स्कूल गर्ल्स की फोटोज का करते थे गलत इस्तेमाल, ‘बैड बॉयज’ की AI वाली करतूत
दुनिया भर में AI तकनीक का गलत इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है. मशहूर सेलेब्रिटियों और नेताओं से लेकर आम नागरिकों की तस्वीरों को भी AI की मदद से गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. AI के दौर में डीपफेक पोर्न एक बड़े संकट के रूप में उभरा है. इसका इस्तेमाल ठगी, लोगों को बदनाम आदि के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है. दक्षिण कोरिया के स्कूलों और यूनिवर्सिटियों में डीपफेक पोर्न के बढ़ते संकट ने हलचल मचा दी है.
दक्षिण कोरिया के अधिकारियों ने एक ऐसे नेटवर्क का पता लगाया है, जो AI का इस्तेमाल कर स्कूलों और यूनिवर्सिटी की छात्राओं और शिक्षिकाओं को निशाना बना रहा है. डीपफेक के खिलाफ अभियान चलाने वाले एक्टिविस्ट बांग सियो-यून ने पीड़ितों के बयान इकट्ठा किए और पाया कि ज्यादातर मामलों में स्कूल के लड़के निजी इंस्टाग्राम अकाउंट्स से छात्राओं और शिक्षिकाओं के फोटो चुरा लेते हैं और फिर AI की मदद से अश्लील रूप देकर टेलीग्राम चैट रूम्स में शेयर करते हैं.
बदनाम करने की गंदी साजिश
सियो-यून कहती हैं कि इन अश्लील AI फोटो का इस्तेमाल महिलाओं को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा “ये सिर्फ डीपफेक से होने वाला नुकसान नहीं, बल्कि उन वीडियो का रिश्तेदारों के बीच फैलाव ज्यादा दर्दनाक और humiliating है.”
अगस्त में पुलिस द्वारा पहली बार ऐसे टेलीग्राम चैट रूम का पता लगने के बाद से सियो-यून डीपफेक पीड़ितों की ओर से हजारों रिपोर्ट मिली हैं, पीड़ितों में आमतौर पर छात्राएं और महिला कर्मचारी हैं. पुलिस का कहना है कि ऐसे क्लिप्ट बनाने वाले ज्यादातर अपराधी किशोर हैं. आरोपी किशोर होने की वजह से सख्त सजा देने में कठिनाई पेश आती है, क्योंकि किशोर के खिलाफ कोई ठोस सजा का प्रावधान नहीं है.
सख्त कानून की कमी
डाटा से पता चलता है कि डीपफेक का प्रचलन दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है, 2023 में इसके मामलों में 500 फीसदी बढ़ोतरी देखने मिली है. साइबर सुरक्षा स्टार्टअप सिक्योरिटी हीरो का अनुमान है, पीड़ितों में 99 फीसद महिलाएं हैं. जिसमें मशहूर सिंगर और एक्ट्रेस हैं, लेकिन जहां मशहूर हस्तियों के पास उनकी रक्षा करने के लिए शक्तिशाली समर्थक हैं, वहीं आम महिलाएं न्याय के लिए संघर्ष कर रही हैं. हाल ही में गर्लबैंड न्यूजियंस के पीछे की के-पॉप एजेंसी ने डीपफेक पोर्न के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है.
एक्टिविस्टों का कहना आम लोगों के खिलाफ डीपफेक मामलों में सजा के आंकड़े दयनीय हैं. दक्षिण कोरिया के एक सांसद की ओर से बताए गए पुलिस आंकड़ों के मुताबिक 2021 से इस साल जुलाई के बीच, 793 डीपफेक केस दर्ज किए गए, लेकिन सिर्फ 16 लोगों को ही गिरफ्तार किया गया और मुकदमा चलाया गया. हाल में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से छह किशोर थे.