सबसे पहले कब आया था लेटरल एंट्री का विचार? जिसका विरोध कर रहा विपक्ष

लेटरल एंट्री को लेकर उठे विवाद के बीच अब सरकार से जुड़े लोगों की सफाई सामने आई है. सरकारी सूत्रों ने बताया है कि लेटरल एंट्री का विचार सबसे पहले यूपीए सरकार के समय दिया गया था. बाद में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने इसकी मजबूती से वकालत की थी. लेटरल एंट्री के मुद्दे पर यह सफाई ऐसे समय में आई है जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इसे संविधान पर हमला बताया है. कई दल इसके विरोध में खड़ा हो गए हैं.
सरकार से जुड़े लोगों ने कहा है कि एआरसी का कहना था कि लेट्रल एंट्री से प्रशासनिक व्यवस्था अधिक प्रभावी, पारदर्शी और नागरिकों के लिए अधिक सुगम बनेगी. पारंपरिक सिविल सेवा में विशेषज्ञता का अभाव होता है. लिहाजा निजी क्षेत्र, अकादमिक क्षेत्र और सरकारी कंपनियों से विशेषज्ञों को लाकर इस की कमी को दूर किया जाना चाहिए.
टैलेंट पूल बनाने की हुई थी सिफारिश
एआरसी ने पेशवरों का एक टैलेंट पूल बनाने की सिफारिश की थी जो कि सरकार में शॉर्ट टर्म या कांट्रैक्ट पर लाए जा सकते हैं. ये लोग इकॉनामिक्स, वित्त, तकनीक और पब्लिक पॉलिसी के विशेषज्ञ हो सकते हैं. एआरसी ने इनकी नियुक्ति के लिए पारदर्शी और मेरिट आधारित व्यवस्था की सिफारिश की थी. एआरसी ने लेट्रल एंट्री में नियुक्ति और प्रबंधन के लिए एक डेडीकेटेड एजेंसी बनाने की बात कही थी.
एआरसी ने लेटरल एंट्री के जरिए आए लोगों के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए एक परफॉर्मेंस मैनेजमेंट सिस्टम भी बनाने को कहा था. मौजूदा सिविल सेवा में उनके एकीकरण के लिए स्पष्ट रूप से कहा था कि यह ऐसे होना चाहिए जिससे सिविल सेवा की साख और मानकों को बरकरार रखा जा सके.
समय-समय पर सरकारों ने लेटरल एंट्री के जरिए बाहर के लोगों को रखा
सफाई में कहा गया है कि सरकारों ने समय-समय पर लेटरल एंट्री के जरिए बाहर से लोगों को रखा है. उदाहरण के तौर पर मुख्य आर्थिक सलाहकार लेटरल एंट्री से आते हैं जो 45 वर्ष से कम उम्र के होने चाहिएं और आर्थिक मामलों के जानकार होने चाहिए. मोदी सरकार ने 2018 में पहली बार वरिष्ठ पदों जैसे संयुक्त सचिव और निदेशक के लिए लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियां की थीं. ऐसा एआरसी की सिफारिशों को ध्यान में रख कर ही किया गया था.
नेता प्रतिपक्ष ने संविधान पर बताया है हमला
लेटरल एंट्री को लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं. केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है.
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लेटरल एंट्री का मुद्दा उठाते हुए इसके जरिए होने वाली भर्ती में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को आरक्षण से दूर रखने की मोदी सरकार की साजिश बताया है.

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