सितंबर में विदेशी निवेशकों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड, 20 साल में कभी नहीं हुआ ऐसा
सितंबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने जो निवेश का रिकॉर्ड बनाया है, वैसे रिकॉर्ड बीते 20 साल यानी दो दशकों में ऐसा कभी नहीं देखने को नहीं मिला है. आंकड़ों के अनुसार साल 2004 से लेकर 2024 तक सितंबर के महीने में पहले बार विदेशी निवेशकों के निवेशकोंं का आंकड़ां 30 हजार करोड़ रुपए के पार पहुंच है. खास बात तो ये है कि साल 2010 में सितंबर के महीने में सबसे ज्यादा निवेश देखने को मिला था. तब सितंबर के महीने में एफपीआई ने शेयर बाजार में करीब 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया था. इसका मतलब है कि एफपीआई ने करीब 15 साल का रिकार्ड भी तोड़ दिया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर के महीने में अब तक कितना निवेश कर दिया है?
कुछ इस तरह बनाया एफपीआई ने रिकॉर्ड
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अबतक भारतीय शेयर बाजारों में करीब 33,700 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इसकी मुख्य वजह अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती और भारतीय बाजार की मजबूती है.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि यह इस साल अबतक एक महीने में भारतीय शेयरों में एफपीआई के निवेश का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है. इससे पहले मार्च में एफपीआई ने शेयर बाजार में 35,100 करोड़ रुपए का निवेश किया था.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (20 सितंबर तक) अबतक शेयरों में शुद्ध रूप से 33,691 करोड़ रुपए का निवेश किया. इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में उनका निवेश 76,572 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. जून से एफपीआई लगातार लिवाल रहे हैं.
इससे पहले, अप्रैल-मई में उन्होंने शेयरों से 34,252 करोड़ रुपए की राशि निकाली थी. सितंबर में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीद के बीच एफपीआई लिवाल रहे हैं. 18 सितंबर को फेडरल रिजर्व द्वारा प्रमुख ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती के बाद एफपीआई ने और आक्रामक तरीके से लिवाली की हैं.
शेयरों के अलावा समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के माध्यम से ऋण या बॉन्ड बाजार में 7,361 करोड़ रुपए और पूर्ण रूप से सुलभ मार्ग (एफआरआर) के माध्यम से 19,601 करोड़ रुपए डाले हैं. वीआरआर दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहित करता है जबकि एफआरआर विदेशी निवेशकों के लिए तरलता और पहुंच को बढ़ाता है.
क्या कह रहे हैं जानकार?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आने वाले दिनों में एफपीआई की खरीदारी का सिलसिला जारी रहने की संभावना है. विश्लेषक कंपनी गोलफाई के स्मॉलकेस प्रबंधक, संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रॉबिन आर्य के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और फेडरल रिजर्व के रुख से भारतीय शेयर बाजार एफपीआई के लिए आकर्षक बने हुए हैं.
बीडीओ इंडिया के भागीदार एवं लीडर-एफएस टैक्स, कर और नियामकीय सेवाएं मनोज पुरोहित ने कहा कि इसके अतिरिक्त संतुलित राजकोषीय घाटा, दर कटौती के भारतीय मुद्रा पर प्रभाव, मजबूत मूल्यांकन और भारतीय रिजर्व बैंक के महंगाई पर नियंत्रण क रुख की वजह से भारत जैसे उभरते बाजार एफपीआई के लिए आकर्षक बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस साल आए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के प्रति भी विदेशी कोषों का रुख सकारात्मक है.