हरियाणा में हार के बाद क्या प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व में होगा बदलाव? जानें समीक्षा बैठक का फैसला
कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा. हरियाणा में हार को लेकर गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में पार्टी के आला नेताओं के साथ बैठक की. इस बैठक में हार के कारणों की तहकीकात के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठन करने का फैसला किया है. सूत्रों का कहना है कि हार के कारणों को खोजने के लिए बनी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद हरियाणा में कांग्रेस आलाकमान नया विधायक दल का नेता और नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है.
हरियाणा में हार की समीक्षा के लिए कांग्रेस की बैठक में शामिल लोगों ने इस बात का संकेत दे दिया है कि आगे क्या होने वाला है.कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से बुलाई गई बैठक में पार्टी सांसद राहुल गांधी, विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक गहलोत, अजय माकन और प्रताप सिंह बाजवा जैसे पार्टी पर्यवेक्षक शामिल हुए, लेकिन जिन दो नामों को वहां होना चाहिए था, रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी शैलजा, उन्हें बैठक में नहीं नहीं बुलाया गया था.
सूत्रों के मुताबिक बैठक का एजेंडा हरियाणा में हार का मुख्य कारण था. नेताओं से पूछा गया कि कहां क्या गलत हुआ, ईवीएम पर भी चर्चा हुई, सूत्रों ने बताया कि क्या अंदरूनी कलह हार का मुख्य कारण थी, इस पर भी चर्चा हुई.
हरियाणा में हार पर हुई समीक्षा बैठक
नेताओं ने बागी फैक्टर से हुए नुकसान और आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन न कर पाने पर भी चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक हरियाणा की समीक्षा बैठक में चर्चा के सभी बिंदुओं का इस्तेमाल आगामी महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के लिए अगले कदमों पर चर्चा के लिए किया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि बैठक में सीट बंटवारे पर भी चर्चा होगी, क्योंकि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सहयोगी दलों के बयानों से परेशान है, जिसमें पार्टी को अहंकार के खिलाफ चेतावनी दी गई है.
बता दें कि चुनाव के दौरान रणदीप सिंह सुरजेवाला ने खुद को कैथल से जीते अपने बेटे आदित्य सुरजेवाला के लिए प्रचार करने तक सीमित रखा. सुरजेवाला राज्य में प्रचार और घोषणापत्र जारी करने दोनों से दूर रहे. उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें लगा कि उनकी जरूरत नहीं है और हुड्डा तय करते हैं कि कौन मायने रखेगा और उनकी क्या भूमिका होगी. इतना ही नहीं, उम्मीदवारों के लिए उनके द्वारा सुझाए गए अधिकांश नामों को न तो स्वीकार किया गया और न ही टिकट दिया गया.
अंतरकलह क्या बनी हार की वजह?
इस बीच, कुमारी शैलजा भूपेंद्र हुड्डा के वर्चस्व के तरीके से अपनी नाराजगी के बारे में मुखर रही हैं. अगर वह समीक्षा बैठक में शामिल होतीं, तो वह यह कहने में संकोच नहीं करतीं कि हुड्डा के भारी प्रचार और जाटों पर बहुत अधिक दबाव ने दूसरों को अलग-थलग कर दिया, जिसका फायदा भाजपा ने उठाया.
हरियाणा कांग्रेस के एक शीर्ष सूत्र ने कहा, “यह स्पष्ट है कि जनादेश हुड्डा के खिलाफ है. ऐसी धारणा थी कि पिता के बाद बेटा कमान संभालेगा. वहीं, हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान को भी पराजय का सामना करना पड़ा है.” अब पार्टी फैक्ट कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद यह फैसला लेगी कि हरियाणा की कमान किसे सौंपी जाएगी और प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल का नेता कौन होगा?