‘सब फालतू बात है’, अब नीतीश कुमार ने किस बात पर राहुल गांधी को घेरा?

गठबंधन से बाहर आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बीच तलवार खिंची हुई है. दोनों एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. राहुल गांधी ने एक दिन पहले कहा था कि जातिगत जनगणना के लिए उन्होंने नीतीश कुमार पर दबाव बनाया था.

इस पर नीतीश कुमार ने उस बयान को फालतू बता दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता झूठा क्रेडिट ले रहे हैं.

31 जनवरी को पटना में मीडियाकर्मियों ने नीतीश कुमार से राहुल के बयान पर सवाल पूछा. इस पर उन्होंने कहा,

“आप सोच रहे हैं? इससे बढ़कर कोई फालतू चीज है? जाति जनगणना कब हुई? आप भूल गए हैं? मैंने नौ पार्टियों को बैठाकर ये किया. 2019-2020 में विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक हर जगह मैंने ये बात की. फिर 2021 में मैं प्रधानमंत्री से भी मिला. उन लोगों ने तो मना कर दिया. तो हमने ये किया है. अब ये लोग झूठा क्रेडिट ले रहे हैं, छोड़िए ये सब, इसकी कोई वैल्यू है?”

एक दिन पहले राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को लेकर टिप्पणी की थी. उस समय राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ बिहार में थी. 30 जनवरी को पूर्णिया में लोगों को संबोधित करते हुए राहुल ने नीतीश कुमार को जमकर सुनाया था. कहा था कि उन पर थोड़ा सा दबाव पड़ता है और वो यूटर्न लेते हैं. इसी दौरान राहुल ने जातिगत जनगणना वाली बात उठाई. राहुल ने अपने भाषण में कहा था,

“बात समझिए, नीतीश जी कहां फंसे? मैंने उनसे सीधे कहा था कि आपको बिहार में जातीय जनगणना करनी पड़ेगी, हम आपको छूट नहीं देंगे. हमने और RJD ने नीतीश जी पर जातिगत सर्वे का जोर डाला था. ऐसे में दूसरी ओर से प्रेशर आया. BJP जातिगत सर्वे नहीं चाहती, वो इससे डरती है. BJP चाहती है कि सामाजिक न्याय पर आपका ध्यान ना जाए. नीतीश जी बीच में फंस गए और BJP ने उन्हें निकलने का रास्ता दे दिया. वो उस पर निकल गए.”

राहुल गांधी के इस बयान पर जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह ने भी उन्हें घेरा. उन्होंने कहा कि इससे बड़ा झूठ हो ही नहीं सकता. ललन सिंह ने सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को लिखा, “आपको पता नहीं है कि नीतीश कुमार कभी किसी के दबाव में काम नहीं करते हैं. उनका दावा है कि नीतीश कुमार ने वीपी सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में भी ये मुद्दा उठाया था, जब आपका (राहुल) राजनीतिक उदय भी नहीं हुआ था.”

बिहार में जातिगत जनगणना की जो रिपोर्ट आई, उसकी शुरुआत करीब साढ़े चार साल पहले हुई थी. बिहार विधानमंडल ने 18 फरवरी 2019 को राज्य में जाति आधारित जनगणना यानी सर्वे कराने का प्रस्ताव पारित किया था. बिहार विधानसभा के सभी 9 राजनीतिक दलों की सहमति से फैसला लिया गया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी. इसके बाद 2 जून 2022 को बिहार कैबिनेट ने जाति आधारित जनगणना कराने को मंजूरी दी. राज्य सरकार ने पिछले साल 2 अक्टूबर को आंकड़ों को जारी किया था.

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