सुनक के हार की वजह बना पार्टी का ही पुराना साथी, पहले ही चुनाव में पलट दी बाजी

ब्रिटेन के चुनाव में सुनक की हार का कारण सिर्फ कीर स्टारमर नही हैं. बल्कि इससे भी बड़ा कारण हैं उनकी ही पार्टी के एक पुराने नेता, जो अब नई पार्टी बना चुके हैं. पार्टी का नाम है ‘यूके रिफॉर्म’. ये एक धुर-दक्षिणपंथी पार्टी मानी जाती है. फराज ने साल 1978 से लेकर 1992 तक कंजर्वेटिव पार्टी में ही काम किया है. हालांकि इसके बाद उन्होंने ये पार्टी छोड़ दी. राजनीतिक विश्लेषको का कहना है कि फराज की पार्टी ने सुनक को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया है.
फराज की नई पार्टी को भले ही ब्रिटेन की 650 सीटों में से 4 सीटें ही मिली हों लेकिन सुनक की पार्टी को जो 251 सीटों का भारी भरकम नुकसान हुआ है. इसमें फराज की पार्टी का बड़ा अहम रोल है. ब्रिटेन चुनाव में इस बार वोट प्रतिशत ने बड़ा खेला किया है. इसको जानने के लिए सभी पार्टी के मत प्रतिशत के आंकड़ो पर नजर डालनी होगी. इस बार का चुनाव जीतने वाली लेबर पार्टी को 33.9 मत प्रतिशत मिले है. पिछले चुनाव के मुकाबले इस पार्टी को 1.7 प्रतिशत की बढ़त मिली है.
वोट प्रतिशत ने किया खेला
सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को इस बार 23.7 मत प्रतिशत मिला है. पिछले चुनाव के मुकाबले इनका 19.9 वोट प्रतिशत का नुकसान हुआ है. सीटों के मुकाबले मानें तो लिबरल पार्टी 71 सीटें जीतकर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. इस पार्टी को 12.2 का मत प्रतिशत मिला है. लेकिन इससे भी ज्यादा मत फराज की नई पार्टी ‘यूके रिफॉर्म’ ने पाए है. इस पार्टी ने 14.3 वोट प्रतिशत हासिल किया है. हालांकि ये प्रतिशत पार्टी सीटों में नहीं बदल पाई और सिर्फ 4 सीटें ही जीत पाई. लेकिन हर सीट पर इस पार्टी ने सुनक को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया है.
100 से ज्यादा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही पार्टी
इन आंकड़ों को देखकर ये समझिए कि लेबर पार्टी पिछले चुनाव के मुकाबले सिर्फ 1.7 प्रतिशत ही ज्यादा वोट हासिल किए इसके बावजूद कीर स्टारमर 214 सीटें जीतने में कामयाब रहें. कंजर्वेटिव पार्टी को इस चुनाव में 20 प्रतिशत वोट का नुकसान हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 100 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां रिफॉर्म यूके पार्टी दूसरे नंबर पर रही है. इस बार रिफॉर्म यूके पार्टी एक बड़ी राजनीतिक ताकत के तौर पर उभरी है. आगे के कई चुनाव में भी ये पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.
कंजर्वेटिव पार्टी से है पुराना नाता
चुनाव प्रचार के दौरान नाइजल फराज लगातार कंजर्वेटिव पार्टी पर हमलावर रहे हैं. फराज की पार्टी को एक दक्षिणपंथी पार्टी माना जाता है. ये पार्टी इमिग्रेशन के खिलाफ लड़ाई लड़ती रही है. नाइजल फराज पहले कंजर्वेटिव पार्टी से ही जुड़े थें. हलांकि बाद में उन्होंने पार्टी का दामन छोड़ दिया. ये ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की बात करते आए है. फराज यूके इंडिपेंडेंस पार्टी के अध्यक्ष भी रहे हैं. पिछले कई सालों से चुनाव लड़ रहे हैं हालांकि इस बार उनको सफलता मिली है. 60 साल के फराज ने पहले चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने अपना फैसला बदल लिया और अपने समर्थकों के लिए चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए.
मजबूती के साथ किया सुनक का विरोध
इस चुनाव प्रचार के दौरान ही फराज की पार्टी ने ये साफ कर दिया था कि वो सुनक का पूरी मजबूती के साथ विरोध करेगें. इस पार्टी को अपना पहला सांसद चुनाव से पहले ही मिल गया था. दरअसल इस साल मार्च में ही एक सांसद ली एंडरसन ने पाला बदलकर रिफॉर्म यूके पार्टी का दामन थाम लिया था. कई मुद्दों पर तो कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर के एक बड़े धड़ ने पार्टी का समर्थन किया है. इसलिए ये पहले ही कहा जा रहा था कि इस बार के चुनाव में रिफॉर्म यूके पार्टी को अच्छा खासा समर्थन मिलेगा और नतीजों में यही देखने को मिला.

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