सीएम फेस पर दीपक बावरिया का बड़ा बयान, शैलजा-सुरजेवाला की उम्मीदें बरकरार

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर सियासत जारी है. अभी तक सीएम फेस को लेकर ये स्थिति साफ नहीं हो पाई है कि हुड्डा खेमे से ही कोई सीएम होगा या फिर कोई और इस कुर्सी पर बैठेगा. हालांकि ये पहले से माना जा रहा था कि हुड्डा खेमे से ही कोई सीएम बनेगा. लेकिन प्रदेश प्रभारी बावरिया के एक बयान से हुड्डा खेमे को छोड़कर पार्टी के कई बड़े नेताओं में एक आस जरूर जागी है.
हुड्डा खेमा इस बात पर जीत का जश्न मना भी नहीं पाया था कि, सिटिंग सांसद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे यानी मुख्यमंत्री के दावेदार कुमारी शैलजा और सुरजेवाला दूर हो गए कि इसी बीच हरियाणा चुनाव के प्रभारी दीपक बावरिया ने कह दिया कि ऐसा जरूरी नहीं है कि सीएम कोई विधायक ही बने. सीएम फेस को लेकर आलाकमान पहले विधायकों से राय लेगा उसके बाद इस पर फैसला करेगा.
आलाकमान से हुड्डा विरोधी खेमे की दो टूक
प्रदेश प्रभारी के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर बयान कैसे और क्यों बदला. दरअसल सूत्रों के मुताबिक हुड्डा विरोधी खेमे ने आलाकमान को दो टूक कहा कि, प्रभारी हुड्डा के साथ हैं. उनके बयान हुड्डा को सीएम उम्मीदवार होने का संकेत दे रहे हैं. इससे पार्टी बीजेपी के जाट vs अन्य के मुद्दे को भुनाने में कामयाब होगी. 2024 में साथ आया दलित वोट भी छिटक सकता है.
सीएम को लेकर आलाकमान करेगा फैसला
इसके बाद आलाकमान ने प्रभारी बावरिया से बात की. क्योंकि इसके बाद बावरिया के बयान में थोड़ा बदलाव आया और कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद विधायकों की राय लेकर आलाकमान सीएम का फैसला करेगा. चुनाव में किसी को सीएम उम्मीदवार नहीं घोषित किया जाएगा. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि सीएम बनने के लिए विधायक होना जरूरी नहीं है.
शैलजा-सुरजेवाला को साधने की कोशिश
इन बयानों के जरिये कांग्रेस शैलजा सुरजेवाला और हुड्डा विरोधी खेमे को साधने की कोशिश कर रही है. हालांकि कहा जा रहा कि इस ऐलान के बाद हुड्डा विरोधी खेमे ने आलाकमान पर दबाव बनाया है कि, मतदान के पहले जो तय हुआ है उसी लिहाज से माहौल बनाया जाए यानी सीएम हुड्डा होंगे, पार्टी यही संकेत दे. सूत्रों के मुताबिक, हुड्डा परिवार और गांधी परिवार के बीच जो भी चर्चा हुई हो, लेकिन फिलहाल ये तय हुआ है कि चुनाव के दौरान पार्टी सामूहिक नेतृत्व को सामने रखने की रणनीति पर ही चलेगी. शायद यही वजह है कि, बार बार बयान दे रहे दीपक बावरिया ने अभी तक का आखिरी बयान यही दिया है कि, मुख्यमंत्री बनने के लिए विधायक होना जरूरी नहीं.
कौन भूल सकता है कि, 20 साल पहले भी 2004 में पूर्व सीएम, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और विधायक भजनलाल सीएम की कुर्सी के सबसे करीब थे, लेकिन सांसद हुड्डा सीएम बने थे.
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