सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति जनगणना पर याचिकाकर्ता से मांगा जवाब, चार हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति जनगणना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता से कई सवाल पूछे और सुनवाई स्थगित कर दी. कोर्ट ने मामले को 4 हफ्ते बाद लिस्ट किया है. और पक्षों से इस बीच अपनी दलीलें पूरी करने के लिए कहा है. इसके साथ ही अदालत ने कई सवाल करते हुए इस पर स्पष्टीकरण भी मांगा है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल पूछते हुए कहा क्या जाति सर्वेक्षण आवश्यक है और क्या राज्य जाति जनगणना कर सकते हैं. क्या कार्यपालिका इस तरह का डेटा संग्रह कर सकती है? यदि हां, तो ये किस हद तक गलत या विवादित हो जाता है? और अगर डेटा संग्रह है तो इसके क्या मापदंड हैं. नागरिक किस हद तक डेटा के विभाजन या विभाजन की मांग कर सकते हैं.
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ये है मामला
पहले बिहार सरकार की ओर से सर्वे से जुड़ा आंकड़ा प्रकाशित नहीं करने की बात की गई थी. इसके बाद इसे प्रकाशित कर दिया गया था. इसे लेकर अक्टूबर पिछले साल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था. मामले को लेकर अदालत ने बिहार सरकार को जाति सर्वेक्षण के और आंकड़े प्रकाशित करने से रोकने से इनकार कर दिया था. इसी को लेकर कोर्ट में आज यानी 23 जुलाई को याचिकाकर्ता से कई सवाल पूछे और स्पष्टीकरण मांगते हुए सुनवाई स्थगित कर दी.
बिहार की कुल जनसंख्या
बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ ज्यादा है. इसमें ईबीसी (36 फीसदी) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में आया है, इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है.
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