सियोल ओलंपिक में भारत के 46 एथलीटों के साथ क्या हुआ था? कार्ल लुईस ने हारकर भी जीत लिया था गोल्ड मेडल

पेरिस ओलंपिक 2024 के दिन अब करीब हैं. लेकिन, 36 साल पहले खेले ओलंपिक में क्या हुआ था? हम बात कर रहे हैं 1988 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में हुए सियोल ओलंपिक की. एशिया में ये दूसरी बार था, जब ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था. इससे पहले साल 1964 में टोक्यो में पहली बार लोगों ने ओलंपिक के आयोजन को एशिया में होते देखा था. सियोल ओलंपिक में कुल 159 देशों में हिस्सा लिया था, जिसमें भारत भी एक था.
सियोल में भारत के हाथ रहे खाली
1988 में सियोल में खेले ओलंपिक गेम्स में भारत के 46 एथलीटों को बड़ी मायूसी का सामना करना पड़ा था. उनकी मायूसी से देश के खेल प्रेमी भी आहत थे. अब सवाल थे कि भारतीय एथलीटों के साथ सियोल में ऐसा भी क्या हुआ था? तो इसके तार जुड़े हैं सियोल ओलंपिक गेम्स में उन 46 भारतीय एथलीटों की नाकामी से, जिसके चलते भारत के पदकों की झोली खाली रह गई थी.
7 खेलों में उतरा था भारत
सियोल ओलंपिक में भारत ने कुल 7 खेलों में हिस्सा लिया था. उन 7 खेलों में एक तीरंदाजी यानी आर्चरी भी थी, जिसमें भारत पहली बार शिरकत कर रहा था. इन 7 खेलों में भारत के 46 एथलीटों ने हिस्सा लिया, जिसमें 39 पुरुष और 7 महिलाएं थीं. लेकिन, कोई भी मेडल नहीं जीत सका.
सियोल ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल्ड किसने जीते?
सियोल ओलंपिक में 55 गोल्ड के साथ 132 मेडल जीतकर सोवियत यूनियन पहले स्थान पर रहा था. वहीं 37 गोल्ड के साथ 102 मेडल जीतकर ईस्ट जर्मनी तीसरे स्थान पर रहा था. तीसरे नंबर पर रहा USA 36 गोल्ड के साथ 94 मेडल जीत सका था. जबकि मेजबान दक्षिण कोरिया ने 12 गोल्ड के साथ 33 मेडल जीतकर अपने सफर का अंत किया था. वेस्ट जर्मनी, हंगरी, बुल्गारिया, रोमानिया, फ्रांस और इटली टॉप 10 मेडल जीतने वाले देशों में रहे थे. टॉप के 10 देशों ने मिलकर सियोल ओलंपिक में कुल 191 गोल्ड के साथ 513 मेडल शेयर किए थे.
सियोल ओलंपिक में बने ये इतिहास
सियोल ओलंपिक में भारत को भले ही निराशा हाथ लगी. लेकिन, कुछ इतिहास बनते भी दिखे थे. सियोल ओलंपिक में पहली बार ऐसा हुआ था जब घुड़सवारी में पदक जीतने वाली तीनों खिलाड़ी महिलाएं थीं. इसी ओलंपिक गेम्स में स्वीडिश फ़ेंसर केर्स्टिन पाम ने भी एक रिकॉर्ड बनाया था. वो सात ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली पहली महिला एथलीट बन गई थीं.
नए खेल के तौर पर टेबल टेनिस ने भी अपना डेब्यू सियोल से ही किया. 64 साल के लंबे इंतजार के बाद टेनिस भी ओलंपिक गेम्स से सियोल में ही जुड़ा था, जहां महिला टेनिस का गोल्ड मेडल स्टेफी ग्राफ ने जीता था.
हार कर भी कार्ल लुईस ने जीता गोल्ड
100 मीटर की फर्राटा दौड़ हर ओलंपिक इवेट का सबसे बड़ा इवेंट होता है. सियोल ओलंपिक में ये रेस कनाडा के बेन जॉनसन ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ जीता था. लेकिन, बाद में जॉनसन का स्टेरॉयड टेस्ट पॉजिटिव पाया गया, जिसके बाद उन्हें अयोग्य करार दिया गया. ड्रग्स का उपयोग कर अयोग्य करार दिए जाने वाले बेन जॉनसन दुनिया के पहले एथलीट थे.
बेन जॉनसन को अयोग्य करार दिए जाने के बाद कार्ल लुईस को सियोल ओलंपिक में 100 मीटर का गोल्ड दिया गया. इस तरह कार्ल लुईस 1984 ओलंपिक में जीते अपने गोल्ड मेडल को 1988 में भी सफलतापूर्वक डिफेंड करने में कामयाब रहे थे.

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