सुनील छेत्री के शानदार करियर का अंत, बस आखिरी मैच में नहीं जीत सकी टीम इंडिया
अनुभवी भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक ने कुछ ही दिनों पहले अपने आखिरी मैच में मिली हार के बाद कहा था- ‘हर कहानी की फेयरीटेल एंडिंग नहीं होती’. यानी हर कहानी का अंत सुखद नहीं होता. भारतीय फुटबॉल की सबसे खूबसूरत कहानियों में से एक, भारतीय फुटबॉल के सबसे चमकीले सितारे और दिग्गज कप्तान सुनील छेत्री का करियर भी कुछ इसी तरह अपने मुकाम पर पहुंचा, जहां उन्हें वो विदाई नहीं मिल सकी, जिसके वो हकदार थे, जिसकी भारतीय फुटबॉल टीम को भी जरूरत थी. कुवैत के साथ वर्ल्ड कप 2026 क्वालिफायर के मुकाबले में टीम इंडिया जीत दर्ज करने में नाकाम रही और मैच 0-0 के साथ ड्रॉ पर खत्म हुआ.
पिछले करीब 19 सालों से नीली जर्सी में टीम इंडिया के लिए मैदान पर अपना खून-पसीना बहाने वाले सुनील छेत्री ने कुछ ही दिनों पहले ऐलान कर दिया था कि वो 6 जून के बाद इंटरनेशनल करियर पर हमेशा के लिए ब्रेक लगा देंगे. ऐसे में ये मुकाबला पहले ही फैंस के लिए और टीम इंडिया के लिए भावुक बन गया था लेकिन इसके साथ ही वर्ल्ड कप क्वालिफिकेशन के अगले राउंड में पहुंचने के लिए जीत के लिहाज से भी अहम था.
आखिरी मैच में मिली निराशा
करीब 5 साल पहले एक वीडियो बनाकर फैंस से टीम इंडिया का मैच देखने के लिए स्टेडियम आने की अपील करने वाले भारतीय कप्तान सुनील छेत्री के इस मैच के लिए पूरा कोलकाता का सॉल्ट लेक स्टेडियम पूरी तरह भरा हुआ था. छेत्री के हर टच, पास और शॉट के साथ ही फैंस का शोर बढ़ रहा था. साथ ही गोल के लिए टीम इंडिया की हर कोशिश पर भी लगातार उत्साह बढ़ाया जा रहा था. दुर्भाग्य से टीम इंडिया करीब 100 मिनट तक चले मुकाबले में एक भी गोल करने में सफल नहीं रही. कई बार टीम को अपने गोल से बचाने वाले कप्तान छेत्री भी इस बार मदद नहीं कर सके.
कुवैत ने भी कई कोशिशें की, जिसे कई बार दमदार डिफेंस और कई बार गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू ने अपने दम पर ही नाकाम किया. आखिरकार मैच 0-0 से ड्रॉ पर खत्म हुआ और रेफरी की आखिरी सीटी के साथ ही छेत्री समेत सभी भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे निराशा से भर गए.
भावुक फैंस ने दी विदाई, मिला शानदार सम्मान
मैच तो खत्म हो गया लेकिन इसके बाद सबसे मुश्किल वक्त शुरू हुआ क्योंकि स्टेडियम में मौजूद हर भारतीय फैन भावुक था. उनके सामने स्टार खिलाड़ी और करिश्माई कप्तान छेत्री आखिरी बार मैदान पर दिख रहे थे. छेत्री ने भी अपने आंसुओं पर लगाम रखी और सभी खिलाड़ियों के साथ हाथ मिलाने-गले मिलने के बाद पूरे मैदान का चक्कर लगाते हुए सभी फैंस को अपने करियर के इस आखिरी सफर में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया. कई फैंस की आंखों में आंसू दिख रहे थे.
करीब 19 साल तक नेशनल टीम के लिए खेलने वाले 39 साल के छेत्री को इसके बाद ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन से लेकर ईस्ट बंगाल और मोहन बागान जैसे दिग्गज फुटबॉल क्लबों ने भी सम्मानित किया. छेत्री ने अपने लंबे करियर में कोलकाता के इन दोनों दिग्गज क्लबों के साथ कई साल बिताए थे. पिछले 12 साल से भारतीय टीम के कप्तान रहे छेत्री ने देश के लिए सबसे ज्यादा 151 मैच खेले और रिकॉर्ड 94 गोल दागे.