऊपर एक प्रेम और है वो है देश प्रेम.
ढेड़ साल का था बेटा
साल 2022 में कश्मीर के बारामुला के जंगलों में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए हिमाचल प्रदेश के कुलभूषण मांटा शहीद हो गए. उनको कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. जिसको लेने उनकी पत्नी और मां सामने आए. मां की आंखों में आंसू थे लेकिन पत्नी बिल्कुल खामोश थी, उनकी खामोशी ही हजारों शब्दों से ज्यादा थी.
वीर सैनिक की पत्नी नीतू ने यहीं हिम्मत उस वक्त भी दिखाई थी जब साल 2022 में उन्होंने अपनी पति को अंतिम विदाई थी. उस समय उन्होंने अपनी सारी भावनाओं पर काबू किया और एक वीर सैनिक को सैल्यूट कर अंतिम विदाई दी. जिस समय कुलभूषण शहीद हुए उस समय उनका बेटा महज ढाई महीने का था. उस बच्चे को पिता की वीरता के किस्से सुनाने में जितना पत्नी नीतू की आंखों में गर्व होता होगा उतनी ही छुपी होती होगी आस, की काश एक सवेरा और होता और हम साथ होते.
“मेरा बच्चा दुनिया में आने से पहले ही अनाथ हो गया”
पेट में उनका अंश जो मुझ में सांसें ले रहा था लेकिन रुक गई थी उनकी ही सांसें. मेरी आंखों के सामने पहनाया गया उन्हें कफन…
एक वो पत्नी जिनके पति को उस वक्त शहादत नसीब हुई जब उनका अंश उनके अंदर सांसें ले रहा था. कश्मीर के पुलिस इंस्पेक्टर मसरूर अहमद वानी पर लश्कर – ए-तैयबा के आतंकवादियों ने उस वक्त हमला किया जब वो श्रीनगर में क्रिकेट खेल रहे थे. जिसके बाद उनको फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां 39 दिन लगातार उनका इलाज हुए लेकिन उन्होंने फिर अगले दिन का सवेरा नहीं देखा और 7 दिसंबर 2023 को दम तोड़ दिया और पीछे छोड़ दिया एक परिवार, जिसमें एक नन्हा मेहमान भी जुड़ने वाला था.
जब इंस्पेक्टर मसरूर अहमद वानी को सलामी दी जा रही थी तो उनकी पति अपने पति और अपने बच्चे के पिता को खोने के गम से चीख रही थी, दर्द – तकलीफ से रो रही थी. शायद वो एक बार वक्त को वापस लाना चाहती थी, फिर से पति संग जिंदगी के उन खूबसूरत लम्हों को जीना चाहती थी. उन्होंने इंटरव्यू देते वक्त वो शब्द कहे जो किसी भी शख्स, किसी भी मां के दिल को झकझोर दें. उन्होंने कहा, मेरा बच्चा दुनिया में आने से पहले ही अनाथ हो गया.
हर मां, हर पत्नी, हर परिवार को सलाम
यह कुछ कहानियां है असल में ऐसे कई परिवार , कई पत्नी और प्रेमिका होंगी जो आज भी दोबारा अपने पति, प्रेमी की आवाज सुनना चाहती होंगी उनके साथ एक दिन और जीना चाहती होंगी और उनके वापस आ जाने का कभी न सच होने वाला ख्वाब देखती होंगी. हर उस मां, हर उस पत्नी, हर उस परिवार को सलाम है जो देश की रक्षा के लिए न सिर्फ अपनी जान बल्कि अपना प्यार अपना परिवार, मां की ममता, पिता का स्नेह सब कुछ न्योछावर कर देते हैं और कहते हैं, सबसे ऊपर देश प्रेम.

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