सीएम फेस के बाद अब टिकट बंटवारे पर भी सियासत, आमने-सामने आए भूपिंदर हुड्डा और दीपक बावरिया
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में सियासत जारी है. दीपक बावरिया और हुड्डे की बढ़ती नजदीकियाों में कुछ दरार आगई है. बावरिया के पिछले कुछ बयानो से हुड्डा खेमा खुश नजर नहीं आ रहा है. मुख्यमंत्री के फेस को लेकर कांग्रेस ने मामला शांत कराया तो अब टिकट देने के फार्मूले पर बड़े नेताओं में ठन गई है. हरियाणा विधानसभा को लेकर हुई कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में चेयरमैन अजय माकन के सामने ही विधायक दल के नेता और चुनाव के प्रभारी महासचिव बनाए गए दीपक बावरिया आमने- सामने आगए.
बैठक में दो बार लगातार हारे नेताओं को टिकट नहीं देने के फार्मूले ने एक बार फिर हरियाणा कांग्रेस की सियासत को गरम कर दिया है. दरअसल हुड्डा और उनके खेमे के विधायकों का प्रस्ताव था कि लगातार जो नेता दो बार चुनाव हारे हों, उनको टिकट न दिया जाए. बल्कि उनके परिवार में से ही किसी या फिर उनके बेटे या बेटियों को टिकट दिया जाए. इस पर जब तक अजय माकन और मणिक्कम टैगोर कुछ बोलते तब तक दीपक बावरिया ने ही हुड्डा के इस प्रस्ताव का विरोध कर दिया.
इस बात पर किया विरोध
मीटिंग में ही हुड्डा के प्रस्ताव का विरोध करते हुए बावरिया ने कहा कि 2004 से 2009 के बीच 5 या 10 साल ये विधायक रहे, फिर हार गए. अब इनके बेटे बेटी को यानी 30 साल एक परिवार को लगातार टिकट देंगे तो कार्यकर्ता कहां जाएंगे. इस फैसले से कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं में नराजगी भी आ सकती है. बावरिया का कहना था कि कार्यकर्ताओं को ही टिकट देना चाहिए.
सिर्फ हुड्डा के भरोसे ही नहीं हरियाणा
टिकट बंटवारे को लेकर हुड्डा ऐसा नियम नहीं चाहते हैं क्यों कि उनको पता इससे उनके कई करीबियों के टिकट कट सकते हैं. कुल मिलाकर हुड्डा के करीबी होने का तमगा झेलते आए बावरिया का ये बयान बता रहा है कि, आलाकमान हुड्डा के भरोसे जरूर है, लेकिन सिर्फ हुड्डा के भरोसे ही नहीं है. कांग्रेस आलाकमान ने अब हरियाणा में और भी पावर सेंटर बना दिया है.
सीएम फेस पर सियासत
पिछली बार सीएम फेस को लेकर भी बावरिया ने एक बयान दिया था, उसमें कहा गया था कि विधानसभा का चुनाव कोई सांसद नहीं लड़ सकता है. इससे हुड्डा खेमा खुश था. सीएम कुर्सी का सबसे बड़ा खतरा माने जा रहे शैलजा और सुरजेवाला रास्ते से हट गए. लेकिन इसके शैलजा और सुरजेवाला से दो टूक की और कहानी बदल गई. इसके बाग बाद बावरिया का एक और बयान सामने आया कि सीएम फेस बनने के लिए विधायक होना जरूरी नहीं है. इस बयान के बाद से ही हुड्डा और बावरिया में मामला बिगड़ गया. इसके साथ ही शैलजा और सुरजेवाला की मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदे बरकरार हैं.