सिगरेट के इन दुकानों से सरकार के खजाने पर पड़ रहा असर, मिलता है सबसे अधिक टैक्स
तम्बाकू निर्यातकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुल्क वापसी योजना आरओडीटीईपी को इस क्षेत्र में भी लागू किया जाए. शनिवार को हैदराबाद में कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल के साथ बैठक में व्यापारियों ने कहा कि तम्बाकू निर्यातक किसी भी ऐसी योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं जो निर्यात प्रोत्साहन प्रदान करती हो. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उन्होंने तंबाकू निर्यातकों को आरओडीटीईपी योजना के अंतर्गत शामिल करके उन्हें समर्थन देने का अनुरोध किया है. उन्होंने भारत में चबाने वाली तंबाकू के अनऑथराइज्ड प्रोडक्शन और उसके उपयोग को रोकने में सरकार से मदद का भी अनुरोध किया. इसके कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है.
टूट गया रिकॉर्ड
उन्होंने यह भी बताया कि अवैध सिगरेट की बिक्री में वृद्धि हुई है. निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों और टैक्सों की छूट (आरओडीटीईपी) योजना में निर्यातकों द्वारा वस्तुओं के विनिर्माण और डिस्ट्रीब्यूशन की प्रक्रिया में दिए गए टैक्सों और शुल्कों की वापसी का प्रावधान करती है. बैठक में गोयल ने बताया कि नॉन-मैन्युफैक्चरिंग तम्बाकू और उससे बने प्रोडक्ट्स का निर्यात मूल्य सभी रिकॉर्डों को पार करते हुए 12,005.80 करोड़ रुपए (1.5 अरब डॉलर) हो गया.
सरकार इन पैसों का यहां करती है इस्तेमाल
पिछले साल के बजट सत्र के ठीक बाद वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में 19 हजार करोड़ रुपए (19,328.81) का सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स वसूला था. जो FY2021 की तुलना में 17 हजार(17,078.72) करोड़ रुपए से अधिक था. सरकार के अनुसार, तंबाकू से होने वाले टैक्स कलेक्शन का इस्तेमाल उसी से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आदि के लिए किया जाता है. सरकार द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 के लिए 83,000 करोड़ आवंटित किए गए थे.
पिछले साल बजट में हुआ था जिक्र
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल के आम बजट में सिगरेट पर लगने वाली ड्यूटी को 16% बढ़ाने का ऐलान किया था. उस बजट में सरकार ने पान-मसाला, बीड़ी-सिगरेट पर नेशनल कैलेमिटी कंटीन्जेंट ड्यूटी (NCCD) भी बढ़ा दी थी. आखिरी बार सरकार ने 2020 के बजट में टैक्स में बदलाव किया था. सरकार के इस फैसले से केंद्र के खजाने में टैक्स के रूप में होने वाले कलेक्शन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई. आपको जानकर हैरानी होगी कि डीजल, पेट्रोल और आयरन-स्टील के बाद सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स सिगरेट जैसे प्रोडक्ट से मिलता है.