सिर्फ ड्रिल या जंग की तैयारी! ताइवान की घेराबंदी के पीछे क्या है चीन का मकसद?

चीन अपनी ताकत पूरी में साबित करने के लिए लगा हुआ है. ड्रैगन कई देशों पर अपना अधिकार जमाना चाहता है और अपना कब्जा करना चाहता है. अब पहली बार ऐसा हुआ है कि चीन ने ताइवान के खिलाफ युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है. ताइवान के रक्षा विभाग ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताया है.

चाइनीज आर्मी (PLA) के सीनियर अधिकारी ने सीसीटीवी को बताया है कि ताइवान को लेकर चीन का प्लान क्या है. ताइवान की घेराबंदी करके चीन, ताइवान को पूरी तरह से अलग-थलग करना चाहता है. ताइवान अधिकांश चीजों के लिए बाहरी दुनिया पर निर्भर है फिर चाहे तेल और गैस हो या फिर दूसरी चीजें हो. ताइवान की घेराबंदी दरअसल ताइवान के खिलाफ चीन का एक युद्ध माना जा सकता है.

अलग द्वीप होने का फायदा उठा रहा चीन?

CCTV ने एक वरिष्ठ चीनी सैन्य अधिकारी का इंटरव्यू लिया है जिन्होंने बताया कि ताइवान ‘कमजोर आत्मनिर्भरता’ वाला एक ‘अलग द्वीप’ है. ताइवान के फ्यूल आयात पर निर्भरता को देखते हुए, उन्होंने कहा कि सीसीपी ‘घेरे जाने और नाकाबंदी’ करने के बाद इसे ‘मृत द्वीप’ बना सकती है. ऐसा लगता है कि शी की योजनाएं अधिकांश लोगों की अपेक्षा से भी जल्दी आक्रमण की राह पर हैं.

ताइवान की क्या आई प्रतिक्रिया?

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही ताइवान में नए राष्ट्रपति विलियम लाई ने पद संभाला था. पद संभालने के बाद से ही वो चीन पर आक्रामक बयान देते नजर आए थे. जिसके बाद ड्रैगन ने अगल ही प्रतिक्रिया देते हुए ताइवान के आस-पास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है. चीन की सेना ताइवान की गतिविधियों को अलगाववादी बताने के साथ ही दो दिन के इस सैन्य अभ्यास को उसके लिए सख्त सजा बता रही है.

चीन के रक्षा मंत्रालय का भी इस मामले पर बयान सामने आया. इस सैन्य ड्रिल पर चीनी अधिकारी वू कियान ने कहा कि इस ड्रिल का मकसद ताइवान की स्वतंत्रता के अहंकार का मुकाबला करना और बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप को रोकना है.

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