सैनिक मरते नहीं बल्कि लोगों के दिलों में जिंदा रहते हैं… शहीद मेजर मुस्तफा की मां ने क्या कहा?

‘सैनिक मरते नहीं हैं, बल्कि वह लोगों के दिलों में जिंदा रहते हैं’…यह कहना है एक शहीद की मां फातिमा बोहरा का. वह फातिमा बोहरा जिनका बेटा देश के लिए शहीद हो गया. हम बात कर रहे हैं मेजर मुस्तफा बोहरा की जिन्हें देश के लिए बलिदान देने के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. शहीद मेजर मुस्तफा की जगह उनकी मां फातिमा और पिता ने इस सम्मान को लिया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार 6 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह कर्तव्य के दौरान साहस और असाधारण वीरता दिखाने वाले सेना और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों को सम्मानित किया. इस दौरान मेजर मुस्तफा बोहरा को भी शौर्य चक्र दिया गया. इस दौरान उनके मां और परिजन काफी भावुक नजर आए.
मेजर मुस्तफा ने देश के लिए दिया बलिदान
राष्ट्रपति भवन ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट शेयर करते हुए बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 252 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया. अक्टूबर 2022 में शहीद मेजर मुस्तफा ने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने आग लगने वाले हेलीकॉप्टर को जिसे वह खुद चला रहे थे घनी आबादी वाले क्षेत्र से दूर ले गए मेजर ने इस दौरान असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया.
शहीद मेजर मुस्तफा के परिजन
मां ने बेटे की यादें ताजा की
बीते रविवार को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया पर ‘एक्स’ पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें बोहरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली फातिमा बोहरा ने अपने बेटे और उसके राष्ट्रीय रक्षा अकादमी यानी एनडीए के दिनों की यादें साझा की. उन्होंने बताया कि जब उनके बेटे ने एनडीए में पहला कदम रखा, तो उनका संकल्प देश की सेवा करने का था. इसके आगे भावुक होकर उन्होंने बताया कि उनका बेटा अक्सर फोन और लेटर में अपने सीनियर्स से मिलने वाले सपोर्ट के बारे में बताता था.
‘बेेटे की मौत का था पहले से अहसास’
मेजर बोहरा मां फातिमा ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की मौत का पहले से आभास हो गया था. उन्होंने कहा कि एक मां को अपने बच्चे के बारे में अहसास होता है. मां ने बताया कि हादसे से दो दिन पहले वह रोने लगी और खाना नहीं खाया. और फिर बेटे की मौत की खबर आई. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. उन्होंने कहा कि सैनिक मरते नहीं हैं वह अपने परिवार के सदस्यों और जिस देश की सेवा करते हैं उसके लोगों के दिलों में एक और जीवन जीते हैं.”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित
अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र भारत का तीसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार होता है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार 6 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह कर्तव्य के दौरान साहस और असाधारण वीरता दिखाने वाले सेना और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों को सम्मानित किया. इस दौरान सात मरणोपरांत सहित 10 कीर्ति चक्र प्रदान किए. सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के कर्मियों को सात मरणोपरांत सहित 26 शौर्य चक्र भी प्रदान किए.

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