हमास के साथ शांति! US ने तुर्की का लिया साथ… आगे क्या हैं चुनौतियां?

अमेरिका ने तुर्की के साथ मिलकर हमास के साथ शांति वार्ता के लिए मध्यस्थता की है. ये बातचीत गुरुवार को कतर की राजधानी दोहा में आयोजित की जाएगी. ये बातचीत उस समय हो रही है जब इजराइल-हमास के बीच जारी जंग को खत्म करने की कोशिश हो रही है. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने तुर्की के विदेश मंत्री हाकान फिदान के साथ बातचीत की है ताकि हमास को इस वार्ता में शामिल किया जा सके.
इस बातचीत का मुख्य उद्देश्य इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करना है, जो पिछले कई महीनों से जारी है. अभी तक इस संघर्ष में हजारों लोग मारे गए हैं और गाजा में बड़े स्तर पर तबाही हुई है. अमेरिका ने इस वार्ता को आयोजित करने के लिए कतर और मिस्र के साथ भी सहयोग किया है, जो इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
तुर्की की क्या है रोल ?
तुर्की ने हमेशा फिलिस्तीनी का समर्थन किया है और उसने हमास को एक सही राजनीतिक बल माना है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगान ने हमास के साथ संबंध बनाए रखे हैं, जबकि वे इजराइल के साथ भी संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में, तुर्की ने हमास के नेताओं को अपने देश में मेजबान किया है, जिससे इजराइल के साथ उनके संबंधों में तनाव बढ़ा है.
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अमेरिका की क्या है कोशिश ?
अमेरिका की कोशिश है कि वह इस बातचीत के माध्यम से एक स्थायी शांति स्थापित कर सके. ब्लिंकन ने कहा है कि इस बातचीत में सभी पक्षों को शामिल किया जाएगा और यह तय किया जाएगा कि आने वाले समय में ऐसे संघर्ष न हो. US का मानना है कि अगर हमास इस बातचीत में शामिल होता है, तो इससे शांति की संभावना बढ़ सकती है.
क्या आ सकती हैं चुनौतियां?
हालांकि, इस वार्ता के सफल होने में कई चुनौतियां हैं. इजराइल और हमास दोनों ने पहले ही एक-दूसरे के खिलाफ कड़े बयान दिए हैं. दोनों पक्षों की स्थिति में कोई नरमी या झुकाव नहीं दिख रही है. इसके अलावा, गाजा में स्थिति बेहद गंभीर है.

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